3 दशक बाद जेएनयू को मिला दलित छात्रसंघ अध्यक्ष, जानिये बिहार के लाल धनंजय के बारे में सबकुछ

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“आज इस देश के संविधान को बचाने की बहुत बड़ी जरूरत है. हम देखते हैं कि इस देश का छात्र अपने मूलभूत पढ़ाई के लिए लड़ाई लड़ रहा है। इस देश का किसान अपनी फसल की एमएसपी की मांग कर रहा है और मजदूर अपने हक के लिए लड़ाई कर रहा है। श्रम कोर्ट में बदलाव के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है। देश की बहुत बड़ी जनता अपने हक के लिए सरकार के विरोध में खड़ी है। जो देश के संविधान को बचाना चाहती है। जेएनयू का चुनाव यह साबित करेगा कि छात्र सत्तारूढ केंद्र सरकार के पक्ष में नहीं है। छात्र भारतीय जनता पार्टी को 2024 में सत्ता से बेदखल करने के लिए आ रहे हैं।”

DELHI, JNU ELECTION : अभी हाल ही में दिल्ली के जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय में चुनाव हुए थे। इन चुनावों में दलित समुदाय के ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आईसा) के धनंजय ने 2,598 वोट हासिल करके जेएनयू अध्यक्ष पद पर अपनी जीत का परचम लहराया दिया है। आपकों बता दें कि जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय छात्र संघ के चुनाव शुक्रवार को हुए थे। इस चुनाव में 73% मतदान हुआ था, जो पिछले 12 वर्षों में सबसे अधिक माना गया है।

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कौन है धनंजय ?

धनंजय बिहार गया के रहने वाले हैं और “जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय” (JNU) में स्कूल ऑफ आर्ट्स एंड एस्थेटिक्स से पीएचडी कर रहे हैं। जेएनयूएसयू अध्यक्ष पद के लिए दलित समुदाय के धनंजय का मुकाबला तकरीबन 7 उम्मीदवारों से था। इन उम्मीदवारों में दूसरे वामपंथी छात्र संगठनों के साथ साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) का उम्मीदवार भी शामिल था इन सभी को पछाड़ कर धनंजय ने जेएनयू अध्यक्ष पद पर जीत का परचम लहराया है। आपको बता दें कि धनंजय बत्ती लाल बैरवा के बाद वाम से जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय के छात्र संघ के 28 साल बाद पहले दलित अध्यक्ष चुने गए हैं। बैरवा 1996-97 में छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गए थे।

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कितने वोटों से हराया ?

जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय के वर्तमान अध्यक्ष धनंजय ने चुनावों में अपने निकटतम प्रतिद्वंदी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के उमेश चंद्र अजमीरा को 922 वोटों से हराया। चुनावों में धनंजय को कुल 2,598 वोट प्राप्त हुए जबकि उमेश चंद्र अजमीरा को 1,676 मिलें और उन्हें हार मिली। हालांकि ऐसा माना जा रहा है कि JNUSU अध्यक्ष पद चुनावों में ABVP का ये अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन रहा है।जानकारी के मुताबिक सभी चार केंद्रीय सीट – अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव और संयुक्त सचिव पर वामपंथियों का कब्जा रहा है।

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जीत के बाद धनंजय ने क्या कहा ?

जीत के बाद धनंजय ने “पीटीआई” से बात करते हुए कहा कि, “यह जीत जेएनयू के छात्रों का इस बात को लेकर जनमत संग्रह है कि वे नफरत और हिंसा की राजनीति को खारिज करते हैं। हम उनके अधिकारों के लिए लड़ना जारी रखेंगे और छात्रों से जुड़े मुद्दों पर काम करेंगे। परिसर में महिलाओं की सुरक्षा, कोष में कटौती, छात्रवृत्ति वृद्धि, बुनियादी ढांचा और जल संकट शुरुआत से ही छात्र संघ की शीर्ष प्राथमिकताओं में शामिल है।”

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पहला दलित. जेएनयू अध्यक्ष धनंजय, इमेज क्रेडिट गूगल

 

धनंजय ने कौन कौन से मुद्दे उठाए :

जेएनयूएसयू के अध्यक्ष पद पर बहस के दौरान धनंजय ने कई मुद्दे उठाए। विश्वविद्यालय परिसर में महिलाओँ की सुरक्षा पर उन्होंने सवाल उठाया। जल संकट, बुनियादी ढांचे की कमी,छात्रवृत्ति में वृद्धि .फंड में कटौती और फीस में बढ़ोतरी जैसे उनके प्रमुख मुद्दे रहे। धनंजय ने देश देशद्रोह के आरोप में हिरासत में लिए गए छात्र नेताओँ को रिहा करने की मांग की। धनंजय फीस बढ़ोतरी के लिए विश्वविद्यालयों द्वारा उच्च शिक्षा अनुदान एजेंसी से लिए गए लोन को जिम्मेदार माना।

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JNU  पर धनंजय ने  क्या  कहा ?

ईटीवी भारत  से बातचीत में जवहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय के वर्तमान अध्यक्ष धनंजय ने बताया कि “छात्रसंघ का यह चुनाव यूनिवर्सिटी के ही नहीं देश के मुद्दों पर भी हुआ है। आजकल JNU पर फ़िल्में बनाकर देश विरोधी छवि बनाई जा रही है। फिल्म में कहा गया है कि जेएनयू के छात्रों को गोली मार देनी चाहिए। आज देश को संप्रदाय के आधार पर बांटने की कोशिश हो रही है। देश और संविधान को बचाने के लिए जेएनयू हमेशा खड़ा रहेगा। हमारी जिम्मेदारी है कि इस देश में अगर किसान लड़ रहा होगा और किसानों के खिलाफ पॉलिसी आती है तो जेएनयू उनके साथ खड़ा रहेगा। “

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किन मुद्दों को लेकरछात्रों से वोट मांगे ?

ईटीवी भारत से बात  करने पर धनंजय ने बताया कि “एक नारा है शिक्षा पर जो खर्चा हो बजट का दसवां हिस्सा हो। हम चाहते हैं मुल्क में सबसे बेहतर शिक्षा लोगों को मिले। हम चाहते हैं कि जेएनयू जैसे अन्य शिक्षण संस्थान बनाया जाए बेहतर फैकल्टी मिले। आज ऐसे प्रोफेसर की नियुक्ति हो रही है जो एक ही विचारधारा को मानने वाले हैं. ऐसे में विद्यार्थियों पर क्या असर पड़ेगा. इसके साथ ही कैंपस के इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी हुई समस्याओं को लेकर हम लोग छात्रों से वोट मांगने गए थे।”

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आगामी लोकसभा चुनाव पर धनंजय ने क्या कहा ?

ईटीवी भारत से बात करते हुए  आगामी लोकसभा चुनाव पर धनंजय ने कहा कि “आज इस देश के संविधान को बचाने की बहुत बड़ी जरूरत है. हम देखते हैं कि इस देश का छात्र अपने मूलभूत पढ़ाई के लिए लड़ाई लड़ रहा है। इस देश का किसान अपनी फसल की एमएसपी की मांग कर रहा है और मजदूर अपने हक के लिए लड़ाई कर रहा है। श्रम कोर्ट में बदलाव के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है। देश की बहुत बड़ी जनता अपने हक के लिए सरकार के विरोध में खड़ी है। जो देश के संविधान को बचाना चाहती है। जेएनयू का चुनाव यह साबित करेगा कि छात्र सत्तारूढ केंद्र सरकार के पक्ष में नहीं है। छात्र भारतीय जनता पार्टी को 2024 में सत्ता से बेदखल करने के लिए आ रहे हैं।”

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लाल सलाम’ और ‘जय भीम’ के नारों के बीच विजेता छात्रों का स्वागत :

आपको बता दें कि  समर्थकों ने ‘लाल सलाम’ और ‘जय भीम’ के नारों के बीच विजेता छात्रों का  स्वागत किया। उम्मीदवारों की जीत का जश्न मनाने के लिए छात्रों ने लाल, सफेद और नीले झंडे लहराए. स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के अविजीत घोष ने एबीवीपी की दीपिका शर्मा को 927 वोट से हराकर उपाध्यक्ष पद जीता. घोष को 2,409 वोट मिले जबकि शर्मा को 1,482 मत हासिल हुए. वाम समर्थित बिरसा आंबेडकर फुले स्टूडेंट्स एसोसिएशन (बीएपीएसए) उम्मीदवार प्रियांशी आर्य ने एबीवीपी के अर्जुन आनंद को 926 वोट से हराकर महासचिव पद जीता. आर्य को 2,887 वोट मिले जबकि आनंद को 1961 मतों से संतोष करना पड़ा।

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