प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने जल्द से जल्द इस मामले में न्यायिक हस्तक्षेप की मांग करने वाले रेप पीड़िता की ओर से भेजे गए ई-मेल पर विचार करने के बाद शाम करीब साढ़े चार बजे इस मामले की तत्काल सुनवाई की…
SUPREME COURT : हमारे देश में महिला अत्याचार की घटनाएं आज भी थमने का नाम नहीं ले रही हैं। आज भी महिलाओं के साथ अन्याय चरम पर है। अब एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने सुप्रीम कोर्ट को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है। दरअसल 14 साल की रेप पीड़िता ने अपने 28 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की मांग की है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को 14 साल की रेप पीड़िता की मेडिकल जांच का आदेश दिया है। आखिर क्या है पूरा मामला जानते हैं।
ईमेल के ज़रिये गर्भ गिराने की मांग :
दरअसल ये मामला सुप्रींम कोर्ट के सामने तब खड़ा हो गया जब रेप पीड़िता ने ईमेल के ज़रिये अपने 28 सप्ताह के गर्भ को गिराने की मांग कर डाली। इस मामले में रेप पीड़िता की ओर से भेजे गए ई-मेल पर विचार करने के बाद प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने जल्द से जल्द इस मामले में न्यायिक हस्तक्षेप की मांग करने वाले रेप पीड़िता की ओर से भेजे गए ई-मेल पर विचार करने के बाद शाम करीब साढ़े चार बजे इस मामले की तत्काल सुनवाई की।
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महाराष्ट्र के सायन अस्पताल में नाबालिग की मेडिकल जांच :
प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने चार बजे के बाद महाराष्ट्र के सायन अस्पताल में नाबालिग की मेडिकल जांच 20 अप्रैल कराने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही न्यायाधीश ने अस्पताल को ये भी आदेश दिया है कि इस तरह की समाप्ति की अनुमति देने की स्थिति में नाबालिग पर संभावित मानसिक और शारीरिक प्रभावों के बारे में न्यायालय को बताने का निर्देश दिया गया है। इस मामले में पीठ ने यह भी कहा कि अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक एक मेडिकल बोर्ड का गठन करेंगे और इसकी रिपोर्ट सुनवाई की अगली तारीख 22 अप्रैल को अदालत के समक्ष पेश करेंगे।
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पीड़िता की मां ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी :
आपको बता दें कि रेप पीड़िता की मां ने दायर याचिका में बॉम्बे हाईकोर्ट के 4 अप्रैल 2024 के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें गर्भपात की अनुमति देने से इनकार कर दिया गया था। नाबालिग पर कथित तौर पर यौन हमला किया गया और इस संबंध में आईपीसी की धारा 376 और पॉक्सो अधिनियम की धारा 4 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। फिर याचिकाकर्ता द्वारा अदालत में पेश वकील ने कहा था कि वह 28 सप्ताह की गर्भवती है और इस समय मुंबई में है।
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गर्भावस्था को समाप्त करने की अधिकतम सीम 24 सप्ताह :
मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) एक्ट के तहत, विवाहित महिलाओं के साथ-साथ विशेष श्रेणियों में आने वाली महिलाओं के लिए गर्भावस्था को समाप्त करने की अधिकतम सीम 24 सप्ताह है, जिसमें बलात्कार सर्वाइवर, अन्य कमजोर महिलाएं शामिल हैं, जैसे कि अलग-अलग विकलांग और नाबालिग।
प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने महाराष्ट्र के विद्वान वकील को क्या कहा ?
प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने ये भी कहा है कि “हम महाराष्ट्र राज्य के विद्वान वकील से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध करते हैं कि याचिकाकर्ता और बेटी के परिवहन के लिए उचित व्यवस्था की जाए…… अस्पताल की रिपोर्ट 22 अप्रैल को सुबह 10:30 बजे इस अदालत के समक्ष पेश की जाएगी….. मेडिकल बोर्ड इस बात पर भी राय देगा कि क्या नाबालिग बच्चे के जीवन के लिए खतरे के बिना इस स्तर पर गर्भपात किया जा सकता है। सोमवार सुबह 10:30 बजे बोर्ड पर पहले आइटम के रूप में सूचीबद्ध करें। याचिका पर सोमवार (22 अप्रैल) सुबह 10:30 बजे प्राथमिकता से सुनवाई होगी।
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