MP के झमुला गांव में दलितों के साथ भारी अन्याय, दलित बच्चों के बाल तक नहीं काटते नाई

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आज भी गांव में बुजुर्ग इसे मानते हैं। पहले सार्वजनिक जल से पानी भरने पर भी भेदभाव होता था। अब घरों में नल लग गए हैं लेकिन आज भी ये भेदभाव नहीं मिटा है। गांव में दलित समुदाय के बच्चों के नाई बाल नहीं काटते उन्हें दूसरे गां मं जाकर बाल कटवाने पड़ते हैं।

MADHYAPRADESH NEWS : मध्यप्रदेश से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने समानता के भाव को तार तार कर दिया। आधुनिकता के इस दौर में आज भी दलितों के साथ भेदभाव की घटनाएं आती रहती हैं। दरअसल मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति (SC)
के कईं परिवार भेदभाव का शिकार हो रहे हैं। अब ये परिवार भेदभाव के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। जानते हैं पूरा मामला।

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भेदभाव से प्रताड़ित परिवार :

पूरा मामला मध्यप्रदेश के बालाघाट जिला में बिरसा तहसील के झामुला गांव का है। इस गांव में अनुसूचित जाति के कईं परिवार रहते हैं। दरअसल 4 अप्रैल गुरुवार को गांव में एक सामाजिक कार्यक्रम था। इस कार्यक्रम के संबंध में अनुसूचित जाति के परिवार के साथ भेदभाव किया गया। इस भेदभाव से प्रताड़ित परिवार ने आरोपियों के खिलाफ अजाक्स थाने में शिकायत दर्ज करवा दी है।

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भेदभाव के खिलाफ शिकायत दर्ज :

दरअसल गांव में एक अन्य पिछ़ड़ा वर्ग (OBC) के परिवार में विवाह का कार्यक्रम था। इस कार्यक्रम का आमंत्रण अनुसूचित जाति (SC) समुदाय के परिवार को छुआछूत की भावना को लेकर नहीं दिया गया। इस मामले में ये भी कहा गया कि अगर वह विवाह में आयेंगे तो अन्य लोग विवाह में नहीं आयेंगे इस बात को पंचायत के प्रतिनिधियों ने कहा और गांव के दलित समाज के लोग इस बात से काफी आहत हुए और उन्होंने अजाक्स थाने में इसके खिलाफ शिकायत दर्ज करवा दी।

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सामाजिक कार्यकर्ता  का बयान :

सामाजिक कार्यकर्ता मेश्राम का इस मामले में कहना है कि गांव में अनुसूचित जाति के परिवारों के साथ भेदभाव किया जाता है। उनका इस मामले में कहना है कि ये पहले से हो रहा है पर अब ज़्यादा होने लगा है जो हमारे लिए शर्मसार करने वाली बात है। हमारा मानना है कि जाति के आधार पर भेदभाव की भावना नहीं होनी चाहिए।

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महिला हस्तकला मेश्राम का बयान :

महिला हस्तकला मेश्राम ने बताया कि आज भी गांव में बुजुर्ग इसे मानते हैं। पहले सार्वजनिक जल से पानी भरने पर भी भेदभाव होता था। अब घरों में नल लग गए हैं लेकिन आज भी ये भेदभाव नहीं मिटा है। गांव में दलित समुदाय के बच्चों के नाई बाल नहीं काटते उन्हें दूसरे गां मं जाकर बाल कटवाने पड़ते हैं।

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