“विश्व हिंदी दिवस” पर जाने क्यों लुप्त हो रही हैं हिंदी भाषा

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विश्व हिंदी दिवस 1975 में आयोजित पहले विश्व हिंदी सम्मेलन की वर्षगांठ को चिह्नित करने के लिए प्रतिवर्ष 10 जनवरी को मनाया जाता है। पहले विश्व हिंदी सम्मेलन का उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था। 1975 से विभिन्न देशों जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, मॉरीशस, त्रिनिदाद और टोबैगो ने विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन करते रहे है।

पहली बार 2006 में मनाया गया था विश्व हिंदी दिवस

पहली बार 10 जनवरी 2006 को पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह द्वारा विश्व हिंदी दिवस का आयोजन किया गया। तब से लेकर हिंदी दिवस को वैश्विक रूप में विश्व हिंदी दिवस को अंतरराष्ट्रीय हिंदी दिवस के रूप में विश्व के कई देशों में मनाया जाने लगा. इस दिन 10 जनवरी को सभी देशों में स्थित भारत के दूतावासों में विश्व हिंदी दिवस पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और हिंदी भाषी लोगों को आमंत्रित किया जाता है.इसका उद्देश्‍य विश्व में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिये जागरूकता पैदा करना तथा हिन्दी को अन्तराष्ट्रीय भाषा के रूप में पेश करना है।

विश्व में हिंदी चौथी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है पहले नंबर पर अंग्रेजी भाषा दूसरे नंबर पर मंदारिन और तीसरे नंबर पर स्पैनिश. विश्व में हिन्दी का विकास करने और एक अंतरराष्ट्रीय भाषा के तौर पर इसे प्रचारित-प्रसारित करने के उद्देश्य से विश्व हिन्दी सम्मेलनों की शुरुआत की गई।

विश्व हिंदी दिवस और हिंदी दिवस के बीच अंतर

विश्व हिंदी दिवस उस महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दिन का प्रतीक है जब प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने भारत में पहले वैश्विक हिंदी सम्मेलन का उद्घाटन किया था, वहीं हिंदी दिवस 14 सितंबर को मनाया जाता है. हिंदी दिवस का उत्सव उस दिन को चिह्नित करता है जब हिंदी को देश के एक अधिकारिक भाषा के रूप में चुना गया था.

लुप्त होती हिंदी भाषा

हिंदी, सदियों से समृद्ध इतिहास के साथ चली आ रही एक भाषा है, जो आज खुद इतिहास बनने के कगार पर खड़ी है। हिंदी भाषा धीरे-धीरे लुप्त हो रही है, पर शायद अभी पूरी तरह से नही हुई है, लेकिन फिर भी इसकी स्थित बहुत भयावह है। नई पीढ़ी के साथ हिंदी के लिए एक नई लहर पैदा करना बहुत ही मुश्किल काम हैं एक तरफ हम हिंदी दिवस और विश्व हिंदी दिवस मनाते है तो वही हम में से कई लोग हिंदी बोलने से कतराते हैं। सवाल उठता हैं क्यों ? क्योकि भारत देश में एक ऐसी मानसिकता उभरी हैं जिसके तहत यदि आप घर दफ्तर और दोस्तों के बीच हिंदी का इस्तेमाल करते तो आपको कमतर माना जाता आपकी शिक्षा पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया जाता हैं।

इसी मानसिकता के चलते हमारे देश में अंग्रेजी के आगे हमारी हिन्दी और हिन्दी के आगे हमारी बोलियां अपना सम्मान और स्वाभिमान खोती जा रही हैं। अंग्रेजी तो हुकूमत चलाने वाले हाकिमों और बड़े लोगों की भाषा हो गई है और इस देश की अपनी हिन्दी आम शासित लोगों की भाषा बन कर रह गई है। देश के सुप्रीमकोर्ट और हाइकोर्टों में अंग्रेजी चलती है।स्कूलों दफ्तर किसी भी काम में हिंदी की बजाय अंग्रेजी आगे रहती हैं।

हिंदी हमारी मातृभाषा है । इसने भारत की सांस्कृतिक धरोहर को संजोकर रखा है। हिंदी भाषा वर्तमान में नवीन शब्दों का स्वयं में समावेश कर और अधिक समृद्ध हो रही है। हमें हिंदी भाषा को इसका गौरव लौटाने की दिशा में गंभीर प्रयास करने की आवश्यकता है। स्कूलों में भी अधिकतम उन छात्र-छात्राओं की प्रशंसा की जाती है जो हिंदी छोड़ कर विदेशी भाषाओं में अच्छी पकड़ रखते हो। हिंदी भारत की सबसे अधिक लोकप्रिय और सरल भाषाओं में से एक है। हमें हिंदी भाषा का अधिक से अधिक प्रयोग कर इसका प्रचार प्रसार भी करना चाहिए।

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