छत्रपति शाहू जी महाराज के बारे में क्या ये सब जानते हैं आप ?

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छत्रपति शाहू जी का जन्म 26 जून 1874 को कोल्हापुर जिले के कागल गाँव के घाटगे शाही मराठा परिवार में हुआ था। छत्रपति शाहू जी को राजर्षि शाहू महाराज या शाहू महाराज भी कहा जाता है। छत्रपति शाहू जी ने कोल्हापुर के सिंहासन पर तकरीबन 28 वर्षों तक राज किया था। सिहांसन पर रहते हुए शाहू जी ने कई सामाजिक सुधारों की शुरुआत की थी। शाहू जी ने अधिकतर दलित समुदाय के लिए काम किया था। आज हम अपने इस लेख के माध्यम से दलित समुदाय के लिए किये गए उनके योगदान के बारे में जानेंगे।

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शिक्षा पर ज़ोर दिया था :

 

दरअसल छत्रपति शाहू जी अपने समय के काफी चर्चित राजा था। वह सभी स्तरों के बीच समानता के बड़े समर्थक थे। शाहू जी ने जाति अलगाव और अस्पृश्यता की अवधारणा को खत्म करने के लिए बड़े प्रयास किए थे। उन्होंने शिक्षा पर काफी ज़ोर दिया था इसके लिए शाहू जी ने शैक्षणिक कार्यक्रम शुरू किए थे।

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उन्होंने विभिन्न जातियों और धर्मों जैसे पंचल, देवदान्य, नाभिक, शिंपी, धोर-चंभहर समुदायों के साथ-साथ मुसलमानों, जैनों और ईसाइयों के लिए अलग-अलग छात्रावास की स्थापना भी की थी। इसके अलावा शाहू जी ने बोर्डिंग स्कूलों की स्थापना की थी। पिछड़ी जाति के गरीब लेकिन मेधावी विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति की सुविधा प्रदान की थी। उन्होंने अपने राज्य में सभी के लिए एक अनिवार्य मुफ्त प्राथमिक शिक्षा की भी शुरूआत की थी।

 

CHHATRAPATI SHAHU JI MAHARAJ IMAGE CRDEIT BY SOCIAL MEDIA

रोजगार के क्षेत्र में काम किया:

 

दलितों के उत्थान के लिए महाराजा शाहू जी ने 1902 में आरक्षण की सुविधा भी प्रदान की थी। शाहू जी ने रोजगार के क्षेत्र में 1906 में “शाहू छत्रपति बुनाई और स्पिनिंग मिल” की शुरूआत की थी। उन्होंने अछूतों को कुएं और तालाबों के साथ-साथ स्कूलों और अस्पतालों के समान इस्तेमाल का अधिकार प्रदान किया था।

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महिलाओं के उत्थान के लिए काम किया:

छत्रपति शाहू जी ने महिला शिक्षा के लिए भी काम किया था। उन्होंने महिलाओं को शिक्षित करने के लिए स्कूलों की स्थापना की। उन्होंने देवदासी प्रथा पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून की शुरुआत की इसके अलावा शाहू जी ने 1917 में विधवा पुनर्विवाहों को वैध बनाया और बाल विवाह को रोकने के प्रयास किए।

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कृषि क्षेत्र में काम किया :

शाहू जी ने कई परियोजनाओं की शुरूआत की थी किसानों के लिए सहकारी समितियों की स्थापना की थी। कृषि प्रथा में आधुनिकरण हो इसके लिए शाहू जी ने उपकरण खरीदने के लिए किसानों को क्रेडिट कार्ड की सुविधा उपलब्ध कराई थी। इसके अलावा फसल में बेहतर उपज के लिए किसान को सिखाने के लिए शाहू जी ने “राजा एडवर्ड कृषि संस्थान” की स्थापना की।

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DOCTOR BABA SAHEB AMBEDKAR IMAGE CREDIT BY GOOGLE

 

“फासे पारधी” कौन सा समुदाय है ?

आज के दिन ही यानी 16 नवंबर 1912 को छत्रपति शाहू जी ने “फासे पारधी” समुदाय के लोगों को मुफ्त घर प्रदान करने की योजना को मंजूरी प्रदान की थी। शाहू महाराज ने कहा था, “समाज की भलाई का मतलब है खुद का कल्याण”।

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“पारधी एक आदिवासी जनजाति का नाम है जिसके लोग जंगली जानवरों और पक्षियों का शिकार करके और उन्हें भोजन और बिक्री के लिए उपयोग करके अपना जीवन यापन करते हैं।“

सम्मेलन का आयोजन किया:

छात्रपति शाहू जी बाबा साहेब अंबेडकर से भी जुड़े थे। दोनों ने 1917-1921 के दौरान कई बार मुलाकात की और जाति अलगाव के नकारात्मकता को खत्म करने के लिए आगे बढ़े। अस्पृश्यों के सुधार के लिए उन्होंने एक सम्मेलन का आयोजन भी किया था और इस सम्मेलन का अध्यक्ष छत्रपति शाहू जी ने बाबा साहेब अंबेडकर को बनाया था। क्योंकि उनका मानना था कि डॉ अम्बेडकर ऐसे नेता थे जो समाज के अलग-अलग हिस्सों में सुधार के लिए काम करेंगे।

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सत्य शोधक समाज का संरक्षण किया:

छत्रपति शाहू जी ज्योतिबा फुले के कार्यों से प्रभावित थे, और उन्होंने फुले द्वारा गठित सत्य शोधक समाज का संरक्षण भी किया था। लेकिन बाद में शाहू जी आर्य समाज की ओर चले गए थे। दलितों के उत्थान, महिला शिक्षा, रोजगार, कृषि क्षेत्र में किये गए उनके योगदान को आज भी भुलाया नहीं जा सकता। उनके कार्य हमें सदैव प्रेरित करते रहेंगे।

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