रामपुर दलित छात्र हत्याकांड में उप जिलाधिकारी समेत 25 पर FIR, चंद्रेशखर आजाद ने बड़ी साजिश की तरफ इशारा कर उठायी CBI जांच की मांग

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रामपुर पुलिसिया गोलीकांड” में सोमेश की मृत्यु उपरांत पुलिस द्वारा ज़बरदस्ती शवदाह के बाद 36 घण्टे बीत जाने के बाद भी पुलिस की ही गोली से ही घायल अमित के शरीर से न गोली न निकालना, सरकारी असंवेदनशीलता और क्रूरता को दर्शाता है तथा किसी अप्रिय घटना के इंतजार का संदेह उत्पन्न करता है…..

Rampur Kand Big news : बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की तस्वीर लगाने को लेकर हुए बवाल के बाद रामपुर में 10वीं में पढ़ने वाले एक दलित युवक सोमेश की गोली लगने से मौत हो गयी थी, जिसमें परिजनों और ग्रामीणों ने पुलिस पर गोली चलाने का आरोप लगाया है। एक युवक की मौत के अलावा इस गोलीबारी में कई अन्य लोग घायल हो गये।

कहा जा रहा है कि पुलिस मामले को शुरू से दबाने का पूरा प्रयास कर रही है, मगर अब इस मामले में योगी सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है। इस मामले में संबंधित उप जिलाधिकारी और पुलिस क्षेत्राधिकारी समेत 4 अधिकारियों पर इस कांड की गाज गिरी है। दलित युवक की मौत और अन्य के घायल होने के मामले में उप जिलाधिकारी और तहसीलदार के साथ तैनात एक-एक होमगार्ड जवान समेत कुल 25 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया गया है।

रामपुर में दलित युवक सोमेश की मौत के बाद सोशल मीडिया पर मचे बवाल और विपक्ष समेत खासतौर पर दलित नेताओं की पहलकदमी से इस मामले में न्याय मिलने की उम्मीद है। खासतौर पर भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद इस मुश्किल वक्त में पीड़ित परिवार के साथ डटकर खड़े हैं। अब योगी के इशारे पर बड़ी कार्रवाई करते हुए रामपुर के जिलाधिकारी जोगिंदर सिंह ने मिलक तहसील के उप जिलाधिकारी अमन देवल को हटा दिया है। इसके अलावा पुलिस अधीक्षक राजेश द्विवेदी ने भी संबंधित पुलिस क्षेत्राधिकारी कीर्ति निधि आनंद, मिलक के थाना प्रभारी निरीक्षक अनुपम शर्मा और चौकी प्रभारी दारोगा सुरेन्द्र को हटा दिया है।

गौरतलब है कि रामपुर के मिलक थाना क्षेत्र के सिलईबाड़ा गांव में ग्रामसमाज की एक जमीन पर दलित समाज के लोगों द्वारा आंबेडकर की होर्डिंग लगाने पर बवाल मचा था। दो समुदाय आपस में टकरा गये थे, जिसके बाद पुलिस भी दलितों के खिलाफ खड़ी हो गयी थी। इस मामले में कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं जो पुलिस के हत्यारे होने का सबूत हैं। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में मृतक दलित युवा का रिक्शा चलाने वाला बड़ा भाई चीख—चीखकर कह रहा है, ‘दो पुलिसवालों आदेश चौहान और ऋषिपाल ने छत पर चढ़कर गंगवारों के कहने पर हम पर गोलियां चलाई हैं। मेरा भैया मर गया। दो और लोग घायल हुए हैं।’

पुलिस प्रशासन इस मामले में सफाई दे रहा था कि मिलक रामपुर कोतवाली क्षेत्र के सिलईबड़ा गांव में सरकारी जमीन पर डाॅ.भीमराव आंबेडकर पार्क का बोर्ड लगाए जाने को लेकर दो पक्षों में विवाद हुआ था। इस दौरान फायरिंग और पथराव हुआ, जिसमें गोली लगने से परीक्षा देकर लौटे दसवीं के छात्र सुमेश की मौत हो गई। 2 और लोग भी गंभीर रूप से घायल हुए हैं। वहीं पीड़ित पक्ष का कहना है कि उन लोगों ने बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर की प्रतिमा को लेकर ग्राउंड में अंबेडकर पार्क के नाम से एक बोर्ड लगा दिया था, जिसको प्रशासन जेसीबी लेकर उखाड़ने पहुंचा था। दलित जाति की महिलायें वहां पर बोर्ड उखाड़े जाने के विरोध में खड़ी हो गयीं। गुस्साई पुलिस ने लाठीचार्ज और फायर फायर किया, जिससे एक युवा लड़के की मौके पर मौत हो गई अन्य कई लोग घायल हुए।

गौरतलब है कि सिलईबड़ा में अंबेडकर की मूर्ति लगाने के बाद हुई इस बड़ी घटना को लेकर बुधवार 28 फरवरी को भीम आर्मी प्रमुख चन्द्रशेखर आजाद ने गांव पहुंचकर मृतक के परिजनों से मुलाकात की थी। चंद्रखेशर आजाद ने घटना के लिए सत्तारूढ़ भाजपा सरकार पर हमला करते हुए पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपये का मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की मांग की थी थी।

चंद्रशेखर आजाद ने कहा था, ‘सोमेश ने दिखाया है कि अगर भीमराव आंबेडकर के संविधान को हटाने की कोशिश की गई तो लाखों सोमेश पैदा होंगे जो अपनी जान दे देंगे, लेकिन संविधान पर कोई आंच नहीं आने देंगे।’

हालांकि इस मामले में योगी सरकार ने एक्शन जरूर ले लिया है, मगर भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर एक बड़ी साजिश की तरफ भी इशारा कर रहे हैं। अपने एक्स एकाउंट पर चंद्रेशखर आजाद लिखते हैं, ‘”रामपुर पुलिसिया गोलीकांड” में सोमेश की मृत्यु उपरांत पुलिस द्वारा ज़बरदस्ती शवदाह के बाद 36 घण्टे बीत जाने के बाद भी पुलिस की ही गोली से ही घायल अमित के शरीर से न गोली न निकालना, सरकारी असंवेदनशीलता और क्रूरता को दर्शाता है तथा किसी अप्रिय घटना के इंतजार का संदेह उत्पन्न करता है। धारा 302 के आरोपियों का खुलेआम रामपुर में ही घूमना और अभी तक किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी न होना पुलिस की कार्यवाही पर सवाल खड़े करता है। अतः हम योगी आदित्यनाथ जी से इस पूरे मामले की सीबीआई जांच की माँग करते हैं।

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