MP में दलित महिला शिक्षिका के साथ रेप के आरोपी भाजयुमो जिलाध्यक्ष भूपेंद्र सोहागपुरे पर 17 नवंबर को केस दर्ज किया गया, लेकिन वह 13 दिन बाद भी फरार है। पुलिस ने आरोपी पर 3,000 रुपये का ईनाम घोषित किया है। कांग्रेस और दलित संगठनों ने आरोपी को राजनीतिक संरक्षण मिलने का आरोप लगाते हुए बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है। पुलिस का दावा है कि आरोपी की गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं। मामला न्याय की प्रतीक्षा और राजनीतिक विवाद का केंद्र बन गया है।
MP News : बालाघाट जिले के सोहागपुर इलाके में दलित महिला शिक्षिका के साथ दुष्कर्म के गंभीर मामले ने पूरे इलाके में हलचल मचा दी है। आरोप है कि भाजपा युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष भूपेंद्र सोहागपुरे ने शादी का झांसा देकर महिला का वर्षों तक शारीरिक शोषण किया। महिला थाना पुलिस ने 17 नवंबर को पीड़िता की शिकायत के आधार पर आरोपी के खिलाफ गंभीर धाराओं में अपराध पंजीबद्ध किया। बावजूद इसके, अपराध दर्ज होने के 13 दिन बाद भी आरोपी पुलिस की पकड़ से बाहर है, जिससे पुलिस की कार्यप्रणाली और प्रशासनिक तत्परता पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
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कांग्रेस और सामाजिक संगठनों का विरोध प्रदर्शन
इस मामले में कांग्रेस और अनुसूचित जाति संगठनों ने पुलिस और प्रशासन पर तीखा हमला किया है। कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा जिलाध्यक्ष के करीबी होने के कारण आरोपी को राजनीतिक संरक्षण मिल रहा है, जिससे पुलिस उसकी गिरफ्तारी में ढिलाई बरत रही है। कांग्रेस ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाते हुए भाजपा सरकार को घेरने की कोशिश की है। उधर, दलित संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पुलिस की निष्क्रियता के खिलाफ ज्ञापन सौंपते हुए चेतावनी दी है कि यदि आरोपी को शीघ्र गिरफ्तार नहीं किया गया तो वे बालाघाट बंद जैसे बड़े आंदोलन का सहारा लेंगे।
पुलिस का पक्ष और ईनाम की घोषणा
पुलिस अधीक्षक नागेंद्र सिंह ने इस मामले में स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि पीड़िता की शिकायत दर्ज होते ही मामले की गंभीरता को समझते हुए तत्काल अपराध पंजीबद्ध किया गया था। उन्होंने बताया कि पुलिस आरोपी की गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी कर रही है और उसे पकड़ने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। आरोपी की गिरफ्तारी को लेकर आम जनता से भी अपील की गई है। पुलिस ने भूपेंद्र सोहागपुरे पर 3,000 रुपये का ईनाम घोषित किया है। जो भी व्यक्ति आरोपी की सूचना देगा और उसे गिरफ्तार करवाने में मदद करेगा, उसे यह राशि प्रदान की जाएगी। सूचना देने वालों की पहचान गोपनीय रखी जाएगी।
राजनीतिक साजिश या न्याय का इंतजार?
यह मामला अब सिर्फ एक आपराधिक प्रकरण नहीं रह गया है, बल्कि राजनीतिक अखाड़ा बन गया है। कांग्रेस इस मुद्दे को भाजपा सरकार की नीतियों और दलितों के प्रति रवैये पर सवाल उठाने के अवसर के रूप में देख रही है। वहीं, भाजपा ने इस मामले में अब तक कोई ठोस बयान नहीं दिया है, जिससे स्थिति और भी जटिल हो गई है।
पीड़िता को न्याय का इंतजार
पीड़िता और उसके परिवार ने न्याय की गुहार लगाई है। उन्होंने प्रशासन से आरोपी की शीघ्र गिरफ्तारी और कड़ी सजा की मांग की है। इस घटना ने दलित समाज में गुस्सा और असुरक्षा की भावना को और बढ़ा दिया है। क्या पुलिस और प्रशासन अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे? क्या पीड़िता को न्याय मिलेगा? यह सवाल फिलहाल अनुत्तरित हैं।
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