NGT ने लगाई राजस्थान सरकार को फटकार साथ ही भारी जुर्माना भी लगाया

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Jaipur: राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) ने राजस्थान सरकार को कड़ी फटकार लगाई और भारी जुर्माना भी लगाया.

प्राधिकरण ने इस मामले में राज्य के अधिकारियों की जिम्मेदारी और जवाबदेही भी तय की है. NGT ने की सुनवाई में कहा कि संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन नहीं किया, उल्टा अधिकारी प्रदूषण फैलाने में सहयोगी बन गए हैं. जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह फैसला दिया है. इससे पहले भी एनजीटी ने राजस्थान सरकार को दिशा निर्देश दिए थे.

सुप्रीम कोर्ट ने भी इसी तरह के मामले की सुनवाई करते हुए एक जनवरी तक कचरा प्रबंधन ठीक करना था. बावजूद इसके राजस्थान में जल प्रदूषण और कचरा प्रबंधन के लिए ठोस इंतजाम नहीं किए गए. एनजीटी ने राजस्थान के लिए ‘पलूटर’ जैसे कठोर शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कहा कि पर्यावरण को हुए नुक्सान का मुआवजा और इसे ठीक करने में आने वाला खर्चा राजस्थान को भरना होगा.

टोटल हर्जाना करीब 555 करोड़

जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और जस्टिस सुधीर अग्रवाल के अलावा एक्सपर्ट सदस्य ए सेंथल वेल की बेंच ने कहा कि नुकसान को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने की जरूरत है. वहीं पूर्व में हो चुके नुकसान की भरपायी की जानी चाहिए. मामले की सुनवाई में ट्रिब्यूनल ने पाया कि 1250 करोड़ लीटर प्रति दिन सीवेज के शुद्धिकरण में करीब ढाई हजार करोड़ रुपये का खर्च आएगा. प्राधिकरण ने इसी आधार पर जुर्माना निर्धारित किया है. कहा कि इस विफलता को वैज्ञानिक तरीके से ठीक करने का टोटल हर्जाना करीब 555 करोड़ होगा.

दो महीने में जमा कराना होगा हर्जाना

ट्रिब्यूनल ने तीन हजार करोड़ के राउंड फीगर में हर्जाना तय करते हुए राजस्थान सरकार को दो महीने के अंदर यह राशि जमा कराने को कहा है. उन्होंने राजस्थान के मुख्य सचिव को इस राशि से तत्काल मानकों के मुताबिक काम शुरू करने के लिए कहा है. इसमें सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के साथ ही पुराने सिस्टम को अपग्रेड करने का काम शामिल है. बेंच ने कहा कि शोधन सुविधा पर्याप्त क्षमता वाली होनी चाहिए. इसी प्रकार कचरा प्रबंधन को लेकर बेंच ने कहा कि सभी 161 साइटों पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गाइडलाइन के मुताबिक बायो रेमेडिएशन प्रक्रिया होनी चाहिए.

एनजीटी ने राजस्थान सरकार को प्रदूषण नियंत्रण के लिए तत्काल काम शुरू करने को कहा है. इसके निर्देश किया जल प्रदूषण और कचरा प्रबंधन के लिए समयवद्ध तरीके से काम होना चाहिए. इसकी नियमित मॉनिटरिंग होनी चाहिए और समय समय से इसकी वास्तविक स्थिति से उच्चाधिकारियों को अपडेट कराया जाना चाहिए. साथ ही NGT ने यहां तक चेतावनी दी कि इसके बाद भी लापरवाही जारी रहती है तो जुर्माना और बढ़ाया जा सकता है.

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