‘पुजारी ग्रंथी सम्मान योजना’ में वाल्मीकि और रविदास मंदिरों के पुजारियों को शामिल न करने पर कांग्रेस नेता उदित राज ने केजरीवाल सरकार पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाया। उन्होंने इसे जातिगत भेदभाव बताते हुए कहा कि यह योजना दलित समाज की उपेक्षा का प्रमाण है। इस भेदभाव के खिलाफ वाल्मीकि और रविदास मंदिरों के पुजारियों ने जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की है।
दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार की ‘पुजारी ग्रंथी सम्मान योजना’ को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस नेता उदित राज ने इस योजना को सीधे तौर पर दलित समाज के साथ भेदभावपूर्ण बताया है। योजना के तहत केवल मंदिरों के पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों को 18,000 रुपये मासिक वेतन देने का प्रावधान है, लेकिन वाल्मीकि और रविदास मंदिरों के पुजारियों को इसमें शामिल नहीं किया गया। उदित राज ने इस मुद्दे पर कड़ा विरोध जताते हुए इसे दलित समाज की उपेक्षा का ज्वलंत उदाहरण करार दिया। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार का यह कदम वाल्मीकि और रविदास समाज के प्रति उनकी उदासीनता और जातिगत भेदभाव को दर्शाता है।
वाल्मीकि और रविदास मंदिरों के पुजारियों की नाराजगी
इस योजना के खिलाफ वाल्मीकि और रविदास मंदिरों के पुजारियों ने मोर्चा खोल दिया है। सोमवार को जंतर मंतर पर होने वाले विरोध प्रदर्शन में ये पुजारी दिल्ली सरकार से अपनी मांगे मनवाने का प्रयास करेंगे। उनका कहना है कि यह योजना धर्म और जाति के आधार पर पक्षपातपूर्ण है। वाल्मीकि और रविदास मंदिरों के पुजारियों को जानबूझकर इस योजना से बाहर रखा गया है, जिससे दलित समाज में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
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केजरीवाल पर कांग्रेस का निशाना
कांग्रेस ने केजरीवाल सरकार पर जमकर निशाना साधा है। कांग्रेस नेता उदित राज ने कहा कि आम आदमी पार्टी दलितों के साथ न्याय करने में नाकाम रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि केजरीवाल ने पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान एक दलित को उपमुख्यमंत्री बनाने का वादा किया था, लेकिन वह वादा अब तक अधूरा है। उन्होंने यह भी बताया कि AAP ने अपने 11 राज्यसभा सांसदों में से एक भी अनुसूचित जाति या पिछड़ा वर्ग से नहीं चुना है। इससे यह साफ होता है कि पार्टी का एजेंडा केवल दिखावे और वादों तक सीमित है।
क्या है कांग्रेस की रणनीति?
कांग्रेस इस मुद्दे को पूरी ताकत से भुनाने की कोशिश कर रही है। दलित पुजारियों की इस नाराजगी को आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में एक बड़े राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। कांग्रेस ने इस योजना को ‘दलित विरोधी’ करार देते हुए केजरीवाल सरकार पर जमकर हमला बोला है। उदित राज ने कहा कि यह मुद्दा न केवल दिल्ली बल्कि पूरे देश के दलित समुदाय को जागरूक करने का अवसर है कि कैसे AAP दलित समाज के हक और सम्मान को नजरअंदाज करती है।
विरोध प्रदर्शन के चुनावी परिणाम
जंतर मंतर पर वाल्मीकि और रविदास मंदिरों के पुजारियों का विरोध प्रदर्शन केजरीवाल सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है। आगामी विधानसभा चुनाव में यह मामला AAP के खिलाफ राजनीतिक माहौल तैयार कर सकता है। दलित वोट बैंक में सेंध लगने का डर न केवल AAP बल्कि कांग्रेस के लिए भी एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। कांग्रेस ने खुद दलित समाज को समर्थन देने के वादे तो किए हैं, लेकिन उनके वादों और कामों में तालमेल की कमी रही है।
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कांग्रेस और AAP, दोनों के खिलाफ गुस्सा
दिल्ली के दलित समाज का कहना है कि दोनों पार्टियां केवल चुनाव के समय ही उनकी चिंता करती हैं। कांग्रेस ने लंबे समय तक शासन किया, लेकिन दलित समाज की स्थिति में कोई खास सुधार नहीं हुआ। वहीं, AAP ने भी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। ऐसे में यह विरोध प्रदर्शन दलित समाज के गुस्से और हक की लड़ाई का प्रतीक बनता जा रहा है।
निष्कर्ष
केजरीवाल सरकार की ‘पुजारी ग्रंथी सम्मान योजना’ ने दलित समाज को असंतोष से भर दिया है। कांग्रेस इस मुद्दे को भुनाने की पूरी कोशिश कर रही है, लेकिन दलित समुदाय को अब दोनों पार्टियों पर भरोसा कम होता दिख रहा है। आगामी विधानसभा चुनाव में यह मामला न केवल AAP की मुश्किलें बढ़ा सकता है बल्कि कांग्रेस को भी आत्मचिंतन करने पर मजबूर कर सकता है।
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