मध्यप्रदेश : नीमच में गर्भवती महिला को अस्पताल वालों ने नहीं किया भर्ती, ऑटो में दिया बच्चे को जन्म

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रिस्क से बचने के लिए सीरियस मरीज़ो को अस्पताल द्वारा भर्ती न करना अब आम बात हो गयी है। हालांकि इस कारण मरीज को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कई बार तो मरीज़ो की मौत ही हो जाती है। और राह जाते सिर्फ जांच के आदेश और ढीली ढाली सुस्त जांच की कार्यवाही…

 

मध्यप्रदेश के नीमच से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे सुनकर आप कहेंगे कि अस्पतालों में जाकर धक्के खाने से अच्छा है आस पास से मदद मांगना बेहतर है। दअरसल नीमच जिले में एक गर्भवती महिला को अस्पताल वालों ने भर्ती करने से मना कर दिया। जिसके बाद महिला ने ऑटो रिक्शा में ही बच्चे को जम्म दे दिया। हालांकि महिला के पति ने कहा कि बच्चे के जन्म के बाद अस्पताल वालों ने जच्चा और बच्चा दोनों को भर्ती कर लिया।

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ऑटो में दिया बच्चे को जन्म :

घटना 22 मई को मध्यप्रदेश के नीमच जिले में घटी। दोपहर करीब ढाई बजे रजनी को लेबर पेन शुरू हुआ। जिसके बाद रजनी का पति उसे रिक्शे में लेकर तुरंत जिला अस्पताल पहुंचा लेकिन जिला अस्पताल वालों ने महिला को भर्ती करने से मना कर दिया । परिवारवालों का आरोप है कि लाख विनती के बाद भी अस्पताल वालों के कानों पर जूं न रेंगी। और आखिर में अस्पताल के बाहर ही महिला यानी रजनी ने रिक्शे में बच्चे को जन्म दे दिया। हालांकि आस पास के लोगों ने चादर वगैरह देकर उनकी मदद की।

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महिला को राजस्थान ले जाने को कहा :

महिला के पति का आरोप है कि अस्पताल वालों ने उसे पत्नी को राजस्थान ले जाने के लिए कहा। उसके बार-बार विनती करने के बाद भी अस्पताल के कर्मचारियों ने उसकी नहीं सुनी। बता दें कि रिपोर्ट के मुताबिक दिनेश (गर्भवती महिला का पति) राजस्थान के चित्तौड़गढ़ के गंगरार का रहने वाला है और पिछले कुछ महीनों से मध्यप्रदेश के नीमच के मालखेड़ा गांव में रहते हैं और कंबल बेचने का काम करते हैं। हालांकि इस पूरे मामले पर नीमच के कलेक्टर ने जांच के आदेश दिए हैं और कहा है कि जो भी दोषी पाया जाएगा उस पर कार्यवाही होगी।

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डॉक्टर ने क्या कहा :

पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, जिला अस्पताल के डॉक्टर और मेटरनिटी डिपार्टमेंट के हेड डॉ. लाड धाकड़ ने कहा,

“उस दिन एनेस्थेटिस्ट छुट्टी पर थे जिसके चलते वहां सिजेरियन डिलीवरी नहीं हो सकीं. अस्पताल में नियमित ड्यूटी के लिए भी पर्याप्त डॉक्टर नहीं थे. मेरी ड्यूटी दो बजे तक थी. उसके बाद महिला को अस्पताल लाया गया. जब स्टाफ ने मुझे बताया तो मैंने उसे जाकर देखा. महिला का ब्लड प्रेशर बढ़ रहा था. महिला के पति से कहा गया कि उसे बड़े अस्पताल में ले जाने की जरूरत है लेकिन वो वहीं रुक गए. रिस्क से बचने के लिए हम सीरियस मरीजों को भर्ती नहीं करते।”

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