देश में दलित उत्पीड़न के केस बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन सरकार चुप है क्योकि अमृत महोत्सव चल रहा है

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देश में लगातार दलितों पर अत्याचार के मामले बढ़ते जा रहे हैं, कही शादी में घोड़ी पर चढ़ने नहीं दिया जा रहा है, तो कही मूछे रखने पर पिटाई कर दी जाती है और ये सिलसिला लगातार बढ़ता जा रहा है, वैसे तो देश के प्रधानमंत्री अमृत महोत्सव की बात करते हैं चुनाव आने पर दलितों के पैरे स्पर्श करते हैं, भाजपा के बड़े नेता दलितों के घर खाना खाते हैं हिंदुत्व की बात करते हैं और हम सब एक हैं का नारा देते हैं परन्तु जब दलितों पर उत्पीड़न की बात आती है तो तथाकथित स्वर्ण नाराज़ न हो जाए इसलिए चुप रहते है और यह हाल इस देश की हर राजनितिक पार्टी का
है।

बीते सप्ताह की बात करें तो देश के लगभग हर कोने से दलितों पर अत्याचार की खबर सुनने को मिले है चाहें पंजाब , उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश या बिहार हो, खबर ऐसी जैसे की दलितों को सामान अधिकार के साथ ज़िन्दगी जीने का अधिकार भी नहीं
है।

26 मई को पंजाब के संगरूर में सरपंच ने एक दलित युवक को खाट पर बैठा कर पिटाई की और बाल मूड दिए, 20 मई को कार सवार दलित की पिटाई की , 14 मई को उतर प्रदेश के जालौन में जब दलित परिवार ने छेड़ खानी का आरोप लगाया तो परिवार की पिटाई करदी.

राजस्थान में एक दलित युवक को 31 घंटों तक जंजीर से बांध कर रखा गया , राजस्थान की एक और घटना है जहाँ एक दलित युवक ने बताया की कश्मीर में दलितों के साथ बहुत अत्याचार हुए है और आज तक कश्मीर में दलित वर्ग के लोगो को पूर्ण नागरिकता नहीं मिली है तो इस बात पर दलित युवक की नाक मंदिर पर रगड़ दी जाती है, राजस्थान के धौलपुर में एक दलित लड़की का गैंग रेप होता है, उत्तराखंड के एक स्कूल में बच्चे मेस में खाने से मना कर देते हैं क्योकि स्कूल में रसोईया एक दलित महिला है, क्या सिखाते होंगे ऐसे बच्चो के माता- पिता जिन में एक वर्ग के लोगो के लिए इतना जहर होता है।

यह दलित टाइम्स केवल उन्ही घटनाओं की बात कर रहा है जो सोशल मीडिया पर वायरल हुई हैं और हमे इस देश के प्रशासन की यह भी हकीकत को नहीं भूलना चाहिए की कितने केस थानों में दर्ज होते हैं। बहुत से केस तो इस देश का प्रशासन केवल यह बोल कर रद्द कर देता है की एक दलित का केस है छोड़ो, उनकी मानसिकता में कही न कही यह बात होती है की दलित पैदा ही हुआ है अपमान सहने के लिए।

ग्रह मंत्रालय ने 2018 से 2020 तक का दलित उत्पीड़न का आकड़ा दिया है, इन आकड़ों में जो बात समझने वाली है वो ये है की ज्यादातर मामले बलत्कार और सामाजिक बराबरी करते हुए दलितों पर हुए हैं। 2018 में 42,793 दलित उत्पीड़न केस हुए हैं, तो 2019 में यह आकड़ां 45,961 पर पूछ गया। 2020 में दलित उत्पीड़न के केस भारत सरकार के मुताबिक 53,886 हुए है। राज्यों के अनुसार देखे तो उत्तर प्रदेश दलित उत्पीड़न में नंबर एक पर रहा है, याद कीजिये वो तस्वीर जब उत्तर प्रदेश के चुनाव के वक्त उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी दलितों के घर खाना खा रहे थे और प्रधानमंत्री दलितों के पैर छु रहे थे,दलित उत्पीड़न में भाजपा और जनता दल यूनाइटेड की बिहार सरकार दूसरे पायेदान पर है, राजस्थान की सरकार तीसरे पायेदान पर और मध्य प्रदेश की मामा की सरकार चौथे पायेदान पर,दलितों को लेकर हर सरकार केवल बड़ी बातें करती है परन्तु केवल वह एक दिखावा मात्र है और हम दलितों को यह बात समझनी होगी .

 

 

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