साल 2021 में प्रवीण कुमार ने पुलिस विभाग की नौकरी छोड़ दी और उन्होंने राजनीति की दुनिया में कदम रखा जब “बहुजन समाज पार्टी” (BSP) सुप्रीमो मायावती ने 2021 में उन्हें BSP पार्टी से जोड़ा…
IPS की नौकरी छोड़ बसपा से जुड़कर राजनीति में आने वाले प्रवीण कुमार के बारे में बता रही हैं उषा परेवा
Who is Dalit Hero Dr.RS Praveen Kumar : भारत की 97 प्रतिशत आबादी दलित, पिछड़े और आदिवासियों की है, जिन्हें हमेशा मुख्यधारा से काट कर रखा गया। इसमें दलित और आदिवासी समाज को सबसे ज़्यादा अलगाव झेलना पड़ा। ये अलगाव कभी जाति आधारित रहा तो कभी रहन सहन आधारित। शिक्षा में आगे नहीं बढ़ने दिया गया, क्योंकि अगर पढ़ लिख लिए होते तो अपने ऊपर हुए ज़ुल्मों का हिसाब मांगते, लेकिन दलित समाज में कुछ वीर भी हुए जिन्होंने ब्राह्मणवादियों की नाक में नकेल कसी।
ऐसे ही दलित और आदिवासी समाज में जन्मे वीर और नायकों के प्रेरणादायक जीवन के बारे में जानना बेहद जरूरी है, इसलिए दलित टाइम्स के एससी-एसटी नायक के कॉलम में आज हम आपको बताएंगे दक्षिण भारत के राज्य तेलंगाना के एकमात्र ऐसे दलित IPS ऑफिसर प्रवीण कुमार के बारे में, जिन्होंने जातिवाद का दंश झेला, लेकिन रुके नहीं। अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया। आज वो लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं।
कौन है RS प्रवीण कुमार
प्रवीण कुमार का जन्म 23 नवंबर 1967 में जोगुलम्बा गड़वाल जिले के आलमपुर में हुआ था। इनके माता पिता दोनों ही पेशे से शिक्षक थे। प्रवीण कुमार की बहन डॉक्टर हैं और उनके भाई प्रोफ़ेसर हैं। प्रवीण कुमार का पूरा नाम “पल्ले शिवा प्रवीण कुमार” हैं और प्रवीण कुमार पूर्व आईपीएस अधिकारी रह चुके हैं। 2021 में प्रवीण कुमार BSP पार्टी से जुड़े और अभी हाल ही में लोकसभा चुनाव के दौरान ये अटकलें लगाई जा रही हैं कि BSP सुप्रीमों मायावती किसी दूसरी पार्टी के साथ गठबंधन करने के लिए तैयार हैं, जबकि इस पर बसपा प्रदेश अध्यक्ष आरएस प्रवीण कुमार ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि “चुनावी गठबंधन या तीसरा मोर्चा बनाने की खबरें फर्जी और गलत हैं”। बसपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा था कि बसपा प्रमुख ने कई मौकों पर स्पष्ट किया है कि पार्टी किसी भी राष्ट्रीय पार्टी, एनडीए या इंडिया ब्लॉक के साथ गठबंधन नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि मायावती ने उन पार्टियों के बारे में कुछ नहीं कहा जो किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं।
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अपमान और सामाजिक भेदभाव झेला
आम जनता और युवकों के बीच प्रवीण कुमार आम लोगों की तरह व्यवहार करते हैं। अपने व्यवहार की वजह से प्रवीण कुमार तेलंगाना के आदिवासी, दलितों और पिछड़ों के दिलों पर राज करते हैं। आपकों बता दें कि प्रवीण कुमार का बचपन काफी मुश्किलों से भरा हुआ था। उनका बचपन गरीबी में बीता था। ऐसा भी कहा जाता है कि उन्होंने अपमान और सामाजिक भेदभाव भी झेला था। लेकिन उनके माता पिता उन्हें हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते रहते थे। प्रवीण कुमार ने हावर्ड यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई पूरी की थी और साल 1995 में वह आईपीएस ऑफिसर बने।
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हाशिये के छात्रों के कल्याण के लिए काम किया
प्रवीण कुमार तकरीबन 17 वर्ष तक पुलिस सेवा में रहे और उनका सपना था कि वह हाशिये के छात्रों के कल्याण के लिए काम करें। अपने इस सपने को साकार करने के लिए उन्होंने “तेलंगाना वेलफेयर रेजिडेंशियल एजुकेशनल इंस्टिट्यूशन सोसाइटी” (TSWREIS) में काम करने का चुनाव किया। इस संदर्भ में तेलंगाना सरकार ने अनुसूचित जाति ( SC ) समुदाय के सामाजिक आर्थिक और शैक्षणिक को ध्याम में रखते हुए बिना किसी आर्थिक बोझ के अनुसूचित जाति ( SC) वर्ग के लिए अलग स्कूलों की शुरुआत की थी। इन स्कूलों को शुरु करने का उद्देश्य अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों को शिक्षा के लिए बेहतर मंच प्रदान करना था। 268 एजुकेशनल इंस्टिट्यूट वाली यह सोसायटी 1,50,000 स्टूडेंट्स को ग्रेजुएशन तक इंग्लिश मीडियम में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करती है। प्रवीण कुमार को राष्ट्रपति पुलिस पदक से भी सम्मानित किया जा चुका है।
तेलंगाना के सरकारी स्कूली बच्चों के कल्याण के लिए काम किया
जब प्रवीण कुमार तेलंगाना सरकार में सोशल वेलफेयर रेजिडेंशियल एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस सोसाइटी और तेलंगाना ट्राइबल वेलफेयर रेजिडेंशियल एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस सोसाइटी के सचिव के तौर पर काम करते थे तब उन्होंने तेलंगाना के सरकारी स्कूली बच्चों के कल्याण के लिए कईं काम किए थे। तेलंगाना के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के माता पिता ज़्यादातर पशुपालक या दिहाड़ी मजदूर हुआ करते थे। विद्यार्थियों में आत्मविश्वास भरने के लिए स्कूलों में शीशे भी लगवाएं गए थे, ताकि बच्चे शीशे में देखकर अंग्रेजी में बात कर सके। इन स्कूलों में एक ऐसा नक्शा भी लगा होता था जिसमें ये बताया गया था कि ‘बच्चो आपको यहां से पढ़कर उच्च शिक्षा के कोलंबिया या हावर्ड यूनिवर्सिर्टी जाने का लक्ष्य रखना है। मालूम हो कि दिल्ली सरकार में सरकारी स्कूलों की बेहतरी का कार्य शुरू करने से पहले आप सरकार ने एक टीम तेलंगाना भेजी थी।
स्वैरो नाम का संगठन चलाया
प्रवीण कुमार सामाजिक कार्य करना चाहते थे और उनका कहना था कि दलित शब्द दमन का प्रतीक है। आपको बता दें कि प्रवीण कुमार स्वैरो ( SWERO) नाम का संगठन भी चलाते हैं और इसमें SW का मतलब सोशल वेलफेयर है और AERO का मतलब आकाश है। इसकी व्याख्या करते हुए प्रवीण कुमार कहते हैं कि जिन लोगों ने सामाजिक अपमान झेला है अब उनके उठ खड़े होने का वक्त आ गया है। इस संगठन के लिए काम करने वालों को सामाजिक कल्याण का काम करना है और हाशिये पर खड़े लोगों को आकाश की ऊंचाई तक पहुंचाना है। इस संगठन से दलित, ओबीसी और पिछड़े समुदाय से आने वाले आईएस और आईपीएस या बड़े अधिकारी जुड़े हैं जो संगठन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए हर तरह से मदद करते हैं।
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साल 2021 में BSP पार्टी से जुड़ें :
साल 2021 में प्रवीण कुमार ने पुलिस विभाग की नौकरी छोड़ दी और उन्होंने राजनीति की दुनिया में कदम रखा जब “बहुजन समाज पार्टी” (BSP) सुप्रीमो मायावती ने 2021 में उन्हें BSP पार्टी से जोड़ा। 2023 में प्रवीण कुमार तेलंगाना के चुनाव में मुख्यमंत्री चेहरा बनकर भी सामने आए। प्रवीण कुमार ने तेलंगाना सरकार के “सोशल वेलफेयर रेजिडेंशियल एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस सोसाइटी” और “तेलंगाना ट्राइबल वेलफेयर रेजिडेंशियल एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस सोसाइटी” के सचिव के तौर पर भी बेहतर काम किया था।
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IPS अधिकारी प्रवीण कुमार की उपलब्धियां
1) KG से PG शिक्षा प्लान तैयार किया।
2) आठ सालों में स्कूलों की संख्या 250 से 400 तक कर दी।
3) OBC SC ST वर्ग से हर साल 189 डॉक्टर्स बनते हैं।
4) देश को बेहतर पायलट और एविएशन इंजीनियर देना।
5) 2 लाख से छात्रों की संख्या 2.5 लाख तक पहुंचा दी।
6) भीम दीक्षा योजना।
7) माता-पिता उत्सव योजना।
8) आंबेडकर ज्ञान केंद्र।
9) प्रतिज्ञा दिवस।
10) व्यावसायिक प्रशिक्षण।
*दलित टाइम्स उन करोड़ो लोगो की आवाज़ है जिन्हें हाशिए पर रखा गया है। *
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