संघर्ष का पर्याय : बहनजी

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आज ही के दिन यानी 15 जनवरी 1956 को भारत देश को सुश्री बहन कुमारी मायावती जी नाम का एक ऐसा कोहिनूर हीरा मिला जिसने भारत देश की सदियों पुरानी रूढ़िवादी परम्पराओं मनुवादी व्यवस्था जातियां विषमताओं को तोड़कर भारत देश को समता स्वतंत्रता मानवता का एक नया ऐतिहासिक अध्याय लिखा जो अमिट हैं।
यदि हम बात करें टीबी डिबेट में चाहे राजनीति क्षेत्र में हो या अन्य क्षेत्र में जिसमें महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं तो आप को मालूम होगा भारतीय राजनीति में सफल महिलाओं की संख्या गिनी-चुनी ही हैं। उन में से एक नाम सुश्री बहन कुमारी मायावती (बहनजी) का भी आता है।जिसने सियासी रूप से देश के सबसे ताकतवर राज्य उत्तर प्रदेश की सियासत के तमाम स्थापित समीकरणों को नश्ते-नाबूत दिया था जिसके बाद देश की राजनीति में दलित चेतना के नए युग का आगाज़ हुआ।

NEW DELHI, INDIA – MAY 3: A supporter flaunts a BSP flag at Mayawati’s election rally on May 3, 2009 at Ramlila Ground, India. (Image:  Getty Images)

उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य की मुख्यमंत्री के तौर पर नेतृत्व करना “महिला सशक्तिकरण का सबसे बड़ा उदाहरण” है। वह भी उस उम्र में जब महिलाएं ठीक से अपना जीवन यापन नहीं कर सकतीं थी तब उस उम्र में सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर रही थी। भारतीय राजनीति में किसी महिला के लिए यह ओहदा पाना आसान बात नहीं है। इस बारे में सुश्री मायावती जी ने कहा था ‘मैंने राजनीति में आने का जो फ़ैसला किया तो मुझे दूसरे नेताओं की तरह राजनीति विरासत में नहीं मिली। हमारे परिवार में कोई राजनीति में नहीं है, दूर-दूर तक हमारे रिश्ते नातों में भी कोई राजनीति में नहीं है।’
ऐसा में बिना राजनीतिक विरासत के भी बहन जी ने देश की सियासत में खलबली मचा दी इतने लंबे समय से राजनीति में रहने के बाद सुश्री मायावती की पहचान ‘बहन जी’ के तौर पर बन गई है। आज पूरा भारत ही नहीं बल्कि पूरा विश्व उनको बहनजी के नाम से पुकारते हैं और जानते हैं। उनके आने के बाद ही देश की राजनीति में दलित चेतना

बहनजी अपने आप में संघर्ष का प्रतीक हैं ऐसा कहने में मुझे कोई गुरेज नहीं है कि संघर्ष का पर्याय “बहनजी” हैं । क्योंकि जब महिलाओं को घर की दहलीज लांघने तक की इज्जत नहीं थी तब वह उस समय अपने समाज व बहुजन आन्दोलन के लिये गली-गली गांव गांव में जाकर संघर्ष कर रही थी। यह सब एक दलित समुदाय से आने वाली महिला के लिए कल्पना करने से भी परे था। ऐसे में जाति रूढ़िवादी परम्परा आदि के दुष्चक्र को तोड़ कर समतावादी मानवतावादी रास्ते पर चलकर स्वयं का अपना पहचान बनाना एक अमिट इतिहास हैं जो आगे चलकर आने वाली पीढ़ियों के लिये प्रेरणा व संघर्ष का प्रतीक होगा। खासकर उन महिलाओं के लिये जो अपने पैरों पर खड़े होने व अपनी अलग पहचान बनाने कि जद्दोजहद कर रहीं हैं।

KHARAR, INDIA – JANUARY 21: Mayawati, Chief Minister of Uttar Pradesh at election campaign rally on January 21, 2012 in Kharar, India. (Image: Getty Images)

भारत महानायिका सुश्री बहन कुमारी मायावती जी के जीवन संघर्ष पर विश्व विख्यात समाजशास्त्री एवं बहुजन चिंतक प्रो. विवेक कुमार ने अपने एक लेख में लिखा था, “यह विडंबना है कि लोग आज मायावती जी के गहने देखते हैं, उनका लंबा संघर्ष और एक-एक कार्यकर्ता तक जाने की मेहनत नहीं देखते। वे यह जानना ही नहीं चाहते कि संगठन खड़ा करने के लिए मायावती जी कितना पैदल चलीं, कितने दिन-रात उन्होंने दलित बस्तियों में काटें । मीडिया इस तथ्य से आंखें मूंदे है। जाति और मजहब की बेड़ियां तोड़ते हुए मायावती ने अपनी पकड़ समाज के हर वर्ग में बनाई है। वह उत्तर प्रदेश की पहली ऐसी नेता हैं, जिन्होंने नौकरशाहों को बताया कि वे मालिक नहीं, जनसेवक हैं। अब सर्वजन का नारा देकर उन्होंने बहुजन के मन में अपना पहला दलित प्रधानमंत्री देखने की इच्छा बढ़ा दी है। दलित आंदोलन और समाज अब मायावती में अपना चेहरा देख रहा है। भारतीय लोकतंत्र को समाज की सबसे पिछली कतार से निकली एक बहुजन महिला की उपलब्धियों पर गर्व होना चाहिए।”

बहनजी की अन्य उपलब्धियों की चर्चा करें तो सन् 2003 में सुश्री मायावती जी को यूनिसेफ, विश्व स्वास्थ्य संगठन और रोटरी इंटरनेशनल द्वारा “पॉल हैरिस फेलो पुरस्कार” से सम्मानित किया गया था। राजर्षि शाहू मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा राजर्षि शाहू पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। वर्ष 2008 में, फोर्ब्स ने सुश्री मायावती जी को दुनिया की 100 सबसे शक्तिशाली महिलाओं की सूची में 59 वें स्थान पर रखा। और वह वर्ष 2007 में न्यूज़ वीक की शीर्ष महिला की सूची में शामिल की गईं।और इतना ही नहीं टाइम पत्रिका ने सुश्री मायावती जी को वर्ष 2007 के लिए भारत की 15 सबसे प्रभावशाली शख्सियत की सूची में शामिल किया।

इन सब के बावजूद जब महिला सशक्तिकरण की बात होती हैं तो बहनजी का नाम बहुत ही कम लिया जाता है। जब कि वह महिला सशक्तिकरण का सबसे बड़ा और ऐतिहासिक उदाहरण है। क्योंकि बहनजी का पृष्ठभूमि उन महिलाओं से बिल्कुल अलग है उन्होंने अपने जीवनकाल में अनेकों जातिगत भेदभावों व अन्य प्रकार कि सामाजिक समस्याओं का सामना किया हैं तब जाकर उन्होंने एक ऐतिहासिक मकाम बनाया है।

मैं समस्त नारी समाज से खासकर हाशिये वर्ग की महिलाओं से कहना चाहूँगी कि हम सभी को भारत महानायिका बहनजी को प्रेरणास्रोत व आदर्श के रूप में देखने की व लोगों को बताने की जरूरत है। जिस समाज की महिलाओं को सदियों से हाशिये पर रखा गया उनको सत्ता हो शिक्षा हो या शासन-प्रशासन आदि के क्षेत्र से वंचित किया गया यदि उनको अवसर दिया जाए तो वह समाज व देश कि सेवा (शासन-प्रशासन) में पूरी तरह से परिवर्तन लाने में सक्षम हैं।

NEW DELHI, INDIA – MAY 19: Former Uttar Pradesh Chief Minister and Rajya Sabha member Mayawati addresses a press conference on May 19, 2012 in New Delhi, India. (Image:  Getty Images)

यह बहनजी ने अपने शासनकाल के दौरान करके दिखाया है।उनके द्वारा किया गया कार्य न सिर्फ वंचित समुदाय बल्कि सभी के लिए एक इतिहास बन गया है। आज भी वह भारत देश की अकेली ऐसी नेता व शख़्सियत हैं जो नदी की धारा की दिशा बदलने की क्षमता रखतीं हैं। यदि आज भारत की (दलित शोषित वंचित) वर्ग की हम जैसी महिलाएं मुख्यमंत्री/प्रधानमंत्री बनने का सपना देख सकती है। तो यह ताकत हौसला सिर्फ और सिर्फ सुश्री बहन कुमारी मायावती जी से मिलती है। यदि आज बहुजन समाज की महिलाओं के अंदर नई चेतना आई है तो उसका कारण सिर्फ बहनजी हैं। बहनजी ने अपने शासनकाल के दौरान महिला सशक्तिकरण के लिए अनेकों कार्य किया उदाहरण के लिए कई बालिका स्कूल काॅलेज बनवाये व माता सावित्रीबाई फुले छात्रवृत्ति योजना जैसी अनेकों योजनाएं चलाकर बेटियों व महिलाओं को सशक्त बनाने का कार्य किया।

यदि आज हम महिलाओं की आवाज सुनी जा रहीं हैं तो सिर्फ बहनजी की वजह से आज यदि सही मायने में भारत में संवैधानिक व लोकतांत्रिक जड़ों भारत देश में मजबूत कर रहा है तो वह कोई और नहीं बल्कि बहनजी हैं। यदि आज बहुजन समाज चर्चा के केंद्र में हैं तो सिर्फ और सिर्फ बहनजी की वजह है। इसलिए हम सभी को बहनजी से प्रेरणा लेकर अपने समाज व बहुजन आंदोलन के लिये एक होकर काम करना चाहिए। और बुद्ध-बाबासाहेब के सपनों को साकार करने के लिए उनका साथ देना चाहिए। यही सही मायने में बहनजी के जन्मदिवस पर सबसे बड़ा उपहार होगा।
विश्व के समस्त मानव समाज को “जन कल्याणकारी दिवस” की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं!!

दीपशिखा इन्द्रा
बी टेक सिविल इंजीनियरिंग, MSW

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