“घर चलो अभियान” से क्या दलितों का विश्वास जीत पाएगी BJP ?

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लोकसभा चुनाव नज़दीक है और ऐसे में राजनीतिक पार्टियों के बीच जनता तक अपनी पहुंच बढ़ाने की रेस लगी हुई है। एक तरफ़ जहां कॉंग्रेस अपनी भारत जोड़ो यात्रा से कुछ हद तक इसमें सफल होती दिखी तो बहुजन समाज पार्टी ने “गांव चलो अभियान” के तहत सीधे जनता से संपर्क साधने का तरीका खोजा। अब भारतीय जनता पार्टी ने भी “घर-घर चलो अभियान” की घोषण की है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अगले महीने बाबा साहब अंबेडकर की जयंती यानी 14 अप्रैल से बीजेपी का “घर-घर चलो” अभियान शुरू होगा।

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दलित वोट बैंक साधना चाहती है BJP ?

Bjp के इस अभियान का उद्देश्य विशेषकर अनुसूचित जाति के लोगों तक पार्टी की पहुंच को बढ़ाना है। लोकसभा की 543 सीटों में से 84 सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। bjp इनमें से 60 -70 सीटों को जीतने की कोशिश में है। बता दें कि 2019 के चुनावों में bjp ने 46 सीटें जीती थी। बहरहाल, 14 अप्रैल से bjp का 21 दिनों का “घर-घर चलो” अभियान शुरू होगा। और यह अभियान देशव्यापी होगा।

 

 

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दलितों को मिले मदद :

अभियान के बारे में जानकारी देते हुए bjp के SC मोर्चा के प्रमुख लाल सिंह आर्य ने कहा कि इस अभियान के तहत यह सुनिश्चित किया जाएगा कि केंद्रीय योजना ज़मीनी स्तर पर लोगों तक पहुंचे। योजनाओं के संबंध में कैसे आवेदन किया जाए इसको लेकर भी bjp की टीम लोगों की मदद करेगी। उन्होंने आगे कहा कि, इस अभियान के तहत दलित / वंचित परिवारों को केंद्र सरकार की योजनाओ का लाभ पहुंचाने की पूरी तैयारी की जाएगी। इस दौरान वंचित लोगों को तुरंत लाभ दिलाने की कोशिश भी की जाएगी।

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अभियान के बाद बड़ा जश्न :

जानकारी के मुताबिक 21 दिनों के इस अभियान की समाप्ति के बाद दिल्ली के ताल कटोरा स्टेडियम में एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। उम्मीद जताई जा रही है कि इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शिरकत करेंगे। बहरहाल, दलितों की और दलित वोट बैंक साधने की जिस कवायद में bjp लगी है उसमें कुछ अड़चने आना लाज़मी है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि दलित बहुल इलाकों में भाजपा की स्थिति मजबूत नहीं है।

 

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हिंदुस्तान की रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब में 34 फीसदी आबादी दलितों की हैं। हिमाचल प्रदेश में यह 25 तो पश्चिम बंगाल में 24 फीसदी है। यह तीनों ही राज्य भाजपा की पकड़ से कोसो दूर हैं। वहीं अनुसूचित जाति और जनजाति बहुल राज्य राजस्थान, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ में से सिर्फ दो राज्यों में बीजेपी की सरकार है।

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