तमिलनाडु के थेनमुदियानूर में दलितों ने किया मंदिर में प्रवेश तो सवर्णों ने मचाया बवाल, बनाया अलग पूजास्थल

Share News:

मामला तमिलनाडु का है जहां पर दलितों  के मंदिर में प्रवेश करने पर सवर्ण लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया और यहां तक कि सवर्णों ने अपने लिए अलग स्थान पर मूर्ति की स्थापना कर ली और  मंदिर बनाने के लिए सरकारी भूमि पर कब्जा किया। क्या है पूरा मामला आइए जानते हैं।

यह भी पढ़ें :संभल में 26 जनवरी के कार्यक्रम में ‘जय भीम-जय भारत’ के नारे लगाने पर दलित युवक की पिटाई

दलितों के मंदिर में  प्रवेश करने पर जुलूस:

इस घटना की शुरुआत पिछले साल 30 जनवरी 2023 से हुई थी। दरअसल तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई ज़िले के थंडारामपेट के पास थेनमुदियानूर गाँव के सैकड़ों दलितों ने 80 सालों में पहली बार मुथुमरियम्मन मंदिर में प्रवेश किया, तो यह तमिलनाडु सरकार की नज़र में ऐतिहासिक कदम के रूप में प्रचलित हुआ। लेकिन इस बात से नाराज़ गांव के सवर्ण लोगों ने मंदिर में जाना छोड़ दिया था। और सवर्ण लोगों ने मंदिर से दूर एक अलग स्थान पर एक नई मुथुमरियम्मन मूर्ति स्थापना की और उस मूर्ति की पूजा भी करने लगे। यहां तक कि 22 जनवरी, 2024 को सवर्ण लोगों नें गांव भर में दलितों के मंदिर में प्रवेश करने के खिलाफ जुलूस भी निकाला था।

यह भी पढ़ें :एक ऐसा अनोखा बैंड, जिसने गरीबी से लड़ रहीं बिहार की दलित महिलाओं को बना दिया आत्मनिर्भर

मंदिर को सात महीनें तक बंद रखा गया:

आपकों बता दें कि मुथुमरियम्मन मंदिर 80 साल पुराना है और पिछले 30 सालों से तमिलनाडु हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग (एचआर एंड सीई)ने इसे नियंत्रण में किया हुआ था। पिछले साल जब जनवरी में दलित निवासी पहली बार पुलिस सुरक्षा के साथ मंदिर में प्रवेश कर रहे थे, तब उदयार, अगामुदैयार, रेड्डी, नायडू, चेट्टियार और वन्नियार समुदायों के ग्रामीणों ने मंदिर के बाहर उनके प्रवेश करने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। इस बात को ध्यान में रखते हुए कि कोई अप्रिय घटना न हो इसलिए मंदिर को बाद मों सील कर दिया गया था। और पुलिस सुरक्षा भी बढ़ा दी गई थीं। जातिगत हिंसा के डर से मंदिर को तकरीबन 7 महीने तक बंद रखा गया था।

यह भी पढ़ें :UP में 57 प्रतिशत दलितों के पास नहीं जमीन, चौरी-चौरा में 29 जनवरी को लाखों भूमिहीन निकालेंगे जन आक्रोश मार्च

सरकारी भूमि पर कब्जा करने का आरोप :

टीनएम से बात करते हुए गांव के दलितों ने सवर्ण लोगों पर एक नया मंदिर बनाने के लिए सरकारी पोराम्बोक भूमि पर कब्जा करने का आरोप लगाया था। इस मामले पर थेनमुदियानूर के एक दलित निवासी सी मुरुगन ने कहा, “यह स्पष्ट है कि संवर्ण समुदाय के ग्रामीण सामुदायिक तालाब के पास एक नया मंदिर बनाने पर विचार कर रहे हैं, जैसा कि मूर्ति जुलूस और तालाब के पास पूजा से संकेत मिलता है।

यह भी पढ़ें :कर्नाटक में दलित छात्र की पिटाई के बाद जबरन जय श्रीराम के नारे लगवाने का आरोप, वीडियो वायरल

पूर्व पंचायत अध्यक्ष ने क्या कहा?

दूसरी ओर उदयार समुदाय के पूर्व पंचायत अध्यक्ष नल्लाथंबी ने मुरगन द्वारा लगाए गए आरोप का नहीं खंडन किया कि संवर्ण लोग एक नया मंदिर बना सकते हैं बल्कि उन्होंने इस मामले पर दवा करते हुए कहा है, “अगर हम एक नया मंदिर बनाते हैं, तो इसका निर्माण पट्टा भूमि पर किया जाएगा, न कि पोरम्बोक भूमि पर। पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मौजूदा मुथुमरियम्मन मंदिर में पूजा करने के खिलाफ गांव में सवर्ण हिंदुओं पर कोई सामाजिक प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। उन्होंने कहा, ‘दलितों के प्रवेश के बाद सवर्ण लोगों ने मंदिर में जाने से इनकार कर दिया.’
थांडारामपेट तहसीलदार अब्दुल रहीम ने यह भी कहा कि “सामुदायिक तालाब के पास की जमीन केवल पोंगल पकाने के लिए साफ की गई थी, और वहां मंदिर बनाने की कोई योजना नहीं थी।“

यह भी पढ़ें :बाबा साहेब अंबेडकर ने क्यों कहा था कि “शिक्षा वह शेरनी का दूध है जो पियेगा वही दहाड़ेगा”

 

मुथुमरियम्मन मंदिर, तमिलनाडु इमेज क्रेडिट गूगल

समारोह में शामिल नहीं किया गया:

गांव के दलित निवासी साथियाशीलन ने टीएनएम को बताया कि उन्होंने 15 जनवरी को पोंगल उत्सव के बाद मंदिर के 12 दिवसीय उत्सव का हिस्सा बनने की अनुमति देने के लिए एचआर एंड सीई के साथ एक याचिका भी दायर की थी, लेकिन इस साल भी उनके इस अनुरोध को स्वीकार नहीं किया गया। दलित निवासियों द्वारा लंबे समय से मांग की जा रही है कि उन्हें समारोह में शामिल किया जाए, लेकिन एचआर एंड सीई द्वारा भी इस पर कभी ध्यान नहीं दिया गया है।

यह भी पढ़ें :यूपी के औरेया में दलित मजदूर की बेरहमी से हत्या, 2 साल पहले मां का भी कर दिया था बेरहमी से कत्ल

मंदिर में प्रवेश नहीं करेंगे:

गांव के निवासी मुरुगन ने बताया कि दलित ग्रामीणों ने पोंगल के व्यंजन बनाए और 15 जनवरी को मंदिर परिसर के अंदर ही देवता को इन्हें अर्पित किया गाया। उन्होंने कहा, कि ‘उस दिन भी सवर्ण लोगों ने कहा कि वे उस मंदिर में प्रवेश नहीं करेंगे जो गांव के अनुसूचित जाति (SC) के निवासियों के लिए खोला गया है।

यह भी पढ़ें :बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री “कर्पूरी ठाकुर” जिन्होंने कार नहीं खरीदी रिक्शे से करते थे सफ़र

एचआर एंड सीई विभाग की कोई प्रतिक्रिया नहीं :

इस पूरी घटना को जानने के बाद टीएनएम ने सवर्ण लोगों द्वारा नई मूर्ति स्थापित करने और पोंगल के बाद के उत्सवों में भाग लेने के लिए दलितों को अनुमति न देने के संबंध में एचआर एंड सीई विभाग से संपर्क करने के कई प्रयास किए, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। इसके अलावा टीएनएम ने तिरुवन्नामलाई के एसपी कार्तिकेयन और जिला कलेक्टर बी मुरुगेसन से भी यह जानने की कोशिश की कि दलितों के खिलाफ अत्याचारों के लिए एक गांव में आखिर इस तरह के मूर्ति जुलूस को आयोजित करने की अनुमति क्यों दी गई?

यह भी पढ़ें :यूपी के औरेया में दलित मजदूर की बेरहमी से हत्या, 2 साल पहले मां का भी कर दिया था बेरहमी से कत्ल

दलितों के खिलाफ हिंसा :

आपकों बता दें कि दलितों के मंदिर में प्रवेश करने पर सवर्ण लोगों ने कुछ दिनों में ही दलितों के खिलाफ सामाजिक और आर्थिक बहिष्कार करने को कहा बल्कि उनके खिलाफ सवर्णों ने हिंसा की लहर फैला दी थी। सवर्णों ने दलितों के स्वामित्व वाले छोटे खेतों में पानी की आपूर्ति काट दी, गांव के कई दलित मजदूरों को उनकी नौकरियों से हटा दिया गया। गांव में एक दलित अकेली महिला की एक छोटी सी दुकान को जलाकर राख कर दिया गया था और इस तरह के कई दलितों के खिलाफ दूसरे अपराध भी किए थे।

यह भी पढ़ें :राम शोभायात्रा के दौरान आजमगढ़ में भिड़े दो समुदाय, भारी हंगामे के बाद पुलिस तैनात

अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज:

इस मामले में पुलिस ने अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) “अत्याचार निवारण अधिनियम” के तहत मामला दर्ज करने के लिए कानून द्वारा बाध्य थी जबकि कुछ मामलों में पुलिस प्राथमिकी दर्ज करना नहीं चाहती थीं।

*दलित टाइम्स उन करोड़ो लोगो की आवाज़ है जिन्हें हाशिए पर रखा गया है। *

महिला, दलित और आदिवासियों के मुद्दों पर केंद्रित पत्रकारिता करने और मुख्यधारा की मीडिया में इनका प्रतिनिधित्व करने के लिए हमें आर्थिक सहयोग करें।

  Donate

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *