दिल्ली के पटियाला कोर्ट में फैक्ट चेकर जुबैर की जमानत याचिका पर शनिवार को सुनवाई हुई, कोर्ट जल्द ही इस पर फैसला सुनाने वाला है।
हालांकि, सुनवाई के बाद पुलिस की तरफ से मैसेज जारी किया गया कि जुबैर की याचिका रद्द हो गई है और उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
इसके बाद जल्द ही पुलिस की तरफ से सफाई दी गई और कहा गया कि शोर की वजह से उन्हें कंफ्यूजन हुआ और उन्होंने ग्रुप में मैसेज शेयर कर दिया।
दरअसल, जब ये सूचना बाहर आई तो जुबैर के वकील सौतिक बनर्जी ने इस पर आपत्ति जताई उन्होंने कहा कि ये बहुत ही गंभीर मामला है कि कोर्ट से पहले ही पुलिस ने जजमेंट मीडिया के साथ शेयर कर दिया।
दिल्ली पुलिस ने मोहम्मद जुबैर को 27 जून को गिरफ्तार किया था। जुबैर की गिरफ्तारी 2018 में किए गए एक ट्वीट को लेकर हुई है, इसके अलावा दिल्ली पुलिस ने जुबैर पर हाल ही में सबूत मिटाने, साजिश रचने और विदेशी चंदे लेने के आरोप में नई धाराएं लगाई हैं, जुबैर का मोबाइल फोन और हार्ड डिस्क भी जब्त की गई हैं।
जमानत याचिका पर हुई जारेदार बहस
मोहम्मद जुबैर की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान मोहम्मद जुबैर के वकील वृंदा ग्रोवर और दिल्ली पुलिस के वकील में जारेदार बहस हुई। वृंदा ग्रोवर ने कोर्ट में दिल्ली पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, दिल्ली पुलिस को इस मामले में कोई ठोस सबूत नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस ने जुबैर को गिरफ्तार कर न्यायपालिका का मजाक उड़ाया।
जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे जुबैर
दिल्ली पुलिस ने कहा, जुबैर जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे, इसलिए उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया, यह सीआरपीसी(CRPC) की धारा 41 के तहत जांच अधिकारी का विवेक है, फिर आया फिल्म का मुद्दा पुलिस ने कहा कि जब फिल्म रिलीज हुई तब इंटरनेट और ट्वीटर नहीं था। तब फोन भी नहीं होते थे, ये eco सिस्टम नहीं था। 2018 में इस मामले में ट्वीट किया गया था और यह ट्वीट अभी भी लगातार है, सभी लोग इस को फॉलो कर रहे हैं, यानी कि यह कहा जा सकता है कि लगातार इस मामले में अपराध का अनुसरण किया गया है।
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