केजरीवाल कैबिनेट से 4 दलित मंत्रियों के बाहर होने की पूरी कहानी

Share News:

इस वक्त दिल्ली की राजनीति में दो सवाल सबसे अहम है पहला ये की आम आदमी पार्टी में एकएक कर सभी दलित नेता इस्तीफा क्यों दे रहे हैं ?? और दूसरा ये की बाबा साहेब अंबेडकर और शहीद भगतसिंह की बात करने वाले अरविंद केजरीवाल की सरकार में कोई भी दलित मंत्री आखिर टिक क्यों नहीं पता ??


भारत की राजधानी दिल्ली में राजनीतिक माहौल खासा गरमाया हुआ है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दो हफ़्तों से जेल में हैं वहीं दिल्ली सरकार पर एक के बाद एक गाज गिरे जा रही है। अब हाल ही में दिल्ली सरकार के सामाजिक कल्याण एवं न्याय मंत्री राजकुमार आनंद ने आम आदमी पार्टी से और पार्टी में उन सभी पदों से जिस पर वह आसीन थे, इस्तीफा दे दिया है। बीते बुधवार सोशल मीडिया से लेकर मेन स्ट्रीम मीडिया तक में इस ख़बर ने जोर पकड़ा की दिल्ली सरकार में दलित समाज से मौजूद एक अकेले दलित मंत्री ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया ही। इस्तीफा देते हुए राजकुमार आनंद ने पार्टी की कार्यशैली से लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर सवाल खड़े किए। उन्होंने क्या कुछ कहा रिपोर्ट में आपको बताएंगे लेकिन इस पूरे घटनाक्रम के बाद एक सवाल यह भी उठ रहा है कि आम आदमी पार्टी में एक-एक कर सभी दलित नेता इस्तीफा क्यों दे रहे हैं? और बाबा साहेब अंबेडकर और शहीद भगतसिंह की बात करने वाले अरविंद केजरीवाल की सरकार में कोई भी दलित मंत्री आख़िर टिक क्यों नहीं पता ?

यह भी पढ़े : हिंदू समाज में फैली कुरीतियों और रूढ़िवादिता के खिलाफ सबसे पहले आवाज उठाने वाले बहुजन हीरो थे महात्मा ज्योतिबा फुले

 

पार्टी में दलितों का सम्मान नहीं : राजकुमार आनंद

बुधवार 10 अप्रैल को राजकुमार आनंद जो आम आदमी पार्टी में सामाजिक कल्याण एवं सहकारिता मंत्री के पद पर आसीन थे उन्होंने अचानक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि, “मैं पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे रहा हूँ क्योंकि जिस पार्टी का गठन भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ हुआ था वह खुद भ्रष्टाचार में डूब गई है और ऐसे में मैं नहीं चाहता कि मेरा नाम इस भ्रष्टाचार से जुड़े। उन्होंने आगे कहा कि आम आदमी पार्टी ने दलितों को ठगने का काम किया है। पार्टी में पार्षद, विधायक और सांसद किसी भी स्तर पर दलित नहीं है। इसके अलावा आप नेता राज कुमार आनंद ने आम आदमी पार्टी पर वंचित समाज के विधायकों, पार्षदों और मंत्रियों को सम्मान ना मिलने का आरोप भी लगाया।  

यह भी पढ़े : महात्मा ज्योतिबा फुले सही मायनों में आधुनिक भारत के राष्ट्रपिता, महिला-दलित उत्थान के लिए लगा दिया पूरा जीवन

 

उन्होंने आगे कहा कि आरक्षण तो संवैधानिक मजबूरी है जो इन्हें देना पड़ता है लेकिन बात जब रिप्रजेंटेशन की आती है तो दलितों को मुंह ताकना पड़ता है। वह आगे कहते हैं कि मैं नेता बना, मंत्री बना यह सब बाबा साहेब अम्बेडकर की देन है लेकिन जब दलितों के रिप्रेजेंटेशन की बात आती है तो जो पार्टी पीछे हटती है मेरा उसमें रहने का कोई औचित्य नहीं बचता”

आम आदमी पार्टी में कोई दलित मंत्री नहीं :

राजकुमार आनंद के इस्तीफे के बाद अब आम आदमी पार्टी में कोई भी दलित मंत्री नहीं है। बता दें कि अरविंद केजरीवाल  खुद को बाबा साहेब अंबेडकर का अनुयायी बताते हैं। वो जब भी कोई वीडियो जारी करते थे तो उनके पीछे दीवार पर एक तरह बाबा साहेब अंबेडकर की तस्वीर तो दूसरी तरफ शहीद भगत सिंह की तस्वीर दिखती है। वह अपने भाषणों में बाबा साहेब अंबेडकर का ज़िक्र करते हुए भी कई बार दिखे हैं लेकिन अपने मंत्री मंडल में बाबा साहेब के समाज के, शोषित समाज के , दलित समाज से आने वाले मंत्रियों की उपस्थिति उन्हें शायद बर्दाश्त नहीं है। 2012 में अन्ना हजारे के लोकपाल बिल के अनशन से लाइम लाइट में आए अरविंद केजरीवाल ने 2013 में अपनी खुद की पार्टी बनाकर पहली बार 2015 में दिल्ली में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी। इसके बाद 2020 में दुबारा केजरीवाल सरकार रिपीट हुई। लेकिन ताज्जुब की बात ये है कि इन दोनों कार्यकाल में केजरीवाल सरकार में सिर्फ 4 दलित मंत्री हुए। चारो दलित मंत्रियों में से 2 को इस्तीफा देना पड़ा। 1 मंत्री वर्तमान में दिल्ली विधानसभा की डेप्युटी स्पीकर है और चौथे मंत्री ने अब सरकार से इस्तीफा दे दिया है।

यह भी पढ़े : बेंगलुरु की महिला वकील की आपबीती सुन कांप जायेगी रूह, 35 घंटे के वीडियो अरेस्ट से फर्जी नारकोटिक्स टेस्ट के नाम पर उतरवा दिये कपड़े

 

दिल्ली सरकार के 4  दलित मंत्री जो कैबिनेट में टिक नहीं पाए या टिकने नहीं दिया ?

दिल्ली सरकार में अब तक 4 दलित मंत्री हुए है। पहले संदीप वाल्मीकि है जो केजरीवाल सरकार के पहले कार्यकाल में 2015 से 2016  तक अनुसूचित जाति कल्याण और महिला एवं बाल कल्याण मंत्री रहे थे। दूसरी नेता है राखी बिड़लान जो दिल्ली कैबिनेट में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय संभाल चुकी हैं लेकिन यह भी दिल्ली कैबिनेट में लंबे समय चक नहीं टिक पाई। और वर्तमान में दिल्ली विधानसभा की डेप्यूटी स्पीकर हैं। तीसरे नेता है दिल्ली कैबिनेट में सामाजिक न्याय एवं सहकारिता मंत्री रहे राजेंद्र पाल गौतम। जिन्हें बाबा साहब की 22 प्रतिज्ञा दोहराने के कारण अपने मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। और अब दिल्ली सरकार में मौजूद इकलौते दलित मंत्री राजकुमार आनंद ने भी यह कहते हुए पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया कि वहाँ दलितों की भागीदारी नहीं है। बता दें कि राजेंद्र पाल गौतम के इस्तीफे के बाद केजरीवाल सरकार ने राजकुमार आनंद को उनके स्थान पर सामाजिक न्याय एवं सहकारिता मंत्री बनाया था।

यह भी पढ़े : राजस्थान में दलित दूल्हे को जातिवादियों ने दी घोड़ी चढ़ने पर देख लेने की धमकी, सुरक्षा के लिए कलेक्टर और एसपी के पास लगाई गुहार

 

अम्बेडकर का राग अलापने वाले अम्बेडकर की प्रतिज्ञाओं पर चुप थे :

दलित समाज से आने वाले संदीप वाल्मीकि की एक वीडियो वायरल होने के बाद संदीप ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था हालांकि केजरीवाल सरकार की तरफ से झूठ बोला गया था कि पार्टी की तरफ से उन्हें निकाल दिया गया है। राखी बिड़ला जो महिला एवं बाल विकास मंत्रालय संभाल रही थी उन्हें विधानसभा का स्पीकर बना दिया गया। लेकिन अरविंद केजरीवाल तब सवालों में घिर गए जब अक्टूबर 2022 में बाबा साहेब अंबेडकर की 22 प्रतिज्ञाएं दोहराने की वजह से बीजेपी की तरफ से आप के दलित नेता राजेन्द्र पाल गौतम को टारगेट किया गया। राजेन्द्र पाल गौतम ने यह कहते हुए अपने मंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया कि “मेरी वजह से पार्टी पर सवाल खड़े होना ठीक नहीं है” बाबा साहेब अंबेडकर जिनका ज़िक्र अरविंद केजरीवाल के हर भाषण में होता है वह अम्बेडकर की 22 प्रतिज्ञाएं पढ़ने के लिए ना तो राजेन्द्र पाल गौतम के समर्थन में आए और ना ही उनके इस्तीफ़े को ख़ारिज किया।

यह भी पढ़े : जीवाश्म ईंधनों से जुड़ी कंपनियां उपभोक्ताओं को फंसाने के लिए तमाम सरकारों के साथ मिलकर बुन रही हैं जाल

 

बल्कि इस दौरान उनकी एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई जिसमें वह पंजाब के एक रॉड शो में कहते दिखे की “भगवान के ख़िलाफ़ लिखोगे तो जनता बर्दास्त नहीं करेगी” इसके बाद उन्होंने जय श्री राम के नारे भी लगाए। हालांकि यह वीडियो राजेन्द्र पाल गौतम के संबंध में नहीँ था। लेकिन उसी वक्त इस वीडियो के वायरल होने के पीछे कई मायने निकाले गए। संदीप वाल्मीकि जो आप के नेता रहे हैं वो लगातार अरविंद केजरीवाल पर मनुवादी होने का आरोप लगाते रहे हैं। और सवाल ये उठाया जाता रहा कि केजरीवाल ने अभी तक अपनी कैबिनेट में दलितों को मुख्य पद क्यों नहीं दिया। 

 

*दलित टाइम्स उन करोड़ो लोगो की आवाज़ है जिन्हें हाशिए पर रखा गया है। *

महिला, दलित और आदिवासियों के मुद्दों पर केंद्रित पत्रकारिता करने और मुख्यधारा की मीडिया में इनका प्रतिनिधित्व करने के लिए हमें आर्थिक सहयोग करें।

  Donate

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *