राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह को लेकर सियासी घमासान, विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार को घेरा

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दिल्ली ब्यूरो: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने विगत 11 जुलाई को नए संसद भवन की इमारत पर स्थापित राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह (National Symbol) अशोक स्तंभ (Ashok Stambh) का उद्घाटन किया था. जिसके बाद विपक्ष ने अशोक स्तंभ की संरचना के साथ छेड़छाड़ करने के गंभीर आरोप लगाते हुए केंद्र सरकार (Central Government) पर निशाना साधा है. आरोप लगाते हुए विपक्ष ने कहा है कि राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह के चारों शेरों की संरचना में फेरबदल कर संविधान का उल्लंघन किया गया है.

विपक्षी दलों का आरोप है कि अशोक स्तंभ के शेरों को क्रूर और भयावह बनाया गया है. इसके लिए शेरों के मुख को और खोल दिया गया है, उत्तर प्रदेश के सारनाथ म्यूजियम में रखे मूल स्वरूप वाले अशोक स्तंभ में शेरों का मुंह बंद मुद्रा में है.

राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान-जयराम रमेश

कांग्रेस पार्टी के महासचिव जयराम रमेश अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा कि सारनाथ में अशोक स्तंभ पर शेरों के चरित्र और प्रकृति को पूरी तरह से बदलना भारत के राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान है.
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नया प्रतीक आदमखोर प्रवृत्ति का

राष्ट्रीय जनता दल ने ट्वीट में लिखा कि मूल कृति के चेहरे पर सौम्यता का भाव तथा अमृत काल में बनी मूल कृति की नकल के चेहरे पर इंसान, पुरखों और देश का सब कुछ निगल जाने की आदमखोर प्रवृति का भाव मौजूद है. हर प्रतीक चिन्ह इंसान की आंतरिक सोच को प्रदर्शित करता है कि इंसान प्रतीकों से आमजन को दर्शाता है कि उसकी फितरत क्या है.

ये है मोदी का नया भारत

प्रशांत भूषण ने ट्वीट के जरिए केंद्र सरकार हमला बोलते हुए लिखा कि राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ के चारों शेर राजसी और शांति से बैठे है. लेकिन नए संसद भवन के शीर्ष पर बनाए गए राष्ट्रीय प्रतीक में शेरों के गुस्से और सरकार की सोच को दर्शाया गया है.

आपको बता दें कि सोमवार को भी विपक्ष ने राष्ट्रीय प्रतीक के अनावरण पर आपत्ति जताई थी. विपक्ष ने आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह का अनावरण करके संविधान का उल्लंघन किया है. क्योंकि प्रधानमंत्री ने हिंदू रीति रिवाज के अनुसार प्रार्थना की और इस मौके पर किसी भी विपक्षी दल के नेता को नहीं बुलाया.

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