संसद के दोनों सदनों में अब अंससदीय शब्दों पर लगेगी लगाम, लोकसभा सचिवालय ने जारी की गाइड लाइन

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दिल्ली ब्यूरो: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 11 जुलाई को देश की निर्माणाधीन पार्यलियामेंट (New Parliament) पर बने राष्ट्रीय प्रतीक (National Symbol) अशोक स्तम्भ (Ashok Stambh) का उद्घाटन किया गया था. जिसको लेकर विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार (Central Government) को आड़े हाथों लिया था. यह विवाद अभी थमा भी नही कि दूसरी तरफ देश की संसद से जुड़ा एक और विवाद तुल पकड़ता जा रहा है. जानकारी के मुताबिक संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में अब अंससदीय (अमर्यादित) शब्दों के प्रयोग को लेकर एक गाइड लाइन जारी की गई है. जिसपर अब विपक्ष फिर एक बार केंद्र सरकार को घेरता नजर आ रहा है. संसद सचिवालय द्वारा जारी की गई इस गाइड लाइन को लेकर तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा और शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने नाराजगी जाहिर की है.

 बीजेपी भारत को नष्ट कर रही है

तृणमूल कांग्रेस की सासंद महुआ मोइत्रा ने नई गाइड लाइन पर आपत्ति जताते हुए ट्विटर पर लिखा कि बैठ जाइए. बैठ जाइए. प्रेम से बोलिए. लोकसभा और राज्यसभा की नई असंसदीय शब्दों की सूची में संघी (आरएसएस) शब्द शामिल नही है. मूल रूप से सरकार ने विपक्ष द्वारा इस्तेमाल किए गए सभी शब्दों को रोकने के लिए यह काम किया है.

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बोलें तो बोलें क्या? सिर्फ वाह मोदी जी वाह!

एक अन्य ट्वीट में शिवसेना की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने एक पुराने मीम का हवाला देते हुए मोदी सरकार को घेरते हुए लिखा कि यह पुराना मीम याद आ गया. अगर करें तो करें क्या, बोलें तो बोलें क्या? सिर्फ वाह मोदी जी वाह! यह पॉप्युलर मीम अब सच्चाई होती नजर आ रही है.

किन शब्दों को माना जाएगा अंससदीय?

आपको बता दें कि लोकसभा सचिवालय ने अंससदीय शब्द 2021 शीर्षक के तहत ऐसे शब्दों की लिस्ट तैयार की गई है. जिसमें लोकसभा और राज्यसभा सहित देश के अन्य राज्यों की विधानमंडलों को शामिल किया गया है. इसके अलावा दोनों सदनों में कार्यवाही में हिस्सा लेने वाले सांसद चर्चा के दौरान जुमलाजीवी, जयचंद, चांडाल, शकुनी, लॉलीपॉप, पिट्ठू जैसे शब्दों को दोनों सदनों में इस्तेमाल नही करेगें. लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी नई गाइड लाइन के अनुसार, ऐसे शब्दों के इस्तेमाल को अमर्यादित आमचरण माना जाएगा और ये सदन की कार्यवाही का हिस्सा नही होंगे.

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