टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज ने PhD स्कॉलर दलित छात्र को किया सस्पेंड, देश विरोधी गतिविधियों में हिस्सेदारी का लगाया आरोप

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PhD Scholar Dalit student ramadas Prini Sivanandan suspended by TISS :  टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) प्रशासन ने एक दलित पीएचडी स्कॉलर और वामपंथी छात्र नेता रामदास शिवानंदन को दो साल के लिए निलंबित कर दिया है। निलंबित छात्र रामदास प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स फोरम (PSF) के महासचिव भी हैं, उनके निलंबन के बाद से छात्रों में भारी आरोप व्याप्त है। छात्रों का आरोप है कि सरकार के खिलाफ आवाज उठाने के कारण TISS प्रशासन ने दलित छात्र को दो साल के लिए निलंबित किया है।

18 अप्रैल को जारी निलंबन आदेश में छात्र रामदास प्रिंसी शिवानंदन को TISS प्रशासन ने 7 मार्च के कारण बताओ नोटिस का हवाला देते हुए निलंबित किया गया है और उनकी कुछ अन्य गतिविधियों की सूची के साथ मार्च में उनकी भागीदारी पर सवाल उठाया गया है। छात्रों का आरोप है कि सरकारी विरोधी प्रदर्शनों में उनकी सक्रिय भागीदारी और सत्तारूढ़ शासन के खिलाफ उनके रुख के बाद यह निलंबन हुआ।

मीडिया में आई जानकारी के मुताबिक दलित छात्र रामदास पर जंतर-मंतर पर एक विरोध मार्च में भाग लेने का आरोप प्रशासन की तरफ से लगाया गया है। गौरतलब है कि रामदास संसद मार्च नामक मार्च के समन्वयक और वक्ता थे, जिसे जनवरी 2024 में विपक्षी नेताओं और छात्र गठबंधन, यूनाइटेड स्टूडेंट्स ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित किया गया था। इसके अलावा रामदास पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर आनंद पटवर्धन की प्रशंसित डॉक्यूमेंट्री ‘राम के नाम’ देखने के लिए लोगों की सिफारिश करने वाली पोस्ट लिखने का भी आरोप है। गौरतलब है कि ‘राम के नाम’ डॉक्यूमेंट्री अयोध्या में तत्कालीन बाबरी मस्जिद के स्थान पर राम मंदिर बनाने के हिंदुत्व समूहों के अभियान के बारे में है।

मीडिया में खबरों के मुताबिक दलित छात्र रामदास को जो आदेश TISS प्रशासन की तरफ से थमाया गया है, उसके मुताबिक उन पर दो साल के लिए मुंबई, हैदराबाद और तुलजापुर में स्थित TISS के प्रत्येक परिसर में प्रवेश करने से रोक दिया है। TISS प्रशासन का कहना है कि छात्रों का इस तरह की गतिविधियों में संलिप्तता यूनिवर्सिटी के हित में नहीं हैं। जिस तरह TISS प्रशासन ने छात्र को दो साल के लिए सिर्फ एक फेसबुक पोस्ट लिखने और कार्यक्रम में हिस्सेदारी के कारण निलंबित किया गया है उससे लगता है कि TISS प्रशासन छात्रों की जुबान पर ताला जड़ना चाहता है।

TISS में सक्रिय छात्र संगठन प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स फोरम ने दलित छात्र रामदास के निलंबन पर एक बयान जारी किया है और कहा है कि यह छात्रों के खिलाफ एक गंभीर खतरा है। बयान में कहा गया है, “यदि कोई छात्र सार्वजनिक रूप से अपनी राय व्यक्त करने की हिम्मत करता है, तो प्रशासन द्वारा उसको प्रताड़ित किया जायेगा और ‘राष्ट्र-विरोधी’ का लेबल लगाया जाएगा। खासकर यदि छात्र हाशिए की पृष्ठभूमि से आता है। यह एक ऐसे संस्थान में हो रहा है जो अपनी शैक्षणिक उत्कृष्टता और स्वतंत्रता पर गर्व करता है।’

वहीं छात्र संगठन के आरोपों के इतर अपना पक्ष रखते संस्थान के एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि रामदास एक छात्र से अधिक राजनीतिक कार्यकर्ता है। वह छात्रों के लिए बनाए गए अनुशासन संहिता के कई उल्लंघनों में शामिल रहे हैं। इस तरह की गतिविधियां संस्थान का नाम खराब करती हैं और संस्थान में पढ़ने वाले अन्य छात्रों पर भी असर डालती हैं।’

पीएसएफ द्वारा जारी बयान में कहा गया है, “दलित छात्र रामदास ने परिसर में छात्र अधिकारों का स्पष्ट रूप से बचाव किया है। एक कार्यकर्ता के रूप में अपने काम के अलावा रामदास एक मेधावी छात्र भी हैं, जिन्हें यूजीसी-नेट परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए भारत सरकार के सामाजिक न्याय मंत्रालय द्वारा अनुसूचित जाति के लिए राष्ट्रीय फैलोशिप प्राप्त हुई है। TISS प्रशासन की निरंकुश कार्रवाइयां हाशिए पर रहने वाले छात्रों पर सीधा हमला है, जो सार्वजनिक वित्त पोषित संस्थानों में उच्च शिक्षा हासिल करने की उम्मीद करते हैं।

छात्र संगठन ने जो बयान जारी किया है उसमें TISS प्रशासन पर छात्रावास की स्थिति और अन्य बुनियादी सुविधाओं में सुधार के बजाय सरकार विरोधी प्रदर्शनों के खिलाफ ऐसी कार्रवाइयों को प्राथमिकता देने का भी आरोप लगाया गया है। छात्रों ने टीआईएसएस के सभी छात्रों को संगठित होने और प्रशासन की छात्र विरोधी नीतियों का विरोध करने के खिलाफ एक खुली चेतावनी देने का आह्वान भी किया है।

गौरतलब है कि छात्रों पर इस तरफ का प्रतिबंध पहले भी TISS प्रशासन द्वारा लगाया जा चुका है। जनवरी 2024 में TISS, मुंबई ने परिसर में व्याख्यान, सेमिनार और अन्य गतिविधियों पर रोक लगा दी थी। जनवरी में संस्थान द्वारा एक नोटिस जारी किया गया था, जिसमें TISS प्रशासन ने अतिरिक्त दिशा-निर्देशों तक छात्रों को निर्देश दिया गया था कि वह किसी भी तरह का आयोजन न करें।

फ्री प्रेस जर्नल के मुताबिक, आदेश के दो महीने बाद भी यूनिवर्सिटी की ओर से ऐसी कोई गाइडलाइन जारी नहीं की गई है। TISS मुंबई ने इस साल जनवरी में उत्तर प्रदेश में राम मंदिर उद्घाटन के खिलाफ सभी विरोध—प्रदर्शनों पर भी रोक लगा दी थी।

प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स फोरम ने कल 19 अप्रैल को जो बयान जारी किया है उसमें यह भी आरोप लगाया है कि मुंबई में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज ने केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में भाग लेने की सजा के तौर पर दलित छात्र और पीएचडी विद्वान रामदास प्रिंसी शिवानंदन को दो साल के लिए निलंबित किया है।

प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स फोरम का कहना है कि ‘राम के नाम’ डॉक्यूमेंट्री को पिछले दिनों टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज में आधिकारिक तौर पर प्रदर्शित किया गया था और यह सार्वजनिक रूप से देखने के लिए उपलब्ध है। इतना ही नहीं इसे राज्य प्रसारक दूरदर्शन द्वारा भी प्रदर्शित किया गया है। फोरम का आरोप है कि, “मौजूदा TISS प्रशासन, हालांकि, ऑनलाइन स्पेस में भी उन आवाजों की निंदा करना चाहता है, जिनके बारे में छात्र साझा करना और बात करना चाहते हैं।”

इसके अलावा 2020 राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विरोध में भी छात्र समूहों द्वारा संसद मार्च का आयोजन किया गया था। छात्र संगठन का आरोप है कि, “दलित छात्र रामदास के दो साल के लिए परिसर में प्रवेश को निलंबित और प्रतिबंधित करके TISS प्रशासन अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा सरकार के खिलाफ सभी असंतोष को रोकने की कोशिश कर रहा है।”

मंच ने अपने बयान में यह भी कहा है कि संस्थान ने पीएचडी स्कॉलर रामदास पर परिसर में “विवादास्पद वक्ताओं” के साथ वार्षिक भगत सिंह मेमोरियल व्याख्यान आयोजित करने का आरोप लगाया था। गौरतलब है कि उस कार्यक्रम के वक्ताओं में दो रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता, पी साईनाथ और बेजवाड़ा विल्सन समेत तमाम शिक्षाविद और मानवाधिकार कार्यकर्ता शामिल रहे थे।

छात्रों संगठन ने बयान में यह भी आरोप लगाया है कि TISS प्रशासन ने ‘विवादास्पद वक्ता’ होने के कारण व्याख्यान पर कभी भी आधिकारिक तौर पर आपत्ति नहीं जताई है। प्रशासन का मानना ​​है कि यह तरीका संस्थान की शैक्षणिक साख पर एक धब्बा है। असल में भाजपा सरकार की नीतियों का विरोध करने वाली छात्र आवाजों पर दमन करना ही इनका मुख्य उद्देश्य है।

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