बाबा साहेब अंबेडकर का स्टेटस लगाने पर दलित छात्र को बेहरमी से पीटा, जबरन ‘जय श्री राम’ के भी नारे लगवाए गए

Share News:

बाबा साहेब अंबेडकर के स्टेटस को व्हाट्सएप पर लगाने मात्र से एक दलित छात्र को शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा। इसके अलावा उसे ‘जय श्री राम’ के नारे लगाने के लिए मजबूर किया गया। जब उसने इनकार किया, तो उसे जातिसूचक गालियां दी गईं और उसकी बेरहमी से पिटाई की गई।

UP News: कानपुर के सेन पश्चिम पारा थाना क्षेत्र में एक दलित छात्र के साथ जो घटना घटी, वह हमारे समाज के भीतर व्याप्त जातिगत भेदभाव और धार्मिक कट्टरता का ज्वलंत उदाहरण है। बाबा साहेब अंबेडकर के स्टेटस को व्हाट्सएप पर लगाने मात्र से एक दलित छात्र को शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा। यह घटना सिर्फ एक छात्र पर हमले की नहीं है, बल्कि यह हमारे संवैधानिक मूल्यों, विशेषकर समानता और धार्मिक स्वतंत्रता पर भी हमला है। संविधान निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर, जिन्होंने जीवनभर समाज में समानता के लिए संघर्ष किया, उनके विचारों का प्रचार करना आज भी कुछ वर्गों को खटकता है।

अंबेडकर के विचार साझा करने पर मिली सजा

पीड़ित छात्र, जो बौद्ध धर्म का अनुयायी है और नियमित रूप से डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के विचारों और उनके संदेशों को सोशल मीडिया पर साझा करता है, पर स्कूल के बाहर एक समूह ने हमला किया। उसके व्हाट्सएप स्टेटस पर अंबेडकर की तस्वीर लगाने के कारण उसे रोका गया और ‘जय श्री राम’ के नारे लगाने के लिए मजबूर किया गया। जब उसने इनकार किया, तो उसे जातिसूचक गालियां दी गईं और उसकी बेरहमी से पिटाई की गई। यह न केवल व्यक्तिगत आजादी का उल्लंघन था, बल्कि संविधान द्वारा दी गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर भी आघात था।

जबरन धार्मिक नारे लगवाने की कोशिश

यह घटना सिर्फ एक छात्र के व्यक्तिगत विचारों को दबाने की कोशिश नहीं थी, बल्कि यह एक साजिश थी, जिसके तहत धार्मिक कट्टरता को बढ़ावा दिया जा रहा है। बाबा साहेब अंबेडकर के विचारों से समाज का एक बड़ा वर्ग आज भी भयभीत है, क्योंकि उनके विचार समता, न्याय और भाईचारे की नींव रखते हैं। अंबेडकर का सपना था कि सभी जातियों और धर्मों के लोग एक साथ मिलकर एक समतामूलक समाज का निर्माण करें। परंतु, आज भी अंबेडकर के विचारों को अपनाने वाले दलित समाज को उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है।

दलित संगठनों की आवाज: न्याय की मांग और आंदोलन की चेतावनी

इस घटना के बाद, दलित संगठनों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। संगठन के अध्यक्ष धनीराम पैंथर ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अगर इस मामले में कठोर कार्रवाई नहीं की गई, तो वे बड़े स्तर पर जन आंदोलन करेंगे। उन्होंने कहा कि यह घटना किसी एक छात्र के खिलाफ नहीं, बल्कि पूरे दलित समाज के सम्मान और अस्तित्व पर हमला है। यह घटना बाबा साहेब अंबेडकर की विचारधारा के खिलाफ उन तत्वों की मानसिकता को उजागर करती है, जो आज भी समाज में ऊंच-नीच और भेदभाव को बनाए रखना चाहते हैं।

न्याय की पुकार: पुलिस की जांच और समाज की जिम्मेदारी

ज्वाइंट कमिश्नर हरिश्चंद्र ने बताया कि इस मामले में पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए शिकायत दर्ज कर ली है और जांच जारी है। हालांकि, पुलिस के अनुसार आरोपियों का दावा है कि पीड़ित छात्र द्वारा सनातन धर्म के खिलाफ पोस्ट की जाती थीं, जिससे वे आहत थे। बावजूद इसके, इस तरह की हिंसा किसी भी प्रकार से न्यायसंगत नहीं हो सकती। समाज के लिए यह जरूरी है कि हम बाबा साहेब अंबेडकर के विचारों का सम्मान करें और उन पर अमल करें। हमें यह समझने की आवश्यकता है कि लोकतंत्र और समता के मूल्यों की रक्षा करना सिर्फ सरकार का काम नहीं, बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी है।

अंबेडकर के विचारों की जीत, अन्याय के खिलाफ लड़ाई

इस घटना से एक बार फिर यह स्पष्ट हो गया है कि बाबा साहेब अंबेडकर के विचारों की प्रासंगिकता आज भी उतनी ही है, जितनी उनके जीवनकाल में थी। दलित समाज और अन्य उत्पीड़ित वर्गों के लिए अंबेडकर सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि उनके संघर्ष और उम्मीदों का प्रतीक हैं। जब तक समाज में जातिगत भेदभाव और धार्मिक कट्टरता रहेगी, तब तक अंबेडकर के विचारों की आवश्यकता बनी रहेगी। दलित छात्र के साथ हुई इस घटना ने यह संदेश दिया है कि हमें अपनी आवाज को उठाने और न्याय की लड़ाई को जारी रखने की आवश्यकता है।

*दलित टाइम्स उन करोड़ो लोगो की आवाज़ है जिन्हें हाशिए पर रखा गया है। *

महिला, दलित और आदिवासियों के मुद्दों पर केंद्रित पत्रकारिता करने और मुख्यधारा की मीडिया में इनका प्रतिनिधित्व करने के लिए हमें आर्थिक सहयोग करें।

  Donate

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *