हाल ही में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य रायबरेली में हुए ‘कांशीराम प्रतिमा के अनावरण कार्यक्रम’ में शामिल हुए थे। कार्यक्रम के दौरान स्वामी प्रसाद ने माइक संभालते ही विपक्ष पार्टी बसपा पर जोरदार धावा बोल दिया। उन्होंने हजारों की भीड़ में बसपा पर निशाना साधते हुए कहा कि बसपा अपनी नीतियों से भटक गई है, उसका पूरी तरह सफाया हो चुका है।
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स्वामी प्रसाद मौर्य ने कार्यक्रम के बीच में तीखे बयान देते हुए 1993 वाला दौर याद दिला दिया। उन्होंने कहा कि ‘जब-जब भाजपा का आतंक बढ़ा है, तब-तब इस देश के गरीब मजलूम अपने-अपने सम्मान की हुंकार भरकर एक साथ खड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि आज फिर वही हालात बन चुके हैं जो कभी 1993 के पहले थे। स्वामी ने कहा कि उस समय देश को हिंदू-मुस्लिम में बांटने की कोशिश की गई थी। उस समय देश के दो बड़े नेता मुलायम सिंह यादव और कांशीराम ने भाजपा को सबक सिखाने के लिए गठबंधन किया था। उस समय एक नारा भी ज़ोरो शोरो से गूंजा था।‘ वहीं स्वामी ने उस गठबंधन की याद दिलाते हुए भाजपा पर भी निशाना साधा उन्होंने कहा कि उस समय भाजपा का सफाया हो गया था।
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विधायकों के लिए तरस रही हैं मायावती :
‘कांशीराम प्रतिमा के अनावरण कार्यक्रम’ के दौरान स्वामी प्रसाद ने बीएसपी सुप्रीमों मायावती पर कटाक्ष करते हुए यह भी कहा कि ‘इस बार मायावती विधायकों तक के लिए तरस रही हैं। बसपा की नेता आज परेशान हैं, उन्हें लगता है बचा खुचा हमारा जनाधार अब सपा वाले लेके ही रहेंगे। बसपा पर तंज कसते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने आगे कहा कि अभी तो एक धक्का ही दिया था तो बहन जी का बिस्तर बंध गया था और वह दिल्ली पहुंच गई थीं, वहीं यूपी में बसपा का एक भी विधायक न होने को लेकर पूर्व मंत्री बोले, ये स्वामी प्रसाद मौर्य काही झटका था।’

विवाद वाले सपा नेता पर मुकदमा :
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स्वामी प्रसाद के तीखे बयानों के जवाब में बसपा नेता मायावती ने ट्वीट कर कहा है ‘की मौजूदगी में ’मिले मुलायम-कांशीराम, हवा में उड़ गए जय श्रीराम’ नारे को लेकर रामचरित मानस विवाद वाले सपा नेता पर मुकदमा होने की खबर आज सुर्खि़यों में है। वास्तव में यूपी के विकास व जनहित के बजाय जातिवादी द्वेष एवं अनर्गल मुद्दों की राजनीति करना सपा का स्वभाव रहा है।’
1.सपा प्रमुख की मौजूदगी में ’मिले मुलायम-कांशीराम, हवा में उड़ गए जय श्रीराम’ नारे को लेकर रामचरित मानस विवाद वाले सपा नेता पर मुकदमा होने की खबर आज सुर्खि़यों में है। वास्तव में यूपी के विकास व जनहित के बजाय जातिवादी द्वेष एवं अनर्गल मुद्दों की राजनीति करना सपा का स्वभाव रहा है।
— Mayawati (@Mayawati) April 5, 2023
1993 में BSP को बदनाम करने की नियत थी :
वहीं स्वामी प्रसाद मौर्य ने जहां 1993 वाला दौर याद दिलाते हुए बसपा पर तंज कसा उसके जवाब में बसपा सुप्रीमो मायावती ने पलटवार करते हुए ट्वीट करते हुए कहा है- ‘ यह हकीकत लोगों के सामने बराबर आती रही है कि सन 1993 में मान्यवर श्री कांशीराम जी ने सपा-बसपा गठबंधन मिशनरी भावना के तहत बनाई थी, किन्तु श्री मुलायम सिंह यादव के गठबंधन का सीएम बनने के बावजूद उनकी नीयत पाक-साफ न होकर बसपा को बदनाम करने व दलित उत्पीड़न को जारी रखने की रही।’
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सपा से सावधान रहें दलित :
बसपा सुप्रीमों मायावती ने स्वामी प्रसाद मौर्य के तीखे बयान की निंदा करते हुए कहा कि- सपा अपनी सोची समझी साजिश के चलते ऐसा कर रही है। वहीं आगे मायावती ने कहा कि ‘इसी क्रम में उस दौरान अयोध्या, श्रीराम मन्दिर व अपरकास्ट समाज आदि से सम्बंधित जिन नारों को प्रचारित किया गया था वे बीएसपी को बदनाम करने की सपा की शरारत व सोची-समझी साजिश थी। अतः सपा की ऐसी हरकतों से खासकर दलितों, अन्य पिछड़ों व मुस्लिम समाज को सावधान रहने की सख्त जरूरत।’
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