भारत जोड़ो यात्रा: राजस्थान में दलित उत्पीढ़न पर क्यों चुप हैं राहुल गांधी ?

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राजस्थान में दलितों के साथ अत्याचार के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। यही कारण है कि अपनी भारत जोड़ों यात्रा के दौरान राहुल गांधी को राजस्थान के दौसा जिले में दलितों के विरोध का सामना करना पड़ा रहा है। राजस्थान के चार जिले जिनमें झालावाड़, कोटा, बूंदी और सवाई माधोपुर पार करने के बाद राहुल गांधी को दौसा जिले में सबसे पहले इस विरोध का सामना करना पड़ा। विरोध करने वालों ने दौसा की सड़को और दिवारों पर “राहुल गांधी गौ बैक” के नारे लिख कर उनका और भारत जोड़ो यात्रा का विरोध किया। जिन्हें छिपाने के लिए राजस्थान पुलिस दिवारों पर रंगाई पुताई करवाती फिर रही है।


दौसा की सड़को और दुकानों पर लिखा गया राहुल गांधी गौ बैक (image: social media)

 

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राहुल गांधी भाजपा शासित राज्यों में दलित उत्पीढ़न पर खुल कर बात करेगें। अपनी सभाओं में वो इस बात को भी कहेंगे कि भाजपा  आदिवासियों को मूल निवासी मानती ही नहीं वो इन्हें वनवासी मानती है जब्कि आदिवासी ही भारत के मूलनिवासी हैं। लेकिन बात जब राजस्थान की आती है, राजस्थान में लगातार दलितों और आदिवासियों पर बढ़ रहें अत्याचार की आती है तो राहुल गांधी चुप्पी साध जातें है।

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राजस्थान में दलितों की वास्तविक स्थिती राष्ट्रिय अपराध रिकोर्ड ब्यूरों यानी NCRB की 2021 की रिपोर्ट बताती है जिसके मुताबिक साल 2021 में राजस्थान में एक लाख दलितों पर 61 दलित किसी न किसी तरह के उत्पीढ़न के शिकार हुए हैं। वहीं अगर कुल आँकड़े की बात करें तो राजस्थान में 2021 में दलितों पर अत्याचार के 7,524 मामले सामने आएं,  2020 में ये आंकड़ा 8,744 था, 2019 में 8,418 मामले तो साल 2018 जब राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनी थी तब ये आंकड़ 5,563 था। बताते चलें कि ये वो आंकड़ा है जो Sc, St एक्ट के तहत पुलिस स्टेशन में दर्ज  हुए हैं।

NCRB रिपोर्ट के अनुसार बीते 4 सालों में दलितों के साथ अत्याचार के आंकड़े (image; dalit times)

 

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वहीं राजस्थान के इस साल के कुछ चर्चित मामलों की बात करें तो मार्च 2022 में राजस्थान के पाली में कुछ जातिवादियों ने सिर्फ मूंछे रखने पर दलित युवक जितेंद्र मेघवाल को मौत के घाट उतार दिया था। इसके बाद बारी आती है अगस्त 2022 के बहुचर्चित जालौर मटकाकांड की जिसमें जालौर में तथाकथित उच्च जाति के टीचर के मटके से 9 साल के दलित छात्र इंद्र मेघवाल को पानी पीने की इतनी बड़ी सज़ा मिली की उसे अपनी जान गवानी पड़ी। नवंबर महीने में अजमेर के ओम प्रकाश रेगर ने जातिवादियों की प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी। तो दिसंबर महिने की शुरूआत में सिरोही में जातिवादियों की पिटाई से दलित कार्यकर्ता कार्तिक भील की मौत हो गई। और अब जालौर मटकाकांड के इंद्र मेघवाल के पिता और चाचा पर जानलेवा हमला किया गया जिसमें इंद्र मेघवाल के चाचा मोटाराम गंभीर रूप से घायल हो गए।

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2 दिसंबर के बाद से कार्तिक भील के लिए न्याय की मांग को लेकर  सिरोही मुख्यालय पर पीड़ित परिवार के साथ दलित संगठनों और बीटीपी द्वारा धरना दिया गया था। लेकिन पुलिस द्वारा सिरोही मुख्यालय से उन्हें खदेड़ने के बाद न्याय न मिलने से परेशान पीड़ित परिवार और दलित कार्यकर्ताओं का जत्था राहुल गांधी से मिलने के लिए पैदल  जयपुर की तरफ कूच कर गया। लेकिन भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्त राहुल गांधी को पीड़ित परिवार से मिलने का ना तो समय है औऱ न ही कोई दिलचस्पी।

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राजस्थान सरकार तो पहले ही मामले पर मूकबधिर बनी हुई है लेकिन राहुल गांधी भी दलित से जुड़े इन मुद्दों से आंख बचाते दिख रहें है। सवाल ये है कि आखिर कैसी भारत जोड़ो यात्रा कर रहें है राहुल गांधी और किस भारत को जोड़ने निकले हैं राहुल गांधी जब उन्हें अपने ही शासित राज्य में दलितों की चितकार तक सुनाई नहीं दे रही।  यही कारण है कि राजस्थान पुलिस अपनी धूमिल होती छवी को बचाने के लिए दिवारों पर रंगाई पुताई करती फिर रही है।

 

 

 

 

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