आरजेडी ने MY समीकरण को हाशिये पर डाला, 22 में से 8 टिकट यादवों को दिया और सिर्फ 2 मुस्लिमों को

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जिसकी जितनी भागीदारी-उसकी उतनी हिस्सेदारी का दावा राजद द्वारा किया जा रहा था, मगर जहां 22 में से 8 यादव जाति के प्रत्याशियों को उसने अपना प्रत्याशी बनाया है, वहीं यादव जाति से बल में खासा ज्यादा मुस्लिम समाज में से सिर्फ 2 प्रत्याशियों को टिकट दिया गया है…

RJD candidate list Lok Sabha election 2024 : बिहार की राजनति में खासा दखल रखने वाली लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद यानी राष्ट्रीय जनता दल ने अपने 22 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की है। इस लिस्ट में दो सबसे महत्वपूर्ण नाम लालू प्रसाद यादव की बेटियों के रहे। मीसा भारती और रोहिणी आचार्य। बता दें कि लोकसभा चुनावों की तारीखों के ऐलान से पहले ही राजनीतिक गलियारों में यह बात जोर पकड़ने लगी थी कि इस बार लोकसभा चुनावों में लालू यादव अपनी दोनों बेटियों को सांसद बनाने की पूरी जुगाड़ में रहेंगे और उन्होंने 22 प्रत्याशियों की सूची में अपनी दोनों बेटियों को शामिल कर यह बात सही भी साबित कर दी है।

हालांकि पिछले दिनों MY यानी मुस्लिम-यादव फैक्टर के साथ अपने इलाकों में तेजस्वी यादव प्रचार करते नजरे आये थे, मगर अपनी ही बात को अब राजद दरकिनार करती नजर आ रही है। इसके बाद राजद की कथनी और करनी पर सवाल उठाने शुरू हो चुके हैं। सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं कि जिसकी जितनी भागीदारी-उसकी उतनी हिस्सेदारी का दावा राजद द्वारा किया जा रहा था, मगर जहां 22 में से 8 यादव जाति के प्रत्याशियों को उसने अपना प्रत्याशी बनाया है, वहीं यादव जाति से बल में खासा ज्यादा मुस्लिम समाज में से सिर्फ 2 प्रत्याशियों को टिकट दिया गया है।

MY समीकरण को तोड़ा

RJD को हमेशा से उसके MY समीकरण के लिए जाना जाता है। MY यानी मुस्लिम और यादव। RJD ने विधानसभा से लेकर लोकसभा तक में अपने इस फैक्टर के कारण विपक्षी दलों में हाहाकार मचाया है, लेकिन इस बार जब पूरा विपक्ष बीजेपी के खिलाफ एक होकर लड़ रहा है तब राजद ने अपने सबसे कारगर एजेंडे MY समीकरण को हाशिए पर डाल दिया है। राष्ट्रीय जनता दल ने अपनी 22 उम्मीदवारों की लिस्ट में 8 यादवों और 2 मुस्लिमों को टिकट दिए हैं। बाकी 12 सीटों से में से 3 सीटें दलित आरक्षित हैं तो यकीनन इन सीटों पर राजद ने दलितों को ही टिकट दिया है। गौरतलब है कि इस बार लोकसभा  चुनावों में बिहार की 40 में से केवल 23 सीटों पर राजद चुनाव लड़ रही है। वहीं 9 सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ रही है। वहीं 5 सीटों पर वामदल और मुकेश साहनी की VIP को राजद ने अपनी तरफ  से 3 सीटें दी है। बता दें  कि हाल ही  में मुकेश साहनी की VIP  महागठबंधन में शामिल हुई थी।

किन जातियों को साध रही RJD ?

राजद ने इस बार 8 यादवों पर भरोसा जताया है। इनमें बांका से जयप्रकाश यादव, वाल्मीकि नगर से दीपक यादव, सारण से रोहिणी आचार्य, पाटलिपुत्र से मीसा भारती, दरभंगा  से ललित यादव, जहानाबाद से सुरेंद्र यादव, सीतामढ़ी से अर्जुन यादव, मधेपुरा से कुमार चंद्र दीप को टिकट दिया है। वही शिवहर से रितु जायसवाल, दो सीटें मुस्लिमों के खेमे में डाली गई हैं। जिनमें मधुबनी से अशरफ फातिमा और अररिया से शाहनवाज आलम को टिकट दिया गया है। वहीं दो सीटें भूमिहार जाति के खाते में गई हैं। जिसमें बक्सर से सुधाकर सिंह और वैशाली से विजय कुमार शुक्ला ( मुन्ना शुक्ला) को टिकट दिया है। तीन सीट पर दलित उम्मीदवार उतारे गए हैं। इनमें गया से कुमार सर्वजीत, जमुई से अर्चना रविदास,  हाजीपुर से शिवचंद्र राम को टिकट दिया गया है। बता दें कि ये तीनों सीटें SC आरक्षित हैं।

इसके अलावा एक सीट OBC समाज के चंद्रहास चौपाल को सुपौल से और एक सीट EBC समाज की बीमा भारती को पूर्णिया से दिया गया है। वहीं औरंगाबाद से अभय कुशवाहा को टिकट मिला है, जो कोइरी जाति से हैं. इसके अलावा नवादा से टिकट पाने वाले श्रवण कुशवाहा भी कोइरी जाति से हैं. उजियारपुर से आलोक मेहता कोइरी जाति से हैं. मुंगेर से अनीता महतो को टिकट दिया गया है, जो कुर्मी जाति से हैं।

बिहार के जातीय समीकरण जानिए

बिहार में 17.70 फीसदी आबादी मुस्लिमों की है।   14.26%  फीसदी आबादी यादवों की है। 36.01 फीसदी आबादी EBC की है। 15.52 फीसदी आबादी सवर्णों की है। वहीं आदिवासियों की आबादी 0.9 फीसदी है। लोकसभा चुनावों से पहले सामाजिक न्याय के नारे के साथ बिहार में उतरी राजद ने अपनी कथनी और करनी में फर्क दिखाया है। जिसकी जितनी हिस्सेदारी उसकी उतनी भागीदारी की बात करने वाली राजद जो हमेशा MY समीकरण पर काम करती है वो इस बार अपने नारें और समीकरण दोनों ही भूल गयी। आबादी के मुताबिक जहाँ मुस्लिमों को 7 से 8 सीटें मिलनी चाहिए थी वहीं अब वो सिर्फ दो सीटों पर सीमट कर रह गयी है। राजनीतिक गलियारों में यह बात जोर पकड़ने लगी है कि “सामाजिक न्याय की बात करने वाले लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव दोनों के हाथ सामाजिक न्याय की सोच कर अब कांपने लगे हैं। क्योंकि बात अब यादवों की है। और आबादी से ज्यादा सीटें यादवों को पहले ही दी जा चुकीं हैं। वहीं EBC जिसकी जनसंख्या बिहार में सबसे ज्यादा है उसके प्रतिनिधित्व को सिर्फ एक सीट पर सिमटा दिया गया है।

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