50 फीसदी युवाओं को साथ लाकर बसपा फिर से कामयाब हो पाएगी?

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रिश्ते हो या राजनीति दोनों में अच्छे परिणामों के लिए नयापन बेहद ज़रूरी है। इसलिए बीएसपी सुप्रीमों मायावती पार्टी में नयापन लाने के लिए युवाओं को प्राथमिकता बना रही हैं। इसी कड़ी में मायावती ने  पार्टी में 50 फिसदी भागीदारी युवाओं को सौंपने का एलान किया है।

नए साल के लगभग दो हफ्ते बीत जाने के बाद राष्ट्रीय युवा दिवस पर बीएसपी के नेशनल कॉर्डिनेटर आकाश आनंद ने एक ट्वीट करते हुए कहा था कि “देश को मजबूत बनाने औऱ देश मे जातीय अत्याचार को खत्म करने के लिए युवाओं को आगे आना होगा..औऱ इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए बीएसपी सुप्रीमों मायावती ने बीएसपी में युवाओं की 50 फीसदी भागीदारी का आह्वान किया है। बहरहाल, उत्तरप्रदेश के नगर निकाय चुनावों और 2024 के लोकसभा चुनावों की तैयारी को लेकर बीएसपी पहले से सुर्खियों में हैं। वहीं अब पार्टी में युवाओँ की भागीदारी बढ़ाने की बात हो रही है तो बीएसपी के साथ-साथ आकाश आनंद भी चर्चा में आ गए हैं।

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मायावती ने आकाश आनंद को सौंपी जिम्मेदारी:

वर्तमान में बीएसपी अपने सबसे बुरे दौर से गुज़र रही है। विधानसभा में भी बीएसपी का सिर्फ एक विधायक है। ऐसे में सुप्रीमों मायावती ने पार्टी के बंद दरवाजे खोलने और पार्टी की संरचना में लचीलापन लाने के लिए अहम कदम उठाया है। मायावती ने अपने भतीजे औऱ बीएसपी के नेशनल कॉर्डिनेटर आकाश आनंद को देश भर के युवाओं को पार्टी से जोड़ने की जिम्मेदारी दी है। ये बात आकाश आनंद के ट्वीट के बाद खुद सुप्रीमों मायावती ने पत्रकारों से बातचीत में कही थी।

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नए दौर की बीएसपी को तैयार करेगें आकाश आनंद ?

साल 2017 में मेरठ की रैली में पहली बार आकाश आनंद अपनी बुआ (बीएसपी सुप्रीमों) मायावती के साथ दिखे थे। बाकायदा उन्होंने मंच से अपना पहला भाषण भी इसी रैली में दिया था। इसके बाद मायावती ने आकाश को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी, उन्हें बीएसपी का नेशनल कॉर्डिनेटर बनाया गया। इसके अलावा, 2023 में 9 रज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में से मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ औऱ राजस्थान की कमान आकाश आनंद को सौंपी गयी है।

अपनी बुआ और बीएसपी सुप्रीमो मायावती के साथ आकाश आनंद (image: dalit times)

लेकिन इस बीच अब पार्टी को युवाओं से जोड़ने की जिम्मेदारी भी आकाश आनंद के पास हैं। सवाल ये भी है कि अपने सबसे बुरे दौर से गुज़र रही बीएसपी को आकाश नए दौर की बीएसपी बना पाएंगे ? हालांकि नए दौर की बीएसपी बनाने से ज्यादा अहम सवाल यहाँ ये उठता है कि वर्तमान स्थिती को देखते हुए क्या राजनीति में बीएसपी अपनी मौजूदगी बरकरार रख पाएगी ?

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किसके साथ हैं युवा ?

राजनीति में ये बात मानी गई है कि उत्तरप्रदेश की आबो हवा ही यह तय करती है कि केंद्र की सत्ता किसके हाथों में जाएगी। वहीं अब यूपी के अलावा देश की सबसे अधिक आबादी यानी युवाओँ पर दाव चले जा रहे हैं। एक तरफ समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव खुद को युवा नेता के तौर पर स्थापित करते आए हैं तो वहीं उत्तर प्रदेश में अब नए नए युवा नेता सामने आ रहें हैं। 2019 के लोकसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी और कॉंग्रेस का वो नारा तो सबको याद ही होगा जिसमें युवा नेता अखिलेश यादव और युवा नेता राहुल गांधी ने कहा था कि ,”यूपी को ये साथ पसंद है” हालांकि दोनों युवा नेता कोई खास कमाल तो न दिखा सके।

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भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आज़ाद औऱ बीएपी के नेशनल कॉर्डिनेटर आकाश आनंद (image: dalit times)

 

लेकिन बात अगर आकाश आनंद की कि जाए तो उनके लिए यहां दोहरी चुनौती है। पहली ये की उन्हें सिर्फ दलित युवाओं तक सीमित नहीं रहना होगा बल्कि हर एक समाज (SC, ST, OBC और मुस्लिम) के युवाओं को बीएसपी से जोड़ने का काम करना है। दूसरी चुनौती खुद “चंद्रशेखर आज़ाद” हैं। जिन्हें “रावण” के नाम से ज़्यादा लोकप्रियता हासिल हुई है। रावण का एक अलग और बेबाक अंदाज़ है। अगर वह जमशेदपुर के मंच से भी हुंकार भरे तो यूपी और राजस्थान समेत मध्यप्रदेश के दलित युवाओं में जोश भर देते हैं। वैसे भी “राजनीति में कहा जाता है कि जनता उसे ही अपना नेता मानती है जो शासन प्रशासन की आंखों में आंखे डाल कर उन पर उंगली उठाने का जज़्बा रखता हो, उन्हें हड़काने का जज़्बा रखता हो, वरना भीगी बिल्ली को कौन अपना नेता चुनता हैं ? ”

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दलित युवाओं का चंद्रशेखर की तरफ झुकाव होने का सबसे बड़ा कारण था बीएसपी में लचीलेपन का न होना। हालांकि अब बीएसपी में लचीलापन देखने के लिए मिल रहा है जिस तरह से पार्टी की अहम जिम्मेदारी युवाओं को सौंपी जा रही है उस लिहाज़ से यह कहना गलत नहीं होगा कि बीएसपी अपना भविष्य युवाओं में देख रही है। बीएसपी युवा नेता के तौर पर आकाश आनंद और कपिल मिश्रा जैसे युवा चेहरों को आगे बढ़ा रही है। बताते चले कि कपिल मिश्रा बीएसपी के जनरल सेक्रेटरी सतीश चंद्र मिश्रा के बेटे हैं और वर्तमान में पार्टी के नेशनल मीडिया कॉर्डिनेटर हैं।

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