हाथरस में दलित युवती के साथ सामूहिक बलात्कार और मारपीट की घटना पर चंद्रशेखर आजाद ने नाराज़गी जताई है। उन्होंने पुलिस पर आरोपियों की गिरफ्तारी में देरी का आरोप लगाते हुए त्वरित कार्रवाई की मांग की। भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी धरने पर बैठकर पीड़िता को न्याय दिलाने की लड़ाई लड़ रही हैं।
उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में दलित समुदाय की एक युवती के साथ हुए सामूहिक बलात्कार और मारपीट की घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। यह मामला तब और गंभीर हो गया जब भीम आर्मी के प्रमुख और आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने इस घटना के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की। चंद्रशेखर ने ट्वीट करते हुए कहा कि यह घटना अत्यंत शर्मनाक, पीड़ादायक और दंडनीय है। उन्होंने सवाल उठाया कि 30 सितंबर को एफआईआर दर्ज होने के बावजूद पुलिस अब तक सभी आरोपियों को गिरफ्तार करने में विफल क्यों रही है।
न्याय के लिए सड़कों पर उतरी भीम आर्मी
घटना के बाद से ही चंद्रशेखर आजाद और उनकी पार्टी ने पीड़िता के न्याय के लिए मोर्चा खोल दिया है। भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी के कार्यकर्ता धरने पर बैठ गए हैं और प्रशासन से तुरंत कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। धरने में बड़ी संख्या में दलित समुदाय के लोग, सामाजिक कार्यकर्ता और अन्य संगठनों के लोग शामिल हो रहे हैं। यह आंदोलन सिर्फ हाथरस तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसकी गूंज पूरे देश में सुनाई देने लगी है।
प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल
चंद्रशेखर ने अपने ट्वीट में यह भी कहा कि आरोपियों की गिरफ्तारी में देरी प्रशासन की लापरवाही और न्याय प्रणाली की विफलता को उजागर करती है। उन्होंने हाथरस पुलिस से आग्रह किया है कि वह तत्काल सभी आरोपियों को गिरफ्तार करे और सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करे। उनका कहना है कि इस प्रकार की घटनाओं पर समय पर कार्रवाई नहीं होने से समाज में कानून के प्रति विश्वास कमजोर होता है।
दलित महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल
इस घटना ने एक बार फिर दलित महिलाओं की सुरक्षा पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। एक ओर सरकार “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” का नारा देती है, तो दूसरी ओर ऐसी घटनाएं इस नारे की वास्तविकता पर सवाल उठाती हैं। समाज के कमजोर तबकों, विशेष रूप से दलित महिलाओं के साथ हो रही हिंसा ने दिखाया है कि न्याय पाने के लिए उन्हें आज भी संघर्ष करना पड़ता है।
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जनता का आक्रोश और बढ़ता दबाव
भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी के धरने ने न केवल इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बनाया है, बल्कि प्रशासन पर दबाव भी बढ़ाया है। हाथरस की सड़कों पर प्रदर्शनकारियों का जमावड़ा बढ़ता जा रहा है। लोगों का कहना है कि अगर आरोपियों को जल्द गिरफ्तार नहीं किया गया तो यह आंदोलन व्यापक रूप ले सकता है।
न्याय की उम्मीद
इस घटना के बाद लोगों को अब उम्मीद है कि प्रशासन जल्द से जल्द सभी आरोपियों को गिरफ्तार करेगा और पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए सख्त कदम उठाएगा। यह घटना न केवल हाथरस के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक चेतावनी है कि महिलाओं और दलितों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। चंद्रशेखर आजाद का यह कदम समाज के कमजोर वर्गों के लिए न्याय की लड़ाई का प्रतीक बन गया है।
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