अजमेर: दलित युवक आत्महत्या केस में भीम आर्मी चीफ ने की सीबीआई जांच की मांग, आंदोलन हुआ तेज

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बुधवार को राजस्थान के अजमेर जिले के नोसल गांव में दलित युवक ओम प्रकाश रैगर ने तथाकथित उच्च जाति वालों के अत्याचार से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी। फिलाहल ओम प्रकाश को न्याय दिलाने की मांग और आंदोलन दोनो तेज़ हो गए हैं। बुधवार को भीम आर्मी के संस्थापक चंद्र शेखर आज़ाद पीड़ित परिवार से मिलने अजमेर के रूपनगढ़ थाना क्षेत्र पहुंचें लेकिन राजस्थान पुलिस ने उन्हें बगरू टोल पर ही रोक लिया। जिसके बाद ग्रामीणों का गुस्सा फूंट गया औऱ सभी राजकीय स्वास्थ केंद्र के बाहर सभी धरने पर बैठ गए । ये धरना रात करीबन साढ़े 11 बजे तक जारी ऱहा। फ़िलहाल, शव का पोस्टमार्टम कर लिया गया है। लेकिन परिजनों ने वालों ने शव को लेने से मना कर दिया है।

मामले में CBI जांच की मांग:

बता दें कि पीड़ित की मौत को 24 घंटो से ज्यादा का समय बीत चुका है लेकिन ना तो राजस्थान सरकार ने पीड़ित परिवार की सुध ली है और ना ही पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार किया है। बहरहाल, चंद्र शेखर ने ट्वीट कर मामले में निष्पक्ष जांच की मांग की। उन्होंने लिखा, “अजमेर जिले के गांव नोसल में घटित हुई शर्मनाक घटना, जिसमे सामंती तत्वों और पुलिस प्रशासन द्वारा प्रताड़ित किये जाने के बाद, भाई ओम प्रकाश रैगर ने कल आत्महत्या कर ली थी, इस घटना में पुलिस और रसूखदार लोगों के शामिल होने के कारण इसकी निष्पक्ष जांच के लिए CBI जांच करवाई जाए।”

वहीं नागौर से सांसद हनुमान बेनिवाल ने दोषियों को कठोर सज़ा की मांग करते हुए कहा कि दलितों पर लगातार अत्याचार बढ़ रहें है औऱ राजस्थान सरकार दलितों को संरक्षण नहीं दे पा रही है।

आरोपियों की गिरफ्तारी कब?

मृतक के पास से तीन पन्नो का सुसाइड नोट मिला है जो कल से सोशल मीडिया पर वाय़रल है। इस सुसाइड नोट में मृतक ने गांव के पूर्व सरपंच रणजीत सिंह राठौर द्वारा पुलिस पर दबाव बनाने और डीएसपी ग्रामीण लोकेंद्रपाल पर कोई कार्यवाही ना करने का आरोप लगाया है।  सुसाइड नोट में आगे लिखा है कि, दिवाली पर किसनराम गुर्जर से झगड़े के बाद जब हम पुलिस स्टेशन गए तो गांव के पूर्व सरपंच रणजीत सिंह ने कॉल करके पुलिस पर दबाव बनाया। जिसके बाद पुलिस ने पीड़ित ओम प्रकाश और परिवार वालों पर ही झूठा मामला दर्ज कर दिया। बहरहाल, डिएसपी सिटी मनीष शर्मा के मुताबिक, चार नामज़द और पुलिसकर्मियों के खिलाफ़ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।

दलितों पर बढ़ रहा है जातिवादियों का अत्याचार :

राष्ट्रिय अपराध रिकॉर्ड ब्योरो यानी ncrb की हालिया रिपोर्ट कहती है कि साल 2021-2022 में यूपी के बाद दलितों के साथ अत्याचार में  राजस्थान दूसरे नंबर पर है। यही नहीं बीते चार साल में राजस्थान में 60 फिसदी अपराध सिर्फ दलितों के साथ हुए हैं। वहीं कुछ मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि साल 2022 के शरूआती 6 महिनों में इतने केस सामने आ गए जितने पहले किसी भी छमाही में नहीं आएं। वहीं चौकाने वाली बात ये हैं कि साल 2013 में पूरे देश में राजस्थान दलितों के साथ अत्याचार के मामले में पहले नंबर पर था। यानी 9 सालों मे राजस्थान में दलितो पर अत्याचार सिर्फ इतना कम हुआ है कि राजस्थान की रैंकिग पहले से दूसरे स्थान पर पहुंच गई है।

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