केंद्र की नई सौगात “नो रैंक नो पेंशन “: 4 साल के बाद किस दिशा में जाएगा सेना का जवान.

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संवाददाता तोषी मैंदोला की रिपोर्ट

वन रैंक वन पेंशन पर वोट मांगने वाली केंद्र सरकार ने भारतीय युवाओं को “नो रैंक नो पेंशन” की सौगात दी है। आर्मी, नौ और वायुसेना को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अग्निपथ योजना का ऐलान करते हुए इसे भारत के लिए बड़ी सौगात बताया। अग्निपथ योजना के तहत सरकार का प्लान है कि सेनाओं में 4 साल के लिए युवाओं की भर्ती की जाए और कम उम्र के युवाओं को  रिटायर कर दिया जाएगा। 4 साल की सेवा के लिए भर्ती किए गए जवानों में से सिर्फ़ 25 प्रतिशत को सेना में रखा जाएगा बाकि के 75 प्रतिशत जवानों के भविष्य को लेकर कोई खाका तैयार नहीं है। भारत में बेरोजगारी की जड़ें काफी गहरी हैं, जिसे भारत की अहम समस्या माना जा रहा है। भारत में दिसंबर 2021 तक 53 मिलियन यानी 5.3 लोग बेरोजगार हैं। इन आंकड़ों की जानकारी “ईकोनोमिक्स टाइम्स ने डेटा सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी” के आधार पर दी है। अप्रैल, 2021 में कुल बेरोजगारी की दर 7.97 प्रतिशत थी। भारत में बेरोजगारी के इन आंकड़ों को देखकर अग्निपथ के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की आशंका पहले से ही जताई जा रही थी। सवाल है कि चार साल के बाद इन वीरो को रिटायर्ड वीर कहा जाएगा या निष्कासित वीर कहा जाएगा। सरकार की तरफ से लगातार कहा जा रहा है कि देश के ज्यादा से ज्यादा युवाओं को देश की रक्षा करने का अवसर मिलेगा।

इस योजना के तहत भारतीय सेना की औसत उम्र 32 से घट कर 26 हो जाएगी। यानि आज से 50 साल के बाद जब देश की आबादी तेजी से बूढ़ी हो रहेगी होगी तब भी हमारी सेना युवा रहेगी। राजनाथ सिंह के बयान को अगर ध्यान से सुना और समझा जाए तो इस योजना के तहत देश का युवा 25 साल की उम्र में आर्थिक और मानसिक रुप में मजबूत हो जाएगा। अब समझिए कि इतना सब कुछ सरकार की तरफ से देश के युवाओ के लिए सोचा जा रहा है जिसका युवा विरोध कर रहे है। तो फिर संसद में मौजूद सांसदों के लिए सरकार की कोई ज़िम्मेदारी क्यो नहीं बनती है। संसद में मौजूद सासंदो को सरकार की तरफ से रिटायरमेंट के बाद पेंशन से लेकर अनेक सेवाओं का प्रावधान क्यो हैं? साल 2010 में हुए संसोधन के अनुसार संसद से रिटायर होने के बाद सदस्यों को 20 हजार रुपये प्रति महीने पेंशन मिलती है। वही यात्रा भत्ता, स्वास्थ्य संबंधी सुविधाए और फैमिली पेंशन जैसी अनेक सेवाएं दी जा रही है। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण रुस ने तो अधिकतम सीमा आयु ही खत्म कर दी है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग सेना में शामिल हो सके। 40 साल से ज्यादा उम्र वाले भी सेना में शामिल हो सकते है। व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में ऐसे कानून पर दस्तखत किए है। लेकिन इस बीच सबसे बड़ा सवाल, अगर भारत में भी  विश्व युद्ध जैसे हालात बनते है तब सरकार की क्या तैयारियां है क्योकि सरकार ने तो औसत आयु 32 से घटाकर 26 साल कर दी है।

इजरायल, कोरिया और फ्रांस जैसे देशों में युवाओं का कुछ साल का कार्यकाल सेना में देने की प्रथा अरसे से चली आ रही है ताकि वह बेहतर इंसान बन सके और देश की रक्षा में अपना सहयोग दे पाए। लेकिन भारत में यह प्रथा अनिवार्य नहीं बल्कि मजबूरी है ताकि सरकारी नौकरी पाकर युवा अपने जीवन का गुजारा कर पाएं। देश की सशस्‍त्र सेनाओं में भर्ती के लिए केन्‍द्र सरकार ने अग्निपथ स्‍कीम की घोषणा की है। युवाओं को सेना से जोड़ने और सशस्‍त्र सेनाओं के आधुनिकीकरण के लिए यह स्‍कीम लाई गई है। मंगलवार 14 जून को केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अग्निपथ योजना की घोषणा करते हुए कहा कि योजना के तहत युवाओं को 4 साल की अवधि के लिए सशस्‍त्र सेनाओं में कमीशन पर भर्ती किया जाएगा। लेकिन 4 साल की नौकरी जिसमें मात्र 6 महीने प्रशिक्षण दिया जाएगां क्या वो सीमा पर दुश्मन से लड़ने के लिए काफी होगा।

हालांकि बढ़ते हुए विरोध प्रदर्शन को देखते हुए सरकार ने अग्निवीर बनने के लिए उम्‍मीदवार की आयु जो पहले 17.5 से 21 साल थी उसे बढ़ाकर 23 साल कर दी गई है। इसके साथ सेनाओं ने स्‍पष्‍ट किया है कि अब केवल अग्निपथ स्‍कीम के तहत ही सेना में भर्तियां ली जाएंगी और पूर्व की भर्ती प्रणाली खत्म होगी। भर्ती कुल 4 साल के लिए होगी और अधिकतम 25 प्रतिशत अग्निवीरों को ही सेना में पर्मानेंट कमीशन पर रखा जा सकेगा और इसी के चलते देश की अग्निपथ योजना सड़कों पर विरोध प्रदर्शन को झले रही है। सरकार की अग्निपथ योजना को लेकर देश के कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन लगातार उग्र हो रहा है। राजस्थान जिसे देवभूमि और वीरो की भूमि भी कहा जाता है वहां तड़के से ही युवाओं का प्रदर्शन जारी है। बिहार के बक्सर से लेकर जयपुर, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में प्रदर्शन व्यापक रुप ले रहा है। बिहार के कई जिलों में युवाओं ने प्रदर्शन किया है। आरा स्टेशन पर भी आक्रोशित युवाओं ने हाथ में झंडा लेकर जमकर प्रदर्शन किया है । प्रदर्शन के दौरान युवाओं ने जमकर पत्थरबाजी करते हुए सरकार के खिलाफ नारेबाजी की । पत्थरबाजी के बाद प्रदर्शनकारियों ने आरा स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 4 पर आग भी लगा दी. उसके बाद उपद्रवियों ने स्टेशन परिसर में खड़े मोटरसाइकिल को चार नंबर प्लेटफार्म के ट्रैक पर फेक कर आग के हवाले कर दिया । कई राज्यों में ट्रेन की बोगी को आग के हवाले किया तो कही रोड जाम करके , टायर जलाकर सेना की तैयारी में जुटे नौजवानों ने अपना रोष व्यक्त किया । अग्निवीर अब भावीवीर हो गए है । केंद्र के इस फैसले की कड़ी निंदा करते हुए कुछ भावुक हो रहे है तो कई गुस्से में आग बबूला होकर देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मोदी सरकार के खिलाफ नारेबाजी और विरोध प्रदर्शन कर रहे है । बिहार, राजस्थान,उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में अग्निपथ योजना को लेकर तीव्र विरोध हो रहा है ।

मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह जिन्होंने देश की सेवा और सेना में एक लंबा वक्त दिया है, अग्निपथ योजना पर बात करते हुए सिंह कहते है कि “पहले योजना जमीन पर उतर जाए फिर देखा जाएंगा कि क्या होगा और क्या नहीं”। फ्रांस और जर्मनी की सेना से अग्निपथ मॉडल को लिए गया है लेकिन वी के सिंह जो सेना में काफी अनुभव रखते है उन्हें ना तो इस योजना से होने वाले कुप्रभाव पता है और ना ही उन्हें योजना बनाने के वक्त शामिल किया गया था। अग्निपथ योजना को लेकर देश के तमाम माता पिता को अपने बच्चों के भविष्य की चिंता सता रही है। युवाओं में ये दुविधा है कि 4 साल के कार्यकाल के बाद उनके पास रोजगार का दूसरा अवसर क्या होगा और कैसे मिलेगा । 23 साल की उम्र के दौरान युवा सेना की अग्निपथ योजना के लिए त्तपर होंगे । ऐसे में इस दौरान उनकी शिक्षा भी प्रभावित होगी । 23 की उम्र में सेना भर्ती और 26 में सेना से रिटायरमेंट के बाद उनका भविष्य किस दिशा कि ओर जाएंगा । हालांकि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर अपने बयान में कहते हुए दिखते है कि टूर ऑफ ड्यूटी के बाद उन्हें कई सरकारी विभागो और मंत्रालयों में प्राथमिकता दी जाएगी । लेकिन सरकार की तरफ से आगे कि नीतिगत तथ्यों को भी तक उजागर नहीं किया गया है ।

रिटायर्ड मेजर मोहम्मद अली शाह “अग्निपथ योजना” को लेकर बताते है कि इससे युवाओं की स्किल्स बढ़ेगी और चार साल के बाद उन्हें कई और संस्थानों में काम करने के नए अवसर मिलेंगे । सेना की अग्निपथ योजना का सर्मथन करते हुए मेजर कहते है कि सेना कोई नौकरी नही है बल्कि जिंदगी जीने का तरीका है । फौज की नौकरी आपको विजेता बना देगी क्योकि सेना की ट्रेनिंग आपका अनुशासन, स्किल्स को डेवलैप करती हैं । हालांकि आगे की कार्यवाही और कागजी खाका को लेकर मेजर मोहम्मद अली शाह के पास सिर्फ यही जवाब था कि क्या आपके पास कोई गांरटी है कि आप अगले 4 चार बाद क्या करेंगी ।

https://dalittimes.in/leader-for-five-years-sainik-for-four-years-there-re-modi-sarkar/ 

वही इससे इत्तर देश की तमाम विपक्षी पार्टियां की प्रतिक्रिया आनी शुरु हो हई है । बीजेपी सासंद वरुण गांधी समेत प्रिंयंका गांधी, दीपेंद्र हुड्डा और सचिन पायलट समेत कई नेता और पार्टियां केंद्र सरकार के खिलाफ अपना बयान सोशल मीडिया के माध्यम से सार्वजानिक करते हुए सरकार से सेना भर्ती को लेकर राजनीति नही अपितु राष्ट्रनीति करने की अपील कर रही हैं । वही छात्रों का कहना है कि इजरायल , फ्रांस और कोरिया आदि जैसे देशों की सेना से लिए गए मॉडल की तर्ज पर अग्निपथ मॉडल को भले ही सरकार ने मंजूरी दे दी है लेकिन उस संबधं में आगे की नीति के बारे में सरकार के पास कोई खाका तक तैयार नहीं है ।

लेखक – तोषी मैंदोला

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