अरविंद केजरीवाल ने 2020 के चुनावी वादों में यमुना की सफाई, यूरोप जैसी सड़कों और बेहतर सुविधाओं का वादा किया था, जो अब तक अधूरे हैं। उन्होंने अपनी नाकामियों के लिए कोरोना और केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए माफी मांगी। विपक्ष ने इसे वादाखिलाफी बताते हुए निशाना साधा, जबकि यमुना की गंदगी और अधूरे विकास कार्य चुनाव में बड़े मुद्दे बन गए हैं।
2020 में दिल्ली विधानसभा चुनावों में अरविंद केजरीवाल ने वादा किया था कि वह यमुना को स्वच्छ बनाएंगे। यह वादा दिल्ली की जनता के लिए बड़ा सपना था, लेकिन पांच साल बाद भी यमुना की स्थिति जस की तस है। छठ पूजा के दौरान नदी की सफेद झाग और गंदगी हर बार चर्चा का विषय बनती है। हाल ही में, भाजपा नेता प्रवेश वर्मा ने यमुना में केजरीवाल का कटआउट डुबोकर यह संदेश दिया कि “मैं फेल हो गया, मुझे माफ करना।” यह तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई और विपक्षी पार्टियों ने इसे केजरीवाल सरकार की विफलता का प्रतीक बताया।
यूरोप जैसी सड़कों का वादा बना मजाक
केजरीवाल ने दिल्ली की सड़कों को यूरोप की तरह चमकाने का वादा किया था। लेकिन दिल्ली की सड़कों की हालत खराब है। गड्ढे, जलभराव और जर्जर इन्फ्रास्ट्रक्चर दिल्लीवासियों के लिए बड़ी समस्या बने हुए हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में दिल्ली का दौरा करते हुए एक वीडियो शेयर किया जिसमें गंदगी और टूटी सड़कों को दिखाते हुए कहा, “यह है केजरीवाल जी की पेरिस वाली दिल्ली।”
मुफ्त योजनाओं के पीछे छुपी सच्चाई
केजरीवाल सरकार ने अपनी मुफ्त योजनाओं का खूब प्रचार किया, जिसमें बिजली, पानी, और बस यात्रा शामिल हैं। हालांकि, विपक्ष का आरोप है कि ये योजनाएं दिल्ली को कर्ज में डुबो रही हैं। भाजपा ने कहा कि अगर मुफ्त योजनाओं की जगह विकास कार्यों पर ध्यान दिया गया होता तो दिल्ली की हालत कुछ और होती। भाजपा के प्रवक्ताओं ने जनता को आगाह किया कि अगर उन्होंने “झाड़ू” को चुना, तो दिल्ली विकास के मामले में और पिछड़ जाएगी।
कोरोना और “जेल-जेल का खेल” बहानेबाजी या सच्चाई?
केजरीवाल ने अपनी विफलताओं के लिए कोरोना और केंद्र सरकार के कथित उत्पीड़न को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि “ढाई साल कोरोना चला, फिर उन्होंने (केंद्र ने) जेल-जेल का खेल खेला।” लेकिन विपक्ष का कहना है कि यह सिर्फ बहानेबाजी है। भाजपा और कांग्रेस ने तंज कसते हुए कहा कि दिल्ली सरकार के पास पर्याप्त फंड और संसाधन थे, लेकिन उनका सही इस्तेमाल नहीं किया गया।
चुनावी वादों पर भारी विरोध
दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान होना है, और इस बार के चुनाव में 70 सीटों पर 699 उम्मीदवार खड़े हैं। अरविंद केजरीवाल की नई दिल्ली सीट पर 22 उम्मीदवार मैदान में हैं। विपक्ष लगातार आम आदमी पार्टी को निशाने पर ले रहा है। भाजपा का कहना है कि अगर “कमल” को वोट नहीं दिया गया तो दिल्ली में और “गंदगी” फैलेगी। वहीं कांग्रेस ने जनता को याद दिलाया कि यमुना, सड़कें और पानी के वादे सिर्फ चुनावी जुमले थे।
जनता के साथ छल या मजबूरी?
केजरीवाल सरकार के पिछले पांच साल के कार्यकाल में कई वादे अधूरे रह गए। यमुना की सफाई, सड़कों की स्थिति और अन्य वादे अब चुनावी मुद्दे बन चुके हैं। विपक्ष का कहना है कि यह जनता के साथ छलावा है। सवाल यह है कि क्या दिल्लीवासी इस बार केजरीवाल सरकार को माफ करेंगे या भाजपा और कांग्रेस को मौका देंगे? चुनावी नतीजे 8 फरवरी को साफ कर देंगे कि जनता किसे अपने सपनों का जिम्मेदार मानती है।
*दलित टाइम्स उन करोड़ो लोगो की आवाज़ है जिन्हें हाशिए पर रखा गया है। *
महिला, दलित और आदिवासियों के मुद्दों पर केंद्रित पत्रकारिता करने और मुख्यधारा की मीडिया में इनका प्रतिनिधित्व करने के लिए हमें आर्थिक सहयोग करें।