उत्तर प्रदेश में दलितों के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराध, कौन हैं जिम्मेदार? और कौन करेगा न्याय?

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“तुम दलित हो, रामलीला की कुर्सी पर नहीं बैठ सकते… तुम दलित हो, अपनी मजदूरी मांगने का हक नहीं… तुम दलित हो, तुम्हारे मुंह पर पेशाब किया जाएगा… तुम दलित हो, तुम्हें जेल में ही मार दिया जाएगा…”

Dalit Crime : तुम दलित हो, रामलीला की कुर्सी पर नहीं बैठ सकते… तुम दलित हो, अपनी मजदूरी मांगने का हक नहीं… तुम दलित हो, तुम्हारे मुंह पर पेशाब किया जाएगा… तुम दलित हो, तुम्हें जेल में ही मार दिया जाएगा…”यह शब्द सिर्फ एक वाक्य नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश में दलित समाज की वास्तविकता और उनके प्रति हो रहे घोर अन्याय का कटु सत्य है। पिछले कुछ सालों में उत्तर प्रदेश में दलितों पर अत्याचार की घटनाएं खतरनाक तरीके से बढ़ रही हैं, जिससे यह सवाल उठता है कि आखिर क्यों समाज और प्रशासन मिलकर दलितों को अपना निशाना बना रहे हैं?

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दलितों के साथ हो रहे अमानवीय अत्याचार

उत्तर प्रदेश से आए दिन दलितों के खिलाफ अमानवीय अत्याचार की घटनाएं सामने आती हैं। चाहे वह दलितों को सार्वजनिक स्थानों पर कुर्सियों पर बैठने से रोका जाना हो, या फिर उनसे बर्बरता के साथ मजदूरी करने के बाद भी पैसे ना दिए जाना। हाल ही में कई ऐसी घटनाएं सामने आईं जहां दलितों के साथ घृणित व्यवहार किया गया। कुछ मामलों में तो उनके साथ इस कदर अन्याय हुआ कि उनकी जान तक चली गई।

कई घटनाओं में दलित युवाओं को अपनी जाति की वजह से पीटा गया, उनके मुंह पर पेशाब किया गया और उन्हें अपमानित किया गया। यह सिर्फ कुछ उदाहरण हैं जो यह दर्शाते हैं कि आज भी हमारे समाज में जाति-व्यवस्था कितनी गहरी जड़ें जमा चुकी है।

मजदूरी मांगने पर जान से मारने की धमकी

हाल ही में उत्तर प्रदेश के एक गांव में एक दलित मजदूर की कहानी सामने आई, जिसने अपनी मेहनत की मजदूरी मांगने की हिम्मत की। मजदूरी मांगने पर उसे न सिर्फ धमकाया गया, बल्कि उसकी बेरहमी से पिटाई भी की गई। इतना ही नहीं, उसे गांव के कुछ ऊंची जाति के लोगों द्वारा जान से मारने की धमकी दी गई। मजदूर ने जब पुलिस में शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की, तो उसे भी प्रशासन की ओर से न्याय नहीं मिला, बल्कि उसे ही डराया-धमकाया गया।

जेल में ही मार दिया गया दलित युवक

उत्तर प्रदेश में दलितों के खिलाफ अपराध की एक और दिल दहला देने वाली घटना तब सामने आई जब एक दलित युवक को झूठे आरोपों में जेल भेजा गया। परिवारवालों ने बहुत कोशिश की, लेकिन उन्हें अपने बेटे को देखने का मौका भी नहीं दिया गया। जेल में कुछ ही दिनों के अंदर उस दलित युवक की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। जब यह मामला मीडिया में आया, तो पुलिस और जेल प्रशासन ने इसे एक सामान्य घटना बताया, लेकिन परिवारवालों का कहना था कि उनके बेटे की हत्या की गई है।

क्यों हो रहे हैं सबसे ज्यादा अपराध उत्तर प्रदेश में?

उत्तर प्रदेश से लगातार दलितों पर अपराध की घटनाएं सामने आ रही हैं। यह सवाल अब सभी के मन में है कि आखिर क्यों उत्तर प्रदेश दलितों के लिए सबसे असुरक्षित राज्य बन गया है? क्या यह सिर्फ कुछ गिने-चुने अपराधियों की करतूतें हैं, या फिर पूरी सामाजिक और प्रशासनिक व्यवस्था ही दलितों के खिलाफ है?

कई मामलों में ऐसा देखा गया है कि जब भी दलितों के साथ अत्याचार होता है, पुलिस और प्रशासन अक्सर कार्रवाई करने में ढिलाई दिखाते हैं। कुछ मामलों में तो दलितों के खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज कर उन्हें ही अपराधी साबित करने की कोशिश की जाती है। यह सब घटनाएं यह दर्शाती हैं कि हमारे समाज में आज भी जातिवाद गहरी जड़ें जमाए हुए है और इसके खिलाफ लड़ाई लड़ने की बहुत बड़ी जरूरत है।

न्याय की आस में दलित समाज

दलित समाज आज भी अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहा है। उनके लिए संविधान ने जो अधिकार दिए हैं, वे वास्तविकता में कहीं खो से गए हैं। चाहे वह शिक्षा का अधिकार हो, रोजगार का या फिर सम्मान के साथ जीने का हक, दलितों को इन अधिकारों से अक्सर वंचित रखा जाता है। लेकिन सवाल यह है कि कब तक दलित समाज इस अन्याय को सहन करेगा? क्या कोई ऐसा दिन आएगा जब दलितों को भी वही सम्मान और अधिकार मिलेंगे, जो समाज के अन्य वर्गों को मिलते हैं?

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दलितों के साथ न्याय कब?

उत्तर प्रदेश में दलितों पर हो रहे अत्याचारों ने यह साफ कर दिया है कि जातिवाद का दंश अभी भी हमारे समाज में मौजूद है। सरकार और प्रशासन को इस समस्या को गंभीरता से लेना होगा और दलितों के साथ हो रहे अन्याय को खत्म करने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे। जब तक समाज और प्रशासन मिलकर दलितों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए कदम नहीं उठाएंगे, तब तक दलित समाज न्याय की इस लंबी लड़ाई को लड़ता रहेगा।

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