लोकसभा चुनाव 2024 : आखिर बहुजन समाज पार्टी ने अकेले चुनाव लड़ने का क्यों किया फैसला ?

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गठबंधन को लेकर बीएसपी का यह भी मानना है कि गठबंधन करके चुनाव लड़ने से बीएसपी पार्टी को फायदा कम व नुकसान ज्यादा होता है तथा इससे और पार्टी का वोट प्रतिशत भी काम हो जाता है….

दीपशिखा इंद्रा की टिप्पणी

लोकसभा चुनाव 2024 का बिगुल बज चुका है। अभी हाल ही में 16 मार्च को चुनाव आयोग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के तारीखों का ऐलान भी कर दिया है। लोकसभा चुनाव 2024 के लिहाज से उत्तर प्रदेश सभी राजनीतिक पार्टियों के लिये सबसे महत्वपूर्ण राज्य हैं क्योंकि यहां सबसे ज्यादा सीटें हैं (मतलब 80 सीटें), इसलिए सभी पार्टियों की नजरें उत्तर प्रदेश पर टिकी हुई रहतीं हैं।

देखा जाए तो उत्तर प्रदेश में सियासी हलचल मची हुई है ऐसे में हर दल के नेता जनता को लुभाने के लिए तरह-तरह के वादें किये जा रहे हैं। जहां कांग्रेस और अन्य दलों ने मिलकर गठबंधन बनायें वहीं दूसरी ओर भारत देश की तीसरी सबसे बड़ी राष्ट्रीय पार्टी यानी बहुजन समाज पार्टी अकेले लड़ने का फैसला किया है।

आखिरकार बीएसपी ने क्यों अकेले लड़ने का फैसला किया?
जैसा की सर्वविदित हैं कि बीएसपी सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय के नीतियों पर काम करतीं हैं और उसमें भी खास कर (दलितों आदिवासियों अति पिछड़े वर्ग को मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ-साथ गरीबों) के लिए, बीएसपी राजनीतिक दल से पहले एक आन्दोलन (विचारधारा) हैं। जो बहुजन महापुरुषों व महानायिकों के विचारों को आत्मसात कर के उनके कारवां को आगे बढाने का काम करतीं हैं। जो मान-सम्मान व स्वाभिमान की लडाई है।
बीएसपी उत्तर प्रदेश में चार बार की रही सरकार के दौरान दलितों आदिवासियों अति पिछड़े वर्गों, अल्पसंख्यकों एवं गरीबों – मजदूरों बेरोजगारों छात्रों युवाओं महिलाओं व्यापारियों कर्मचारी किसानों व अन्य मेहनतकश लोगों के हित एवं कल्याण के लिए अनेकों अति महत्वपूर्ण जन कल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं।

यहां तक विपक्ष दल जो सत्ता में हैं और जो सत्ता में नहीं हैं इन दलों ने बीएसपी के कामों की नकल करके या नाम एवं थोड़ा स्वरूप बदलकर जनता को लुभाने में व खुद का क्रेडिट देने में लगी हुई हैं। लेकिन फिर भी जनता को सही से पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है।

जैसा बहनजी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस विज्ञप्ति के जारी कहती हैं
“इनको केंद्र व राज्य की सरकारों द्वारा गरीबी, बेरोजगार युवा महंगाई आदि से मुक्ति दिलाने की बजाय तथा रोटी रोजगार व आज के भी साधन उपलब्ध कराने की गारंटी देने की बजाय इन्हें फ्री में थोड़ा सा राशन आदि देकर अपना गुलाम व लाचार मोहताज और बनाना हुआ है जबकि हमने यूपी में अपनी पार्टी के नेतृत्व में चार बार रही सरकार के दौरान इन लोगों को वर्तमान सरकारों की तरह अपना गुलाम व लाचार एवं मोहताज ना बनाकर बल्कि इन्हें बड़ी तादाद में सरकारी एवं गैर सरकारी क्षेत्र में रोटी रोजी और रोजगार के साधन उपलब्ध कराके व इनकी गारंटी देकर काफी हद तक इनको अपने पैरों पर खड़ा किया है साथ ही इन्हें मान सम्मान व स्वाभिमान की जिंदगी बसर करने का भी काफी मौका दिया है।

जो वर्तमान में हमें कहीं भी होता नजर नहीं आ रहा है और आप पिछले वर्षों से केंद्र द्वारा राज्य की भी सरकारों द्वारा अपनी इन सभी कर्मियों पर पर्दा डालने के लिए जिस प्रकार से धर्म और संस्कृत की आड़ में राजनीति की जा रही है तो उसे अपने देश का संविधान एवं लोकतंत्र लोकतंत्र मजबूत नहीं बल्कि कमजोर ही होगा। ऐसी स्थिति में आज भी इन सभी दुख ही पीड़ित लोगों एवं विशेष कर बहुजन समाज के सभी वर्गों से अर्थात दलित आदिवासी अत पिछड़े वर्ग मुसलमानों अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक समाज से यह कहना चाहूंगी कि वह अपनी रोजी-रोटी वह रोजगार आदि के लिए तथा मान सम्मान एवं स्वाभिमान की जिंदगी बसर करने व अपनी वर्तमान एवं आगे आने वाली पीढियां की बेहतरी के लिए भी अपने संतो गुरु व महापुरुषों में भी खास कर महात्मा ज्योतिबा फुले छत्रपति शाहूजी महाराज नारायण गुरु परम पूज्य बाबा साहब अंबेडकर साहब जी आज के बताए हुए रास्ते पर चलकर अपनी एकमात्र हितैषी पार्टी बीएसपी को ही हर मामले में जरूर मजबूत बनाएं तथा जिनके हित एवं कल्याण के लिए मैंने पूरी जिंदगी भी समर्पित की हैं।

आगे बहनजी कहतीं हैं बहुजन समाज को जातिवादी दलित विरोधी मानसिकता वाली पार्टियों से सावधान रहने के सन्दर्भ में कहतीं केंद्र व राज्यों की भी सत्ता अपने हाथों में लेकर बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान में दिए गए संवैधानिक कानूनी अधिकारों का भी सही से पूरा लाभ लें तभी वास्तव में इन वर्गों के लोग अपनी खुशहाली जिंदगी व्यतीत कर सकते हैं, और यह सब हमने उत्तर प्रदेश में अपनी सरकार के समय में काफी कुछ करके भी दिखाया है। जबकि कांग्रेस बीजेपी व उनके सभी सहयोगी पार्टियों भी जिनकी सोच सिद्धांत एवं कार्यशैली पूर्ण रूप से जातिवादी पूंजीवादी सांप्रदायिक एवं सामंतवादी भी है ऐसी ये पार्टियां सत्ता में बने रहकर इनको कभी भी अपने पैरों पर खड़ा होते हुए देखना नहीं चाहती हैं।

ऐसे में फिर इन सभी विरोधी पार्टियों की सरकारों के चलते इनका सही से पूरा विकास उत्थान आदि नहीं हो सकता है, इतना ही नहीं बल्कि देश में एससी एसटी व ओबीसी वर्ग के लोगों को सरकारी नौकरियां एवं अन्य क्षेत्रों में भी आरक्षण दिए जाने की संविधान में जो व्यवस्था की गई है तो उनका भी अब इन पार्टियों की रह रही सरकारों में इन्हें पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है तथा अन्य और मामलों में भी उनकी लगभग यही खराब एवं दयनीय स्थिति बनी हुई है इसीलिए इन सब बातों को ध्यान में रखकर देश में गरीबों मजदूरों बेरोजगारों तथा बहुजन समाज के सभी वर्गों के लोगों को बीएसपी से जुड़ना तथा इन्हें फिर से सत्ता तक पहुंचाना बहुत जरूरी है, क्योंकि इन्हें यहां यह बात भी जरूर ध्यान में रखकर चलना होगा कि ये लोग अपने एक मकसद में कामयाब ना हो सके तो उसके लिए यहां सभी विरोधी पार्टियां अंदर-अंदर एक होकर एवं किस्म किस्म की साम-दाम-दण्द-भेद-भेद आदि अनेकों हथकंडे इस्तेमाल करके, इन्हें (बहुजन समाज) हमेशा सत्ता से दूर बनाए रखना चाहती हैं जिसे बहुजन समाज को हर स्तर पर सावधान रहना है तथा गुमराह भी नहीं होना है।

इसके साथ ही बहनजी ने लोकसभा चुनाव को लेकर स्पष्ट कर दिया था कि हमारी पार्टी देश में जल्द ही घोषित होने वाले लोकसभा के यह आम चुनाव यहां गरीबों एवं उपेक्षित वर्गों में से विशेष कर दलितों आदिवासियों अति- पिछड़े वर्गों मुस्लिम एवं अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक समाज के लोगों के बलबूते पूरी तैयारी एवं दमदारी के साथ अकेले ही लड़ेगी और इन्हीं के बलबूते पर हमने सन 2007 में यहां आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश में अकेले ही चुनाव लड़कर फिर अपनी पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई है, इसीलिए बहनजी इस अनुभव को भी खास ध्यान में रखकर लोकसभा चुनाव अकेले ही लड़ेगी। आगे बहनजी कहतीं हैं इस पार्टी का सर्वोच्च नेतृत्व एक दलित के हाथों में है जिनके प्रति अधिकांश पार्टियों की जातिवादी मानसिकता अभी तक भी नहीं बदली है यही मुख्य वजह है कि गठबंधन करके चुनाव लड़ने में बीएसपी का वोट तो गठबंधन से जुड़ी पार्टियों को पूरा चला जाता है, लेकिन अपर कास्ट समाज का वोट बीएसपी को ट्रांसफर नहीं हो पता है।

उदाहरण के तौर पर देखें तो यूपी में सन 1993 हुए विधानसभा के आम चुनाव सपा के गठबंधन करके लड़ने से बीएसपी कि केवल 67 सीट ही जीतकर आई थी, जबकि सपा को से ज्यादा लाभ पहुंचा था, उसके बाद सन 1996 बीएसपी ने यूपी में हुए विधानसभा का आम चुनाव कांग्रेस पार्टी से गठबंधन करके लड़ा था, जिसमें बीएसपी पार्टी की केवल 67 सीट ही जीतकर आई थी और चुनाव में भी कांग्रेस पार्टी को ज्यादा लाभ हुआ था। तब फिर बीएसपी ने सन 2002 विधानसभा के आम चुनाव अकेले लड़ी, जिस पार्टी यहां पहली बार 67 से बढ़कर 100 सीटें जीतकर आई थी, तथा उसके बाद सन 2007 में यूपी में विधानसभा के हुए आम चुनाव में बीएसपी ने फिर से अकेले चुनाव लड़कर यहां अपनी पूर्ण बहुमत की सरकार भी बना ली थी। साथ ही लोकसभा आम चुनाव और देश के अन्य राज्यों में भी अकेले चुनाव लड़कर खासकर वोट प्रतिशत के हिसाब से पार्टी काफी अच्छी स्थिति रही है।

साथ ही गठबंधन को लेकर बीएसपी का यह भी मानना है कि गठबंधन करके चुनाव लड़ने से बीएसपी पार्टी को फायदा कम व नुकसान ज्यादा होता है। तथा इससे और पार्टी का वोट प्रतिशत भी काम हो जाता है और फिर भी सपा के गठबंधन करने वाली पार्टियों को पूरा फायदा पहुंच जाता है यही वजह है कि देश में अधिकांश पार्टियां बीएसपी से गठबंधन करके चुनाव लड़ना चाहती हैं जबकि हमें बीएसपी के हित को भी देखना जरूरी है जिससे मद्देनजर रखते हुए अब बीएसपी की पार्टी व मूवमेंट के हित में अकेले ही चुनाव लड़ना ज्यादा बेहतर होगा।”

यही वजह है कि बीएसपी अपने दम पर लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया। यहां पर इस बात पर आकर्षित करना चाहेंगे कि इंडिया जैसे दिशाहीन गठबंधन का हिस्सा बनने के बजाय बसपा जैसे आन्दोलनकारी दल का अखिल भारतीय स्तर पर अपने बलबूते अकेले चुनावी समर में उतरने का फैसला समय की मांग है। यदि जनता बाबासाहेब, मान्यवर साहेब की वैचारिकी को मानती है, समझती है तो बसपा अकेले ही सबकों किनारे करते हुए देश का कारोबार अपने मजबूत हाथों में थामकर भारत को एक सुन्दर, समृद्ध व सशक्त भविष्य देने में सक्षम है।

और ध्यान रहे कि “बीजेपी हो या कांग्रेस या एक राज्य तक सीमित अन्य पार्टियां हो इनके लिये लोकसभा चुनाव एक राजनीतिक सत्ता की सफलता मात्र हैं, लेकिन बीएसपी यानी बहुजन समाज पार्टी के लिये यह एक प्रकिया या रास्ता है जिससे समाज में फैली असमानता भेदभाव गैरबराबरी जातिवाद आदि खत्म करके समता मूलक समाज स्थापित करना यानि ऐसा समाज जहाँ समता स्वतंत्रता भाईचारा और मानवता हो।” जिसका उद्देश्य है सामाजिक परिवर्तन कर सर्व जन के हितों की रक्षा करना और भारतीय संविधान की रक्षा के साथ साथ संविधान को पूरी तरह लागू करके सभी के हक अधिकार देना।

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