सर सैयद अहमद खानः एक व्यक्ति दो राष्ट्र में हिरो ?AMU में आरक्षण कब ?

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सर सैयद अहमद खान ने साल 1867 में मुहम्मडन एंग्लो-ओरियंटल स्कूल खोला साल 1920 में इस कॉलेज का नाम अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी रख दिया गया। यह तथ्य है कि सर सैयद अंग्रेज़ो के वफादार थे, दो राष्ट्र सिद्धान्त के जनक और समर्थक थे। उन्होंने कभी भी पूरे मुस्लिमो के लिए नही सोचा, बल्कि उन्हें सिर्फ अशराफ मुस्लिमो की उन्नति की चिंता थी, वह सैयद, शेख, मुग़ल, पठान के अतिरिक्त अन्य मुस्लिम जातियों के लोगो को मुसलमान नही मानते थे।

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में आज किसी महत्वपूर्ण प्रोफेशनल कोर्स में पिछड़ी जाति से सम्बन्ध रखने वाले छात्रों को आरक्षण नहीं दिया जाता लेकिन खिलाड़ियों, यूनिवर्सिटी के पूर्व तथा वर्तमान सेवकों के बच्चों, डिग्री धारकों के बच्चों यहाँ तक कि अलीगढ़ में एक वर्ष से रहने वाले केन्द्रीय सरकार के सेवकों के बच्चों तक को नॉन-प्रोफेशनल कोर्स में आरक्षण दिया जाता है फिर यूनिवर्सिटी के परीक्षा फॉर्म में ज़ात-पात का कॉलम अवश्य दिया जाता है कि आप किस जाति के हैं।

मसूद आलम फलाही द्वारा लिखित ‘हिन्दुस्तान में जात पात और मुसलमान’ से कुछ उद्धरण देखें, जैसे 28 दिसम्बर, 1887 में लखनऊ में ‘मोहम्मडन एजुकेशनल कॉन्फ्रेंस’ की दूसरी सभा में सर सैयद ने कहा कि ‘जो नीच जाति के लोग हैं वो देश या सरकार के लिए लाभदायक नहीं हैं जबकि ऊंचे परिवार के लोग रईसों का सम्मान करते हैं साथ ही साथ अंग्रेजो का सम्मान तथा अंग्रेज़ी सरकार के न्याय की छाप लोगों के दिलों पर जमाते हैं, वह देश और सरकार के लिए लाभदायक हैं।

अशराफ़ इतिहासकार और बुद्धिजीवी पाकिस्तान में सर सैयद को दो राष्ट्र सिद्धांत’ का जन्मदाता बताते हैं और भारत में सर सैयद को ‘हिन्दू-मुस्लिम एकता’ का प्रतीक। कोई एक व्यक्ति दो राष्ट्र में हिरो कैसे हो सकता है?? मुझे ये कहते हुए बिल्कुल भी हिचक नहीं होगी कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी भारत के जमीन पर चलता फिरता पाकिस्तान है।

पसमांदा ऐक्टिविस्ट रजाउल हक अंसारी लिखते हैं कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का एक भी स्कॉलर अभी तक यह नहीं सिद्ध कर पाया कि सर सैय्यद के बारे में पसमांदा-बहुजन समाज द्वारा कही गई बात गलत है और क्यों?? इसके दो ही मायने हो सकता है AMU की पढ़ाई का स्तर इतना गिर चुका है कि सारे references मिलने के बावजूद स्कॉलर्स समझ नहीं पा रहे कि बात कहां गलत है या फिर सर सैय्यद वाक़ई जातिवादी और  दो राष्ट्र सिद्धान्त के जनक थे।

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