TAMILNADU NEWS: अनुसूचित जाति का था इसलिए फ्लैट किराये पर नहीं दिया…

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तमिलनाडु के डिंडीगुल जिला में मानवता को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। यहाँ अनुसूचित जाति (SC) के एक युवक को महिला ने फ्लैट किराये पर देने से साफ इनकार कर दिया। हालांकि महिला के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है। बताया जा रहा है की अरसापिल्लईपट्टी गांव के रहने वाले दलित युवक वीरन फ्लैट किराये पर लेने के लिए लक्ष्मी और वेलुसामी के संपर्क में आया। फ्लैट दिखाने के दौरान उक्त महिला ने वीरन और उसके साथ आए एक साथी से उनकी जाति के बारे में पूछा। वीरन ने जब उन्हे यह बताया की वह अनुसूचित जाति से आते हैं तो फिर महिला ने फ्लैट किराये पर देने से साफ मना कर दिया।

देवता नाराज़ हो जाएंगे:

वीरन के साथी जिनका नाम जोसेफ क्रिस्टोफर है और जो दलित राजनीतिक दल विदुथलाई चिरुथाईगल काची (वीसीके) के जिला नेता भी हैं, उन्होंने बताया की महिला ने कहा था की वह अपना मकान किसी भी मुस्लिम, ईसाई या एससी/एसटी को किराये पर नहीं देगी। अगर वो इन लोगों को मकान देती हैं तो उनके देवता नाराज हो सकते हैं।

एससी/एसटी एक्ट में केस दर्ज:

क्रिस्टोफर ने आगे यह भी बताया की वेलुसामी की ओट्टाचतिराम बाजार में एक थोक सब्जी की दुकान भी है जहां वह अनुसूचित जाति के लोगों से काम करवाकर लाखों रुपए कमाते हैं। लेकिन एक अनुसूचित जाति के युवक को घर किराये पर देने से उनके देवता नाराज़ हो जाएगें। उपरोक्त घटना की सूचना ओट्टाचतिराम पुलिस को दी गई और उक्त महिला लक्ष्मी के खिलाफ एससी/एसटी अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया है। मामला दर्ज होने के बाद से आरोपी महिला फरार है। पुलिस का कहना है की महिला की तलाश की जा रही है।

साभार : ट्वीटर

इस तरह के अमानवीय मामले पहले भी कई बार सामने आ चुके है जहां दलितों को उनके जाति के आधार पर प्रताड़ित या उनके साथ भेदभाव किया जाता है। ऐसा ही मामला सितंबर 2021 में यूपी के मैनपुरी जिले के छोटे से गाँव दौदापुर से आया थी जहां के माध्यमिक विधालय दौदापुर में दलित छात्रों के साथ भेदभाव किया जा रहा था…

स्कूल में दलित बच्चों को धोने पड़े बर्तन:

स्कूल की रसोइया ने दलित बच्चों के बर्तन धोने से इनकार कर दिया जिसकी वजह से दलित बच्चों को अपना बर्तन खुद ही धोना पड़ रहा था जबकि अन्य जाति के बच्चों की थाली रसोइयों द्वारा धुली जा रही थी। इतना ही नहीं दलित बच्चों की थाली को भी दूसरे कमरे में रखा जाता था ताकि उनकी थाली अन्य जाति के बच्चों की थाली से मिल न जाए। हालांकि मामला नजर मे आते हीं जिला प्रशासन ने तत्परता के साथ कार्यवाई की और दो रसोइयों को बर्खास्त कर दिया।

दलित होना गुनाह है?

ये मामले तो सिर्फ गिनती के है जो संज्ञान में आते हैं, देश मे ऐसी और भी कई घटनाएं हैं जो दलितों के साथ घटती है और वो संज्ञान में नहीं आती। लेकिन सवाल यहाँ ये है की आखिर कब तक ? कब तक दलितों को उनके जाति के आधार पर प्रताड़ित किया जाएगा? कब तक उनसे उनके अधिकार छीने जाएंगे?  क्या दलित समुदाय में पैदा होना किसी इंसान के लिए पाप है ? बदनसीबी है ? सवाल कई है और इनके जवाब तलासना उतना ही कठिन।

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