ओडिसा में हिंदू कार्यकर्ताओं द्वारा दलित ईसाइयों की आस्था के लिए बहिष्कृत किए जाने के बाद दलित ईसाई परिवार भय में जी रहे है। कंधमाल जिले के लोदामिला गांव से पांचों परिवारों को खदेड़ दिया गया और कहा गया कि वे तभी लौट सकते हैं जब वे अपना धर्म त्याग दें।
ईसाइयों का कहना है कि गांव से भगाने से पहले उनके साथ मारपीट की गई और एक परिवार ने बाद में उनके घर को जला दिया। लोदामिला में 45 हिंदू परिवारों के बीच रहने वाले ईसाई परिवार अब गांव से 12 किलोमीटर दूर एक जंगल के पास बांस और घास से बने घर में रह रहे हैं।
कटक-भुवनेश्वर महाधर्मप्रांत के एक अधिकारी फादर दिबाकर परीछा ने मीडिया को बताया कि “सभी परिवार अपने जीवन को लेकर सदमे और भय की स्थिति में हैं।”
उन्होंने कहा कि ईसाइयों ने दो बार जिला पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज कराने की कोशिश की लेकिन पुलिस उनका मामला दर्ज नहीं कर रही है। पीड़ित परिवार अभी भी अपना मामला दर्ज कराने के लिए दर-दर भटक रहे है।
फादर के मुताबिक हिंदू कार्यकर्ताओ ने ईसाई परिवारों से कहा है कि अगर वह अपना धर्म छोड़ दे तो वह गाँव वापसी कर सकते है और बाकी लोगों की तरह रह सकते है। 2008 में कंधमाल में ईसाई विरोधी दंगे होने से पहले हिंदू ग्रामीणों को ईसाई परिवारों से कोई समस्या नहीं थी।
17 सितंबर को लोदामिला से परिवारों को बाहर कर दिया गया था। गांव के अन्य लोगो ने उन्हें कुएं और तालाब से पानी लेने से रोक दिया साथ ही मवेशियों को चराने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया।
दलित परिवार जब घटना की शिकायत दर्ज कराने पुलिस चौकी पहुंचे तो पुलिस ने उन्हें समझौता करने के लिए कहा। दलित ईसाई परिवारों के गांव छोड़ने के बाद, 22 सितंबर को हिंदुओं ने एक ईसाई परिवार के घर को जला दिया था।
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