दिल्ली ब्यूरो: देश में हर साल राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार का आयोजन किया जाता है. इस बार भी 68वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार (68th National Film Awards) का ऐलान 22 जुलाई को नई दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस (Press Conference) के माध्यम से किया गया. इस लिस्ट में बेस्ट फिल्म, बेस्ट एक्टर और एक्ट्रेस (Best Actor & Actress) के साथ-साथ कई अन्य कैटेगरीज में भी विजेताओं के नामों की घोषणा की गई. लेकिन इस बार का पुरस्कार इसलिए भी खास है. क्योंकि एक 15 मिनट की हिंदी डॉक्युमेंट्री फिल्म जस्टिस डिलेड बट डिलिवर्ड (Justice Delayed But Delivered) जोकि सामाजिक मुद्दों पर आधारित है. इस फिल्म ने राष्ट्रीय पुरस्कार अपने नाम किया है.
इस फिल्म में 5 अगस्त 2019 से पहले जम्मू कश्मीर में रहने वाले दलित परिवारों के हालात को दिखाया गया है. फिल्म एक दलित लड़की के जीवन पर आधारित है. जोकि एक सफाई कर्मी की बेटी है. फिल्म में दिखाया गया है कि आर्टिकल 370 हटने से पहले सफाई कर्मी का बच्चा सफाई कर्मी ही बनेगा. लेकिन फिल्म में दलित परिवार की एक लड़की पढ़ना लिखकर नौकरी करना चाहती है. आपको बता दें कि ये लड़की कोई और नही बल्कि राज्य स्तरीय एथलीट राधिका गिल है.
आर्टिकल 35A व 370 पर आधारित फिल्म "Justice Delayed But Delivered" को सामाजिक मुद्दों पर बनाई गई सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिलने पर फिल्म के निर्देशक @kamakhyanarayan जी को हार्दिक बधाई! pic.twitter.com/LoX1NAVmeG
— Chander Mohan Gupta(Modi ka Parivar) (@CMGuptaOfficial) July 25, 2022
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सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल
आपको बता दें राधिका गिल के पिता चरण सिंह जम्मू में सफाई कर्मचारी है. राधिका अपने खेल और पढ़ाई के दम पर एक अच्छी सरकारी नौकरी करना चाहती थी. लेकिन आर्टिकल 35ए के कारण उन्हें जम्मू कश्मीर में नौकरी करने का अधिकार नही था.
आर्टिकल 35ए के अनुसार वो राज्य में केवल सफाई कर्मी के रुप में काम कर सकती थी. इसके लिए राधिका ने आर्टिकल 35ए को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दाखिल की थी. लेकिन उससे पहले ही 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 एवं आर्टिकल 35ए को केंद्र सरकार ने हटा दिया. ऐसा होने से राधिका जैसी न जाने कितनी दलित लड़कियों को नौकरी और पढ़ाई करने का समान अधिकार मिला गया है.
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