विषय:- चन्द्र शेखर आज़ाद और बहुजन सामाजिक व राजनीतिक आन्दोलन।

Share News:

नोट: लेख में बताई गई बाते लेखक के निजी विचार है

दुनिया के हर देश में सामाजिक व राजनीतिक परिवर्तन हुआ है और होगा। भारतीय राजनीति में भी यही लागू होता है। इस संदर्भ में बहुजन नायिका बहन मायावती जी हमारे समाज की आन-बान-शान हैं और उनका सम्मान हमारे लिए सर्वोपरि है। उनके ऊपर किसी भी तरह की अमर्यादित टिप्पणी निंदनीय है। बहुजन उनके सामाजिक व राजनीतिक उपलब्धियों का कायल है, और उनकी राजनीतिक विफलताओं का आलोचक। आलोचक इसीलिए कि समाज का हित हमारे लिए सर्वोपरि है।

चन्द्रशेखर आज़ाद रावण भाई का बहन जी के बारे में विचार स्पष्ट है, बहन जी के बारे में उनसे हमारी कई बार चर्चा हुई है। जो कि अग्रलिखित

भाई चन्द्रशेखर आजाद कहते हैं कि बहन जी हमारे समाज की नायिका है हम उनके सामाजिक, सांस्कतिक व राजनीतिक योगदान की सराहना करते हैं और उनका मान-समान हमारे लिए सर्वोपरि है। रही बात राजनीतिक विभेद की तो स्पष्ट है कि बहुजन समाज का हित हमारे लिए सर्वोपरि और बहुजन नायक व नायिकाओं के दर्शन द्वारा दिखाया गये रास्ते हमारा अभिभावक है।

उन्हीं के निर्देशन में हमें आगे बढ़ना है। एक समय था जब बहन जी हमारी सर्वमान्य नेता थीं जिनके नेतृत्व में हम भारत के संसद भवन की तरफ़ बढ़ रहे थे लेकिन 2012 के बाद से लगातार बसपा की करारी हार और 2014 में जीरो सीटों पर सिमटना और उसके बाद भी लगातर अवनति की तरफ़ बढ़ना बहुजनों के सत्ता में आने के संकेत भी गायब कर दिये हैं। पूरे देश का बहुजन समाज बहन जी के रहते हुये भी यह महसूस करने लगा है कि अब पूर्ण बहुमत की सरकार बनाना लगभग असंभव नज़र आ रहा है। किसी भी पार्टी के समर्थक अपने नेता की आलोचना सुनना पसंद नहीं करते हैं लेकिन सच को नकारकर सत्ता नहीं प्राप्त किया जा सकता है उसके लिए हमें यह भी समझना होगा कि कोई भी नेता अपने समय का अलम्बरदार होता है और समाज बदलने के साथ नेता भी परिवर्तति हो जाते हैं।

और राजनीति ही नहीं खान-पान, भेष-भूसा , विज्ञान आदि में बदलाव आता है। इसे हर किसी को स्वीकार करना होगा। बाबा साहब सबसे पहली राजनीतिक पार्टी Independent Labour Party 15 अगस्त 1936 बनाये थे। जोकि 1937 के इंडियन प्रोविंशियल चुनाव में 17 में 14 सीटें जीती थी। और सुरक्षित सीटों से 13 सीटों में 11 सीटें जीती थी। 1942 में All India Schedule Caste Federation, All india Schedule Caste Students federation of India और उसके बाद Republican Party of India बनाये थे। क्योंकि राजनीति हमेशा ज़मीन से होकर गुजरती है इसीलिए उन्होंने जैसे-जैसे सामाजिक बदलाव को देखा वैसे-वैसे राजनीतिक पार्टी उन्हें बनानी पड़ी।

यही कारण है कि मान्यवर कांशीराम जी पहले Republican Party of India में काम किये उसके बाद 1978 में बामसेफ उसके बाद 1981 में डीएसफोर और 1984 में बहुजन समाज पार्टी बनाये। और लम्बे समय तक इसे आंदोलित करते हुए सत्ता में पहुँचे। लेकिन धीरे-धीरे पार्टी नेताओं के आपसी गुटबाजी व जनता के उत्पीड़न से दूरियाँ और निष्क्रियता के कारण लगातार 2012 के चुनाव से हार का ही मुँह देखना पड़ रहा है। यह समय के परिभाषा की राजनीतिक परिभाषा से अलग नहीं है। यहाँ बहुजन समाज के जागरूक लोग समाज के हित को सर्वोपरि मानते हुये नये विकल्प की तलाश करते हुए कई संगठन व पार्टी का एक्सपेरिमेंट कर चुके हैं। जिनमें वामन मेश्राम की का मूल निवासी और भारत मुक्ति मोर्चा, वीडी बोरकर का पीपुल्स पार्टी ऑफ इंडिया, आरपीआई के तमाम ए, बी, सी, पार्टी आदि नाम से टुकड़े, रामविलास पासवान की राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी ऑफ इंडिया इसी तरह अन्य राज्यों में तमाम बहुजनों की पार्टी बनती व ख़त्म होती रही हैं। उन्हीं में भीमआर्मी व आज़ाद समाज पार्टी भी एक है जो समय के साथ लोगों में तेजी से लोकप्रिय हो रही है और बहुत कम समय में देश के लगभग उत्तर भारत से दक्षिण भारत तक संगठित हो रही है।

उल्लेखनीय है कि बहुजन समाज में समय के साथ जहाँ संगठन व पार्टियां बनती रहीं व ख़त्म होती रहीं वहीं भीमआर्मी व आज़ाद समाज पार्टी समय के साथ निखर रही है।

कुछ लोग नेता की भक्ति में इतना डूबे हैं कि उन्हें समाज का हित सर्वोपरि नज़र ही नहीं आ रहा है। कुछ लोगों का यह कहना है कि चन्द्र शेखर आज़ाद ने मान्यवर कांशीराम जी की बनाई पार्टी बहुजन समाज पार्टी के रहते हुए आज़ाद समाज पार्टी बना लिया यह ग़लत किया।

उनके प्रश्नों का जवाब निम्लिखित है-

जो व्यक्ति समाज हित को सर्वोपरि नहीं मानता वह नेता की भक्ति को ही सर्वमान्य समझता है जनता में भले ही उसका जन समर्थन कम हो जाए उससे उसे कोई फर्क नहीं पड़ता । बाबा साहब कुल तीन राजनीतिक संगठन Labour Party of India, All India Schedule Caste Federation और Republican Party of India बनाये थे। एक के बाद एक आख़िर उन्होंने ऐसा क्यों किया??? क्योंकि वह समय की नज़ाकत को समझते थे इसीलिए समय-समय पर पार्टी व संगठन बनाते रहे। भीमआर्मी व आजाद समाज पार्टी उसी सामाजिक बदलाव का हिस्सा है।

बाबा साहब के तीन राजनीतिक संगठन

Labour Party of India, All India Schedule Caste Federation और Republican Party of India

बनाने के बाद भी मान्यवर कांशीराम जी तीन संगठन बामसेफ, डीएसफोर और बहुजन समाज पार्टी बनाये तो क्या मान्यवर कांशीराम जी ने बाबा साहब के मान सम्मान को कम किया ??? क्या मान्यवर कांशीराम बाबा साहब के मिशन के खिलाफ पार्टी व संगठन बनाये थे ???

मान्यवर कांशीराम जी ने लिए कोई संगठन नहीं बल्कि समाज का हित सर्वोपरि था। चन्द्र शेखर आज़ाद बचपन से ही बहुजन मिशन के साथ जुड़े रहे इसीलिए उन्होंने “भीमआर्मी भारत एकता मिशन” संगठन बनाया और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में लोकप्रिय हुआ और आज देशभर व दुनिया में है। अगर उनका लगन बहुजन मिशन के साथ नहीं होता तो वह बाबा साहब के नाम पर संगठन न बनाकर किसी बहुजन विरोधी नाम से पार्टी व संगठन बनाते। मेरी बात-चीत के दैरान चन्द्र शेखर आज़ाद भाई एक बार उन्होंने यह भी कहा कि-

“मेरे लिए बहुजन समाज का हित सर्वोपरि है, और मैं मरते दम तक बहुजन समाज के लिए कार्य करता रहूँगा। सूरज पूरब की बजाय पश्चिम से निकल सकता है लेकिन मैं अपने बहुजन समाज को कभी धोका नहीं दूँगा। और कोई ऐसी नोट नहीं बनी है जो आपके भाई को खरीद सके।”

आज समाज में कहीं भी शोषण दमन होता है तो लोग सीधा भीमआर्मी से सम्पर्क करते हैं और भीमआर्मी के साथी तुरंत जहाँ भी कहीं होते हैं अपने काम को छोड़कर पीड़ितों से मिलते हैं व उनका ईलाज कराने के साथ-साथ थाने जाकर दोषियों पर FIR व SC/ST ACT लगवाते हैं पीड़ितों के न्याय व सुरक्षा के लिए कार्य कर रहे हैं। यही भीमआर्मी की लोकप्रियता का मुख्य कारण है समाज के लिए जेल जाना व रासुका जैसे केस चन्द्रशेखर आज़ाद जी झेल चुके हैं लेकिन समाज के लिए कोई नोकरी, व्यापार आदि के व्यक्तिगत लाभ को छोड़कर समाज के लिए अपना योगदान दे रहे हैं यही यही वजह है कि उनकी लोकप्रियता दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ रही है।

चन्द्र शेखर आज़ाद के साथ बहुजन समाज के आज लाखों लोग हैं। उनका मानना यह है कि बहुजन समाज को अब नये युवा जोश, कार्य, संगठन कर्ता की ज़रूरत है। जो आज़ाद के रूप में बहुजनों की राजनीतिक इबारत को सत्ता की सफलता के रूप में लिखा जायेगा।

चंद्र शेखर आज़ाद के राजनीतिक उभार का एक मत्वपूर्ण कारण भी है कि सत्ता के मद में चूर जिन पार्टी व संगठनों ने अमीरों को ही सत्ता में लाने के लिए उन्हें टिकट दिए व जीतने के बाद मंत्रीमंडल में उन्हें ही भागीदारी दी वहीं चन्द्र शेखर आज़ाद समाज में कार्य करने वाले गरीब व अमीर दोनों को साथ ले लाने का कार्य कर रहे हैं इसमें बहुजन समाज के गरीब युवाओं में यह उम्मीद जगी है कि वह भी राजनीतिक में आ सकते हैं वह सत्ता में पहुँच सकते हैं इसका सफल उदाहरण उत्तर प्रदेश में हुये हालिया चुनाव में आज़ाद समाज पार्टी अप्रत्याशित जीत हासिल की है जबकि इस पार्टी को बने अभी एक ही साल हुआ है और यह उसका पहला ही चुनाव था।

कुछ लोग यह कहते हैं कि चन्द्र शेखर आज़ाद ने बहुजन समाज पार्टी को कमजोर किया है उनकी राजनीतिक समझ बहुत कमजोर है उन्हें यह पता होना चाहिए कि आज़ाद समाज पार्टी 2020 में बनी है और चुनाव 2021 में लड़ी हैं। जबकि बीएस पी 2014 के लोकसभा चुनाव में

जीरो सीटों पर सिमट गयी थी।और लगातर हार रही है। उस समय आज़ाद समाज पार्टी बनी ही नहीं थी। इसीलिए इतिहास व समाज परिवर्तन को बिना समझे किसी भी सामाजिक संगठन व पार्टी का पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर विश्लेषण नहीं करना चाहिए। वर्ना इस तरह के विश्लेषण से यही स्पष्ट होगा कि 1984 में बहुजन समाज पार्टी के बनने के बाद बाबा साहब की बनाई आर पी आई को कांशीराम जी ने कमजोर किया। जो कि गलत विश्लेषण है।

बहुजन समाज के दर्शन का भी यही इतिहास है प्राचीन काल में तथागत गौतम बुद्ध, सिद्ध, नाथ, सद्गुरु रविदास, सद्गुरु कबीर, फूले, साहू, बिरसामुंडा, झलकारी बाई, उदादेवी पासी, मातादीन वाल्मीकि, पेरियार, संत गाडगे बाबा, बाबा साहब, जगदेव प्रसाद, रामस्वरूप वर्मा पेरियार ललई सिंह यादव मान्यवर कांशीराम, बहन जी आदि समय अपना योगदान देते रहे हैं। और बहुजन समाज में नायक व नायिकाएं आते रहेंगे/रहेगीं।

भाई चन्द्र शेखर आज़ाद यह भी कहते हैं कि बहुजन समाज को आगे बढ़ाने व सत्ता तक पहुँचाने के लिए आगे बहुत से संगठन व राजनीतिक पार्टियों की ज़रूरत पड़ेगी और बहुजन समाज को समय की नजाकत को सत्ता में आने के लिए समझना होगा। भीमआर्मी और आज़ाद समाज पार्टी उसी सामाजिक व राजनीतिक आन्दोलन व परिवर्तन का हिस्सा है।

*दलित टाइम्स उन करोड़ो लोगो की आवाज़ है जिन्हें हाशिए पर रखा गया है। *

महिला, दलित और आदिवासियों के मुद्दों पर केंद्रित पत्रकारिता करने और मुख्यधारा की मीडिया में इनका प्रतिनिधित्व करने के लिए हमें आर्थिक सहयोग करें।

  Donate

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *