कुछ सालों से आरक्षण देश में ज्वलंत मुद्दा बना हुआ है। राजनीतिक पार्टियों ने भी इस मुद्दे पर अपने अपने हिसाब से लाभ उठाने की कोशिश की। पहले EWS के लिए 10 फिसदी आरक्षण का प्रावधान करना और अब उत्तर प्रदेश में निकाय चुनावों में OBC आरक्षण को खत्म करने जैसे फैसले को लेकर आरक्षण विरोधी कही जाने वाली बीजेपी फिर सवालों के कटघरों में आ गई है।
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लेकिन इस बीच बीएसपी सुप्रीमों मायावती ने अपने एक ट्वीट के माध्यम से कांग्रेस पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “कांग्रेस ने केन्द्र में अपनी सरकार के चलते पिछड़ों के आरक्षण सम्बन्धी मण्डल कमीशन की रिपोर्ट को लागू नहीं होने दिया। साथ ही SC, ST आरक्षण को भी निष्प्रभावी बना दिया था। अब बीजेपी भी इस मामले में कांग्रेस के पदचिन्हों पर ही चल रही है। यह चिंता का विषय है।” इतना ही नहीं मायावती ने समाजवादी पार्टी को भी आरक्षण विरोधी बताया।
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दलित और पिछड़ें रहे सावधान:
मायावती ने अपने ट्वीट के माध्यम से पिछड़ों औऱ दलितों को कांग्रेस और समाजवादी पार्टी से सावधान रहने की सलाह दी है। मायावती ने सपा औऱ अन्य दलों को दोगला बताते हुए कहा कि, आरक्षण पर बड़ी-बड़ी बातें करने से सपा व अन्य पार्टियों को कोई लाभ नहीं मिलेगा।

मायावती ने आरक्षण पर सपा के विरोधी रूख को बताते हुए साल 2015 का भी जिक्र किया जब उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी। उस वक्त मुख्यमंत्री अखिलेश यादाव ने नौकरियों की पदोन्नति में SC, ST का आरक्षण खत्म कर दिया। मायावती ने आगे लिखा की समाजवादी पार्टी ने संसद में इससे सम्बन्धित बिल को फाड़ दिया और बिल को पास भी नहीं होने दिया था।
कांग्रेस ने रोका था OBC आरक्षण ?
जब देश में मंडल आयोग की पूर्ण सिफारिशों के आधार पर OBC आरक्षण के लिए मंडल आयोग की रिपोर्ट को लागू किया जा रहा था (जिसमें पिछड़े वर्ग के लिए 27 फिसदी आरक्षण की व्यवस्था थी) तब पूरे देश में बीजेपी कमंडल के साथ सड़कों पर उतर आई थी। इसे कंडल की राजनीति के नाम से भी जाना जाता है।

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साल 1978 में मोरारजी देसाई की सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग बनाने की घोषणा की थी। 2 साल बाद इस आयोग ने 392 पन्नों की रिपोर्ट रक्षा मंत्री के सामने पेश की जिसे संसद के पटल पर रखा गया लेकिन उस समय इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। इंदिरा गांधी और राजीव गांधी दोनो की सरकारों ने ही मंडल कमिशन पर कोई ध्यान नहीं दिया।
1989 में वीपी सिंह ने कांग्रेस से अलग होकर जनतादल बना लिया और जीत का पैमाना एक ही रखा कि अगर वीपी सिंह की सरकार बनती है तो मंडल कमिशन लागू किया जाएगा। हालांकि 1990 में वीपी सिंह की सरकार गिर गई और 1991 में कांग्रेस की सरकार बनी औऱ 1991 में कांग्रेस को मंडल कमिशन लागू करना पड़ा।