OBC समुदाय के लोगों ने दलित को गरबा करने से रोका, जातिसूचक गालियों देकर पीटा

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मामला गुजरात के खेड़ा शहर का है। जहां एक 20 वर्षीय  दलित युवक ने आरोप लगाया है कि गरबा स्थल में घुसने पर ठाकोर समुदाय के लोगों ने उन पर और उसके समुदाय पर हमला कर दिया। युवक ने आरोप लगाया है कि उसके समुदाय के साथ दुर्व्यवहार किया गया, परेशान किया गया और पीटा गया। क्या है पूरा मामला आइए विस्तार से जानते हैं।

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दरअसल 20 साल के दलित युवक जितेंद्र परमार गुजरात के खेड़ा तालुका के सनखुर्द गांव के रहने वाले हैं। जितेंद्र  ने रविवार 29 अक्टूबर को एक शिकायत दर्ज कराई थी। फार्मास्यूटिकल्स कंपनी में काम करने वाले जितेंद्र ने अपनी शिकायत में बताया कि वह 24 अक्टूबर मंगलवार को गांव के महाकाली चौक पर 11 वर्षीय चचेरे भाई के साथ गरबा स्थल पर गए थे। गरबा स्थल में घुसने पर ठाकोर समुदाय के लोगों ने उन पर हमला कर दिया।

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GARBA VENUE

क्या है पूरा मामला:

जितेंद्र ने अपनी शिकायत में बताया कि वह जब 25 अक्टूबर बुधवार को करीब डेढ़ बजे अकेले गरबा कर रहे थे। तभी वहां ठाकोर समुदाय के नरेश चौहान, अरविंद चौहान, विजत चौहान, अमृत चौहान और रमेश गोहेल उनके पास आए और उन्हें जातिसूचक गालियां देने लगे और परेशान करने लगे।

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कौन होते हैं ठाकोर ?

ठाकोर समुदाय सबसे अधिक गुजरात में पाया जाता है। जो कोली जाति की उपजाति है। यह दोनों (ठाकोर और कोली) अन्य पिछड़ा वर्ग में आती है”।

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आरोपियों ने कहा जान से मार देंगे

जितेंद्र ने यह भी बताया कि उन्हें कार्यक्रम स्थल में प्रवेश करने पर उनके साथ मारपीट की गई। जब दलित समुदाय के लोग उन्हें बचाने आए तब उनके साथ भी मारपीट की गई थी। शिकायत में जितेंद्र ने यह भी बताया कि आरोपियों ने उन्हें धमकी भी दी कि अगर फिर से उन्हें गरबा स्थल में देखा गया तो उन्हें जान से मार दिया जाएगा।

 

DALIT EXPLOITATION IN GUJARAT, KHEDA

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2018 में क्या हुआ था ?

जितेंद्र ने यह भी बताया कि यह पहली बार नहीं है जब दलितों के साथ अत्याचार हुआ है। 2018 में भी एक दलित लड़के पर केवल इसलिए हमला किया गया था क्योंकि उसने विवाह समारोह में दूसरे समुदाय के लोगों के साथ भोजन किया था। उन्होंने बताया कि दलित समुदाय के लोगों को गांव में सामाजिक या धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल होने की अनुमति नहीं है।

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एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज:

खेड़ा पुलिस ने एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के आरोपों के साथ भारतीय दंड संहिता के तहत गैरकानूनी रूप से एकत्र होने, चोट पहुंचाने और आपराधिक धमकी देने का मामला दर्ज किया है।

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