बीते दिनों सोशल मीडिया पर बाबा साहेब अंबेडकर को भारत रत्न दिए जाने पर बहुत सी बातें हुई। लेकिन हर जगह सवाल बस एक ये किया गया कि बाबा साहेब अंबेडकर को भारत रत्न से सम्मानित करने में 34 साल क्यों लग गए। लेकिन कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं हुआ कि बाबा साहेब को भारत रत्न दिलवाने में सबसे बड़ा योगदान किसका था। दलित हिस्ट्री मंथ की इस अगली वीडियो में आज हम आपकों यही बताएंगे।
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भारत को आज़ाद हुए 75 साल हो चुकें हैं। इन 75 सालों में 48 लोगों को भारत रत्न से सम्मानित किया जा चुका है। जिनमें 32 लोगों को जीते जी भारत रत्न दिया गया है। वहीं 16 लोग ऐसे हैं जिन्हें मृत्यु के पश्चात भारत रत्न से सम्मानित किया गया है। और इन्हीं 16 लोगों को लिस्ट में बाबा साहेब अंबेडकर का नाम भी शामिल है।
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बाबा साहेब की मृत्यु 1956 में हुई थी। अपने पूरे जीवन में बाबा साहेब अंबेडकर ने सामाजिक आंदोलन चलाए, जातिवाद के खिलाफ जमकर लोहा लिया। उन्होंने भारत का संविधान लिखा, विश्व की सबसे सबसे पढ़े लिखे शख्सियतों में उनका नाम गर्व से लिया जाता है। विश्व स्तर पर उन्हें सिंबल ऑफ नॉलेज यानी ज्ञान का प्रतीक माना गया है।
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लेकिन फिर भी कांग्रेस सरकार ने बाबा साहेब अंबेडकर को भारत रत्न के काबिल नहीं समझा। जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी कांग्रेस के वो नेता रहें जिन्हें उनके जीवन काल में ही भारत रत्न घोषित कर दिया गया था। नेहरू को 1955 में तो इंदिरा गांधी ने खुद को 1971 में भारत रत्न से सम्मानित करवा लिया। ये दोनों वो साल थे जब देश में कांग्रेस की सरकार थी।
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लेकिन जो काम कांग्रेस ने नहीं किया वो काम BSP और मान्यवर कांशीराम ने कर दिखाया। बात साल 1989 की है। देश में लोकसभा चुनाव हुए औऱ इन चुनावों में कांग्रेस को भारी क्षती उठानी पड़ी। 248 सदस्यों के समर्थन के साथ देश में वीपी सिंह की गठबंधन की सरकार बनी। इन चुनावों में BSP को 4 सीटें मिली थी। वीपी सिंह की सरकार में मान्यवर कांशीराम ने लगातार मंडल कमीशन को लागू करने औऱ बाबा साहेब को भारत रत्न देने की मांग उठाई थी। ये कांशीराम का करीशमा ही था वीपी सिंह की सरकार में मंडल आयोग की रिपोर्ट लागू हुई। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम बनाया गया। और साथ ही बाबा साहेब अंबेकर को भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
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BSP सुप्रीमों मायावती ने 25 अप्रैल 2019 को यूपी के कन्नौज में एक सभा के दौरान कहा था। अंबेडकरवादियों को यह पता होना चाहिए कि बाबा साहेब अंबेडकर को कोई भी पार्टी भारत रत्न मानने के लिए तैयार नहीं थी। बाबा की जीवनकाल में और मृत्यू के बाद बाबा साहेब के अनुयायी लगातार सरकारों से ये मांग करते रहे कि उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किय़ा जाए लोकिन कांग्रेस की सरकार ने अपने कार्यकाल में ऐसा होने नहीं दिया। 1989 में जब सत्ता का परिवर्तन हुआ और वीपी सिंह की सरकार बनी तब BSP ने उन्हें बाहर से समर्थन दिया और मांग रखी की पिछड़ी जातियों के लिए मंडल कमीशन लागू किया जाए औऱ बाबा साहेब अंबेडकर को भारत रत्न से नवाज़ा जाए।
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इस तरह BSP ने बाबा साहेब अंबेडकर को भारत रत्न दिलवाने का काम किया। अगर BSP उस वक्त संसद में नहीं होती तो शायद आज भी बाबा साहेब अंबेडकर को भारत रत्न की उपाधी नहीं जा जाती।
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