Custodial Death : पुलिस कस्टडी में दलित-आदिवासियों की मौत का आंकड़ा आपको चौंका देगा..

Share News:

दो दिन पहले झारखंड में एक दलित युवक की पुलिस कस्टडी में मौत हो गयी। पुलिस वालो ने कहा कि दलित युवक अनिकेत भुइयां ने खुद को कंबल से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। वहीं परिजनो यानी पीड़ित दलित परिवार ने आरोप लगाया था कि पुलिस के टॉर्चर ने अनिकेत को मार डाला। हालांकि शनिवार 24 फरवरी को पुलिस की समझाइश के बाद पीड़ित परिवार शव के दाह संस्कार के लिए मान गया और दलित युवक अनिकेत के शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया। इसके बाद पुलिस ने अंतिम संस्कार के लिए परिजनों का 30 हजार नकद दिए। साथ ही सरकारी नियमों के अनुसार मुआवज़े के 15 लाख, 5 डिसमिल जमीन , राशन कार्ड, मृतक के आश्रितों को योग्यता अनुसार नौकरी और एक आश्रित को पेंशन देने की बात कही है।

यह भी पढ़े : 14 साल में 40 हजार से ज्यादा अंतिम संस्कार कर चुकी हैं लक्ष्मी जेना, बच्चों के साथ रहती हैं श्मशान घाट पर

चोरी के आरोप में पुलिस ने उठाया था :

घटना शव के अंतिम संस्कार से दो दिन पहले की बताई जा रही है। यानी गुरुवार 22 फरवरी की। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दलित युवक अनिकेत को पुलिस 21 फरवरी को चोरी के शक के आधार पर पूछताछ के लिए थाने ले गयी थी लेकिन 22 तारीख को पुलिस थाने में दलित युवक का संदिग्ध परिस्थितियों में शव मिला था। पुलिस ने परिजनों को कहा कि अनिकेत ने कंबल से खुद को फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली वहीं परिजनो ने आरोप लगाया कि थाने में पुलिस ने पूछताछ नहीं बल्कि उनके बेटे को टॉर्चर किया जिसकी वजह से उसकी जान चली गई। बता दें कि नेता प्रतिपक्ष और कई अन्य विधायकों ने इस मुद्दे को उठाया था जिसके बाद रामगढ़ जिला प्रशासन ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के निर्देशों के अनुसार इसकी न्यायिक जांच कराने का निर्णय लिया है।

यह भी पढ़े : दलित-आदिवासी महिलाओ का यौन उत्पीड़न करने वाले शाहजहाँ शेख पर कोलकाता हाईकोर्ट ने कसी नकेल

पुलिस कस्टडी में मौत का आंकड़ा चौकाने वाला :

बता दें कि पुलिस कस्टडी में पूछताछ के नाम पर हो रही इन मौतों का आंकड़ा काफी बड़ा है वहीं पुलिस कस्टडी में सबसे ज्यादा मौत दलित और आदिवासी समुदाय की होती है। बीते साल यानी 2023 के फरवरी महीने में  केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया था कि 5 सालों में देश भर में पुलिस कस्टडी में कुल 669 मौतें हुई थी। इसमें 2018 में 146 , 2019 में 136 ,  2020 में 112, 2021 में 100 और 2022 में 175 मौतें हुई थी।

यह भी पढ़े : मध्यप्रदेश : सिवनी में आदिवासी युवक के साथ बर्बरता मामले में बड़ा अपडेट, सभी आरोपी गिरफ्तार

कुछ उदाहरण देखिए :

  1. THE TIMES OF INDIA की एक रिपोर्ट के मुताबिक 16 फरवरी को अलीगढ़ के एक पुलिस स्टेशन में एक सप्ताह तक हिरासत में रहने के बाद 20 वर्षीय दलित व्यक्ति गौरव जाटव की मौत हो गयी। इस मामले में SHO और सब-इंस्पेक्टर को उनके पद से हटा दिया गया। पीड़ित परिवार ने आरोप लगाया था कि दलित युवक को पुलिस हिरासत में प्रताड़ित किया गया था।

  2. अगस्त 2023 में झारखंड के गिरिडीह में एक दलित युवक नागो पासी की पुलिस कस्टडी में मौत हुई थी। पुलिस ने अपने बचाव के लिए इसे हार्ट अटैक बताया लेकिन परिवार वालों ने कहा कि उनके बेटे की मौत पुलिस की बेरहमी से की पिटाई की वजह से हुई है।

  3. 2023 में उत्तर प्रदेश के मेरठ में खुर्जा पुलिस स्टेशन के 8 पुलिस कर्मियों को इसलिए गिरफ्तारी की सजा सुनाई गयी क्योंकि 2020 में उन्होंने पुलिस कस्टडी में एक दलित युवक की बेरहमी से हत्या कर दी थी। साथ ही दलित युवक के परिवार को भी टॉर्चर किया था।

  4. वहीं  NATIONAL CAMPAIGN AGAINST TORTURE नाम की एक वेबसाइट के मुताबिक भारत में रोजाना पुलिस कस्टडी में 5 मौतें हो रही है वहीं जिन लोगों की मौतें हो रही है वो दलित, आदिवासी, और मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखते है। वहीं मौत के कारण  शरीर पर लोहे की चीज़ से वार करना, निजी अंगों पर प्रहार करना, मुंह में पेशाब करना शामिल है।

*दलित टाइम्स उन करोड़ो लोगो की आवाज़ है जिन्हें हाशिए पर रखा गया है। *

महिला, दलित और आदिवासियों के मुद्दों पर केंद्रित पत्रकारिता करने और मुख्यधारा की मीडिया में इनका प्रतिनिधित्व करने के लिए हमें आर्थिक सहयोग करें।

  Donate

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *