उत्तराखंड में आदिवासी समुदाय के 2,91,903 लोग समान नागरिक संहिता (UCC) से रहेंगे बाहर, जानिये क्या है वजह

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उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर एक खबर सामने आ रही है। ऐसा कहा जा रहा है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड में कुछ प्रावधान तय किए गए हैं जिसमें प्रदेश की जनजातियों को राहत देने की बात कही गई है। वहीं दूसरी ओर यूनिफॉर्म सिविल कोड के दायरे से आदिवासी समुदाय को बाहर रखने की बात भी सामने आ रही है।

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यूसीसी ड्राफ्ट को मंजूरी :

उत्तराखंड के देहरादून में सोमवार से शुरु होने वाले विधानसभा सत्र में समान नागरिक संहिता विधेयक (यूनिफॉर्म सिविल कोड) को पेश करने की तैयारी है। उत्तराखंड सरकार की कैबिनेट ने यूसीसी के ड्राफ्ट को मंजूरी दे दी है। लेकिन इस यूसीसी ड्राफ्ट में जनताजीय समुदाय को समान नागरिक संहिता से अलग रखने की बात कही जा रही है।

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गांव माणा से शुरुआत:

उत्तराखंड में पांच अधिसूचित जनजातियां हैं और इनकी जनसंख्या 2,91,903 है। समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए जिस विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था उसने अपनी बैठकों का सिलसिला प्रदेश की सीमा पर स्थित देश के पहले गांव माणा से किया। समिति में शामिल सदस्यों ने इन बैठकों में आदिवासी समाज की समस्या के बारे में जाना और इसके साथ ही समान नागरिक संहिता के बारे में भी सलाह ली।

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संरक्षण के लिए उठाए जा रहे कदम:

जानकारी के अनुसार विशेषज्ञ समिति ने समान नागरिक संहिता का जो प्रारुप सरकार को दिया है। जिसमें ये कहा गया है कि इसमें बेहद कम जनसंख्या वाले जनजातीय समाज की संस्कृति और परपंराओं को सहेजे रखने के साथ ही उनके संरक्षण के लिए उठाए जा रहे कदमों का उल्लेख किया गया है। और प्रदेश का आदिवासी समाज समान नागरिक संहिता के दायरे से बाहर रहेगा।

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बोक्सा और राजी जनजातियां अति पिछड़ी:

यूसीसी ड्राफ्ट कमिटी ने अपनी विशिष्ट पहचान, पिछड़ेपन और विभिन्न कारणों से घटती जनसंख्या को देखते हुए राज्य की जनजातियों को समान नागरिक संहिता से बाहर रखने की सिफारिश की है। जानकारी के मुताबिक 1967 में प्रदेश में बोक्सा, राजी, थारू, भोटिया और जौनसारी जातियों को 1967 में जनजाति घोषित किया गया था। जिसमें बोक्सा और राजी जनजाति दूसरी जनजातियों के मुकाबले अधिक पिछड़ी हैं। इसलिए कमज़ोर जनजातियों की दशा सुधारने के लिए केंद्र की ओर से शुरू किए गए प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाभियान (पीएम- जनमन) में उत्तराखंड की बोक्सा और राजी जनजातियों को लिया गया है।

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सुरक्षा का भाव निहित:

राज्य में 211 गांव हैं, जिनमें आवश्यक सुविधाओं से सुसज्जित करने के लिए 9 विभागों को जिम्मा सौंपा गया है। अब यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट तैयार करने वाली विशेषज्ञ समिति ने भी राज्य की जनजातियों को विशेष रूप से महत्व दिया है। इन जनजातियों के विशेष महत्व देने के पीछे इनकी सुरक्षा का भाव निहित है।

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