दिल्ली के सिविल लाइंस के खैबर पास में बाल्मीकि समाज के 250 घरों को नोटिस दिखाकर किया जा रहा ध्वस्त: भीम आर्मी का विरो

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“हम यहां पिछले कई दशकों से रह रहे हैं। यह हमारी जड़ों का हिस्सा है। अब अचानक हमें हमारे घरों से बेदखल किया जा रहा है। हम कहां जाएंगे?”

 

दिल्ली के सिविल लाइंस क्षेत्र में स्थित खैबर पास में बाल्मीकि समाज के 250 से अधिक घरों को जमींदोज किया जा रहा है। ये मकान 80-80 साल पुराने हैं और इनमें बाल्मीकि समुदाय के परिवार बसे हुए हैं। इस क्षेत्र में एक प्राचीन बाल्मीकि मंदिर भी स्थित है। चार महीने पहले जारी किए गए नोटिस को आज दिखाकर इन घरों को तोड़ने की कार्रवाई शुरू की गई है, जिससे पूरे इलाके में भय और आक्रोश का माहौल है।

भीम आर्मी का विरोध और मांगें

भीम आर्मी के संस्थापक और आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद चंद्रशेखर आजाद ने इस घटना पर गहरी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने ट्वीट कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल किया है कि आखिर इन लोगों को कहाँ जाने को कहा जा रहा है। उनका मानना है कि केंद्र सरकार को घर खाली करने से पहले इन लोगों को नए मकान उपलब्ध करवाने चाहिए थे।

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आजाद ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बताएं आखिर ये लोग जाएं तो कहां जाएं? केंद्र सरकार को घर खाली करने से पहले लोगों को नए घर मुहैया करवाने चाहिए थे। आखिर कब तक हमारे लोगों के कच्चे-पक्के आशियानों को उजाड़ा जाता रहेगा।”उन्होंने बुलडोजर कार्रवाई को तुरंत रुकवाने की मांग की है। उनका कहना है कि यह कार्रवाई बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था के की जा रही है, जिससे बाल्मीकि समाज के लोगों के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

सामाजिक और धार्मिक महत्व

खैबर पास का यह क्षेत्र बाल्मीकि समाज के लिए केवल निवास स्थान ही नहीं है, बल्कि यह उनका सामाजिक और धार्मिक केंद्र भी है। यहां स्थित बाल्मीकि मंदिर इस समुदाय के लिए विशेष महत्व रखता है। इस मंदिर में बाल्मीकि समाज के लोग नियमित पूजा-अर्चना करते हैं और यह उनके धार्मिक आस्था का केंद्र है।

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सरकार की जिम्मेदारी

चंद्रशेखर आजाद का मानना है कि सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह अपने नागरिकों को सुरक्षित आवास और जीवनयापन की सुविधाएं प्रदान करे। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर इन लोगों के घर तोड़े जा रहे हैं, तो इन्हें बसाने की क्या योजना है? क्या सरकार ने इनके पुनर्वास के लिए कोई ठोस कदम उठाए हैं?

स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया

स्थानीय लोगों में इस कार्रवाई को लेकर भारी आक्रोश और असुरक्षा की भावना है। स्थानीय निवासीयों का कहना है, “हम यहां पिछले कई दशकों से रह रहे हैं। यह हमारी जड़ों का हिस्सा है। अब अचानक हमें हमारे घरों से बेदखल किया जा रहा है। हम कहां जाएंगे?” यह केवल आवास का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह हमारे सामाजिक और धार्मिक जीवन को भी प्रभावित कर रहा है। हमारी समस्याओं का समाधान करने के लिए ठोस कदम उठाए और हम लोगों को उचित पुनर्वास की व्यवस्था प्रदान करे।

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