रेशमा के बदन का एक-एक कतरा काट कर जिस्म को रफू किया: एसिड सर्वाइवर रेशमा की झकझोर देने वाली कहानी

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संवाददाता तोषी मैंदोला की रिपोर्ट।

कमर के ऊपर पसली से लेकर दांत और मसूड़े को निकालकर रेशमा खतून को नई रोशनी दी जा रही है। साल 2014 में रेशमा खतून के ऊपर एक सिरफिरे ने तेज़ाब डाल कर रेशमा की जिंदगी को बद से बदतर कर दिया है। रेशमा की अब तक 30 से ज्यादा सर्जरी हो गई है। उसकी एक आंख पूरे तरीके से नीस्त-ओ-नाबूद हो चुकी है और दूसरी आंख से रेशमा को मात्र 6/6 ही दिखाई देता है। रेशमा रोते हुए कहती है कि “मैं वो दर्द बयां नही कर सकती। मेरी स्किन गल रही थी आइसक्रीम की तरह और मेरा पूरा शरीर जल रहा था. मेरे हाथ पैर बांध कर मेरा बलात्कार किया गया”।

आज भी हमारे देश में पुरुष किसी महिला को भोग-विलास की वस्तु समझता है। किसी महिला को हासिल करने के लिए वो किसी भी हद तक जा सकता है। आज पुरुष की मानसिकता एक शिकारी जानवर की तरह हो गई है। जो महिला को मात्र एक मांस का लोथड़ा समझता है। पश्चिम बंगाल की रहने वाली 27 साल की रेशमा खतून की जिंदगी के वो 8 साल जिसने उसकी जिंदगी को सिर से लेकर पैर तक पूरे तरीके से बदल दिया है।

साल 2014 ये वो दौर था जब भारत में एसिड अटैक के मामले लगातार बढ़ रहे थे। अगर हम कहे कि हम रेशमा की तकलीफ समझ सकते है तो शायद ये बोलना उतना सही ना हो। क्योकि एक ऐसी लड़की जो पिछले 8 सालो से नाना प्रकार की पीड़ा झेल रही है। जो इन 8 सालो में 30 से भी ज्यादा सर्जरी करवा चुकी है। वो जो अपने जिस्म का कतरा कतरा काट कर अपने आप को पहले जैसा बना रही है। क्या हम उस लड़की का दर्द समझ सकते है।

शरीर ही तो झुलसा है

रूह में जान अब भी बाकी है

हिम्मत से लड़ूंगी ज़िन्दगी की लड़ाई

आत्मसम्मान मेरा अब भी बाकी है.

रेशमा कहती है कि “मेरे ऊपर हुए एसिड अटैक से पहले मैं सिंगर और मॉडलिंग में अपना करियर आजमा रही थी। अटैक से पहले मैं परिवार के साथ पश्चिम बंगाल में रहती थी, मेरे ऊपर मेरे परिवार की कई जिम्मेदारियां थी। मेरे कई सपने थे लेकिन अब मेरी जिंदगी पूरी बदल गई है”। आज रेशमा की हालत और नाजुक होते जा रही है। उसकी आंखों की रोशनी लगातार कम हो रही है, कई बार उसकी अधजली आंख से खून बहने लगता है। वो रोती है चिल्लाती है दर्द से कांप जाती है लेकिन रेशमा के हौसले आज भी बुलंद है। रेशमा आज भी कहती है कि उस मनचले ने मेरे चेहरे पर तेजाब डाला है, मेरे सपने और मेरी काबिलियत पर नहीं। इन सिरफिरे मनचलों को लगता है कि किसी भी लड़की से अपनी बात मनवाने का एक ही रास्ता है, ‘हिंसा’। इन लोगो को लगता है कि ये किसी भी लड़की पर अटैक करके उसकी हिम्मत को तोड़ सकते है लेकिन ऐसा नहीं है। मैं उसके हादसे का शिकार नहीं हुई हूं बल्कि मैं एक योद्दा हूं जिसने जंग को जीतकर मैदान पर वापसी की है। जिसने मेरे ऊपर हमला किया था वो आज चंद लम्हों की सजा काटकर आजाद घूम रहा है।

बाइक सवार ने तकरीबन एक लीटर से भी ज्यादा तेजाब मेरे चेहरे पर फैक दिया। जब मैं अपने घर से दोस्त के घर फंक्शन में जा रही थी तभी मुझे लगा कि कोई शख्स मुझे बाइक से फॉलो कर रहा था। 14 दिसंबर 2014 का वो दिन मेरे जीवन का सबसे भयानक दिन था। आज भी इस दिन के बारे में बात करते हुए मैं सहम जाती हूं। मुझे आज भी याद है कि जब मेन रोड पर पहुंच कर मैने अपनी गाड़ी का शीशा नीचे करके अपना आधा मुहं गाड़ी से बाहर निकाला उसी वक्त उस बाइक सवार ने मेरे मुंह पर तेजाब उड़ेल दिया।  2 मिनट तक तो मुझे समझ ही नही आया कि आखिरकार मेरे साथ हुआ क्या है। लेकिन उसके बाद मुझे कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा था। मेरे बदन की खाल जल कर बहने लगी, मेरी साड़ी मेरे जिस्म में चिपक गई। मेरे आंखों की रोशनी चली गई थी। उस दिन मुझे सही मायनों में समझ आया कि तेज़ाब एक ऐसी चीज होती है जो स्किन ही नहीं बल्कि मांस को भी गला देती है। रेशमा रोते हुए कहती है कि मै वो दर्द बयां नही कर सकती। मेरी स्किन गल रही थी आइसक्रीम की तरह और मेरा पूरा शरीर जल रहा था। तभी एक भईया मुझे पास के अस्पताल ले गए।

अस्पलात का वो अगला दिन जब मेरा पूरा परिवार अस्पताल पहुंचा। मेरी मां मेरे पीछे खड़ी थी लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि मैं उन्हैं अपने अधजले चेहरे के साथ देख पाऊं। मुझे अब लग रहा था कि मैं अपने परिवार को क्या बोलूं। चूँकि मुझे पता है कि मेरे साथ ये क्या हुआ लेकिन मेरा परिवार इस बात से पूरे तरीके से अंजान था। बहुत हिम्मत के बाद मैने अपनी मां को पलटकर देखा। मुझे देखते ही मेरी मां जोर जोर से रोने लगी। मैं बोल नही पा रही थी, मेरी हालात नाजुक थी लेकिन मां को रोता हुआ देख मैने अपनी मां को कहा कि “आप रो क्यों रही हो, छोटा सा ऐक्सीडेंट है, 2-3 महीनों में मैं ठीक हो जाऊंगी”। मुझे उस वक्त बहुत दर्द हो रहा था लेकिन मुझे उस वक्त लगा कि नहीं मुझसे ज्यादा मेरी मां को दर्द हो रहा है जो मुझे इस हालत में देख रही है। मेरे दर्द से ज्यादा मेरी मां को दर्द हो रहा था। इस दर्द से मैं ये समझ गई थी कि ये 3 महीनों का दर्द नहीं बल्कि जिंदगीं भर का दर्द मुझे मिला है।

यहाँ से मेरे जीवन का दूसरा अध्याय शुरु हुआ। बैंगलूरु के बाद मुझे कोलकाता के कई अस्पताल में ले जाया गया लेकिन सारे डॉ ने हमसे कहा कि यहां सीट खाली नहीं है। उस वक्त मैं बोलने की हालत में नहीं थी लेकिन मेरा मन था कि मैं डॉ से बोलूं की सीट खाली नहीं है लेकिन आप 5 मिनट ही मुझे देख लिजिए। मैं दर्द में थी लेकिन किसी ने मेरी एक ना सुनी। फिर किसी और अस्पताल में मुझे एडमिट किया गया, मैं वहा लगभग 16 दिनों तक थी लेकिन कुछ नहीं हुआ। ऐसे करते करते एक से दो और कई अस्पताल में मेरा इलाज चला। अब धीरे धीरे मेरी कंडिशन और खराब हो रही थी। मेरे नजदीक खड़ा कोई भी लड़का मुझे ऐसा लग रहा था मानो कि उसके हाथो में तेजा़ब है और वो मेरे ऊपर तेजा़ब डालने वाला है। मुझे हर पुरुष से डर लगने लगा था। अब मेरी यादाश भी जाने लगी थी।

रेशमा तेजा़ब कांड को याद करके खूब रोती है और बताती है कि 8 साल हो गए है लेकिन हर 8 मिनट में मुझे ये याद आता है कि अब मैं पहले जैसी नहीं रही हूं। मेरी जिंदगी पूरी तरीके से बदल गई है। उस दर्दनाक पल को याद करती हूं तो सारे ज़ख्म फ़िर से हरे हो जाते है। एक लंबे ट्रीटमेंट के बाद मेरी मैमोरी भी वापिस आने लगी थी। मैं लगभग 3 महीने उस अस्पताल में थी। स्किन ग्राफ्टिंग का पहला सेशन शुरु हुआ जिसमें मेरी 18 से ज्यादा सर्जरी हुई। मुझे पूरे तरीके से अंदाजा हो गया था कि ये सफर मेरे लिए आसान नहीं होने वाला है। मेरे पैर से पांच बार स्किन को काटा गया और मेरे चेहरे, हाथ, ब्रेस्ट और गले पर लगाया गया। इस पल को याद करके मैं आज भी रोती हूं लेकिन मेरा दर्द तब और बढ़ जाता है जब मुझे याद आता है कि मेरी जिंदगी बर्बाद करने वाले आरोपी को महज चार महीने जेल के बाद ही रिहा कर दिया गया। एक झिझक के बाद रेशमा वो कुछ बताती है जो इससे पहले उसने किसी को नहीं बताया था।

सहज होकर रेशमा आगे कहती है कि “मैं साल 2014 में किसी इंंस्टिट्यूट में रिसेप्शनिस्ट के तौर पर काम करती थी। और वही मेरी मुलाकात आरोपी मनोज कुमार वर्मा से हुई थी। हम अच्छे दोस्त बने और हमारी फोन पर बाते शुरु हुई। वो अकसर अपनी दूर की बहन को छोड़ने उसी इंंस्टिट्यूट में आया करता था। उसे मेरे परिवार की हालत का पता लगा तो एक शाम उसने मुझे बार में गाने की सलाह दी। मुझे पैसों की बेहद जरुरत थी। उसने बताया की बार में मुझे प्रतिदिन 3 से 4 हजार रु मिलेंगे। मुझे गाना नहीं आता था लेकिन मैने फिर भी गाना गाना शुरु किया। लगभग 8 महीने तक मैने उस बार में बतौर सिंगर गाना गाया और उसी दौरान मनोज ने मुझे शादी का प्रस्ताव दिया। हालांकि मुझे ये आईडिया हो गया था कि वो पहले से ही शादीशुदा है। मैने उसके प्रस्ताव को ठुकरा दिया क्योकि मै एक महिला होकर दूसरी महिला का घर नहीं तोड़ना चाहती थी।और इन सब के बाद उस बीमार मानसिकता वाले इंसान ने अपनी सारे हदें पार करके मेरे जीवन को नर्क बनाने की कोशिश की है”।

हमारी संवाददाता तोषी मैंदोला से बात करते हुए पीड़िता ने कहा कि मुझे यह तक नहीं पता कि मुझे इंसाफ मिलेगा भी या नहीं। इस केस के सिलसिले में मुझे पुलिस का कोई सहयोग नही मिल पा रहा है। पूरे 8 साल हो गए है लेकिन मुझे अभी तक सरकारी वकील तक नहीं मिल पाया है। इस केस से संबधित मेरे पास एफआईआर कॉपी के अलावा कोई अन्य जानकारी नही है। जैसे जैसे मेरी आंखों की रोशनी पूरी तरह खत्म हो रही है वैसे ही मुझे लगता है कि मेरे उम्मीद की लो बुझती हुई नजर आ रही है। मैं चाहती हूं कि मेरे अपराधी को सजा मिले और मैं अपनी धुंधली आंखों से उसे सजा-ए-आफता देखूं। जो मरी इन जली हुई आंखों को ठंडक पहुचाएंगा। जिस दिन उसे सजा होगी मानो मेरी आंखों की रोशनी वापस आ जाएगी।

इस पूरे मामले पर हमारी संवाददाता ने भक्तिनगर पुलिस थाना में एसएचओ से बात की। एसएचओ कहते है कि ‘मामला ट्रायल कोर्ट के अधीन लंबित है। अदालत की कार्यवाही तक वो कोई टिप्पणी नहीं कर सकते है’। केस चल रहा है और केस चलता रहेगा। लेकिन अपराधी मज़े
मे जी रहा है और जीता रहेगा। सोशल मीडिया पर लोग रेशमा को इंसाफ दिलाने की मुहिम चला रहे है। कई लोग उसकी आर्थिक मदद भी कर रहे है। पैसो और इलाज से उसके ऊपरी घाव तो भर जाएंगे लेकिन उसकी अंतरात्मा रात दिन सुलगती रहेगी। इन सब परेशानियों और अंधकार के बीच रेशमा ने अपने अंदर एक उम्मीद की रोशनी जलाए रखी है।

अगर आप रेशमा की मदद करना चाहते है तो नीचे दिए गए अकांउट नंबर पर दान दे सकते हैं।

AC NO – 800610110006429

IFSC CODE – BKID0008006

AC HOLDER NBAME- RESHAMA KHATUN (BOI)

PAYTM/PHONE PAY/ GOOGLE PAY- 9134510608

लेखक तोषी मैंदोला

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