यूपी नगर निकाय चुनावों में दो फेज़ की वोटिंग हो चुकी है इन दो फेज़ में कानपुर, हमीरपुर,संतकबीर नगर, शाहजहांपुर, मेरठ,अयोध्या, बलिया, एटा सहित कई जिलों में वोटिंग हुई। बता दें कि, उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव के दूसरे चरण में 38 जिलों में मतदान जारी रहा। इस चरण के लिए 370 निकायों के लिए 6929 विभिन्न पदों पर 39146 उम्मीदवार मैदान में रहें। वहीं, नगर निकाय चुनाव के दूसरे चरण में राज्य के बीच 38 जिलों में लगभग 1.92 करोड़ से अधिक मतदाता वोट डालें गए हैं।

जहां उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव में मेरठ महापौर सीट पर मुस्लिम और एससी समीकरण के सहारे बीएसपी तीन बार मेयर सीट पर जीत दर्ज कर चुकी है, बीजेपी दो बार और सपा को अब तक जीत हासिल नहीं हुई है। वहीं, सियासी जंग में हर रोज मुकाबला बेहद दिलचस्प होता रहा है। सीएम योगी की जनसभा के बाद अब मेरठ की रणभूमि में बसपा के कद्दावर नेता इमरान मसूद की एंट्री होने वाली है। इमरान की एंट्री से सपा और बीजेपी में बेचैनी है, बसपा सुप्रीमो मायावती के इस दांव से सपा-भाजपा को डर सता रहा है कि कहीं 2017 की तरह बसपा यहां फिर से बाजी ना मार ले जाएं और उनके अरमानों पर पानी न फिर जाए।

बता दें कि, 2023 के यूपी नगर निकाय चुनावों के दूसरे चरण में 38 जिलों में मतदान का कुल आंकड़ा 53 फीसदी रहा। यूपी निकाय चुनाव के दूसरे चरण में कुल 38 जिलों में वोटिंग हुई, इस चुनाव में कुल 53 फीसदी मतदान हुआ, जिसमें कानपुर में 67.37%, हमीरपुर में 66.9%, संतकबीर नगर में 62.42%, शाहजहांपुर में 55.48%, मेरठ में 50.91%, अयोध्या में 47.89%, बलिया में 45.35% और एटा में 46.68 फीसदी मतदान रहा।
यह भी पढ़ें : उत्तर प्रदेश : आगरा में दलित बेटी की शादी में उच्च जाति के दबंगों ने किया बवाल
उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव में इस बार वार्डों की संख्या बड़ा दी गई थी, हर बार की तुलना में इस बार ज्यादा वोटिंग होने की आशंका जताई जा रही थी, लेकिन इस चुनाव में वोटिंग का कुल आंकड़ा 53 फीसदी ही रहा। बीते यूपी नगर निकाय चुनावों में मुस्लिम और एससी समीकरण के सहारे जहां बीएसपी तीन बार मेयर सीट पर जीत दर्ज कर चुकी है, वहीं भाजपा को दो बार ही सफलता मिली है। वहीं, यूपी निकाय चुनाव 2023 में मुस्लिम और दलित वोटों को साधने के लिए इस बार हर राजनीतिक दल पूरी कोशिश कर रहा है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने 17 में से 11 मैयर सीटों के लिए मुस्लिम प्रत्याशी देकर इस मामले में लीड लेने की कोशिश की है। वहीं मुस्लिम समाज को अपना आधार वोट बैंक मानने वाली समाजवादी पार्टी फिलहाल इस ओर से खुद को निश्चिंत दिखाने की कोशिश कर रही है।
यह भी पढ़ें : “मायावती का ये दांव अखिलेश के लिए खतरा”
हालांकि जानकारों का कहना है कि निकाय चुनाव के नतीजों में यह देखना दिलचस्प होगा कि मुस्लिम वोटों को लेकर किसकी दावेदारी में ज्यादा दम है। मुस्लिम समाज किस पर अपना ज्यादा भरोसा दिखाता है। ज्यादा मुस्लिम उम्मीदवार देने वाली बसपा के प्रति या फिर परम्परागत रूप से मुस्लिम समाज को अपना आधार वोटर मानने वाली समाजवादी पार्टी के प्रति।

वहीं, अगर बात करें सााल 2023 के चुनावों की तो, चुनावों में राजनीतिक पार्टियों के माहौल से ऐसा लगता है कि इस बार बसपा बाजी मार लेगी। लेकिन वहीं यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह का कहना है कि नगर निकाय चुनाव में बीजेपी यूपी में रिकॉर्ड तोड़ जीत हासिल करेगी। वहीं चुनावों के रिसल्ट को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियों में सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी हुई है।
यह भी पढ़ें : ज्योतिबा फुले ऐसे कहलाए थे महात्मा
जहां नगर निकाय चुनाव की जीत को लेकर यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह बीजेपी का समर्थन कर रहे हैं वहीं राजनीतिक विश्लेषक कुश अंबेड़करवादी का कहना है कि भाजपा को यदि कोई समीकरण यूपी में हरा सकता है तो वो दलित मुस्लिम है और यदि इसमें अति पिछड़ा भी शामिल हो जाए तो भाजपा का सूपड़ा साफ़ हो जायेगा।

बता दें कि, मायावती ने लखनऊ, फिरोजाबाद, मथुरा, सहारनपुर, प्रयागराज, मेरठ, मुरादाबाद, शाहजहांपुर, गाजियाबाद, बरेली और अलीगढ़ में मेयर पद के लिए मुस्लिम उम्मीदवार खड़े किए हैं। वहीं सपा और कांग्रेस ने चार चार मुस्लिम उम्मीदवार खड़े किए हैं। सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी बसपा के ज्यादा मुस्लिम को टिकट देने की रणनीति को वोट काटने की कोशिश बताते हैं। उन्होंने बसपा को भाजपा की ‘बी’ टीम करार देते हुए कहा है कि हर कोई जानता है कि बसपा किसके इशारे पर काम कर रही है।

दरअसल, मुसलमान वोटों को अपने पाले में करने की सबसे बड़ी कोशिश बसपा सुप्रीमो मायावती की ओर से दिखती है। पिछले विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद ही मायावती ने अपने पहले संदेश में मुस्लिम वोटरों के एकतरफा समाजवादी पार्टी की ओर जाने को हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण और बीजेपी की जीत की वजह बताया था। मायावती तभी से कह रही है कि यूपी में बीजेपी को हराने की ताकत उन्हीं के पास है।
*Help Dalit Times in its journalism focused on issues of marginalised *
Dalit Times through its journalism aims to be the voice of the oppressed.Its independent journalism focuses on representing the marginalized sections of the country at front and center. Help Dalit Times continue to work towards achieving its mission.
Your Donation will help in taking a step towards Dalits’ representation in the mainstream media.