राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी के आंकड़ें बताते हैं कि “देश की जेलों में 4,78,600 कैदी हैं जिनमें 3,15,409 कैदी एससी, एसटी और ओबीसी […]
श्रेणी: विमर्श
Dalit Times Exclusive Editorial Articles from various renouned intellectuals,social workers and guest writers.
Birth Anniversary: अंग्रेज़ों के खिलाफ़ विद्रोह करने वाले पहले व्यक्ति थे मातादीन वाल्मीकि !
मातादीन वाल्मिकि ने मंगल पांडे को उनकी पंडाताई याद दिलाते हुए कहा, “पंडत, तुम्हारी पंडिताई उस समय कहा चली जाती है जब तुम और तुम्हारे […]
क्या महात्मा ज्योतिराव फुले ‘दलित’ शब्द का प्रयोग करने वाले पहले व्यक्ति थे ?
महात्मा ज्योतिबा फुले जातिव्यवस्था के कट्टर विरोधी थे। वह भारतीय समाजसुधारक, समाज प्रबोधक, विचारक, समाजसेवी, लेखक, दार्शनिक तथा क्रान्तिकारी कार्यकर्ता भी थे। उन्होंने महिलाओं को […]
दंगो का शिकार धर्म-जाति के नाम पर भड़काने वालें नेता और उनके बच्चें क्यों नहीं होते ?
हिंसा से कभी किसी का भला हुआ है ? तो इसका जवाब है हां , जातीय दंगे हो या सांप्रदायिक दंगे…..नेताओ और राजनितिक दलों का […]
Constitution Day : जानिए किस तरह Ambedkar पर फैलाया जा रहा है झूठ
भारतीय संविधान कब बनकर तैयार हुआ, लागू कब हुआ औऱ इसे बनने में कितना समय लगा ये बात आप सब जानते हैं लेकिन जो बात […]
भारत में शीर्ष पदों पर ब्राह्मण फिर दलितों का आरक्षण के बाद भी प्रतिनिधित्व कहाँ है ?
आपने अनगिनत लोगों से यह सुना होगा कि वर्तमान भारत की स्थिति किससे छुपी हैं लेकिन यकीन मानिए सच्चाई इसके बिल्कुल अलग है। आज कल […]
छत्तीसगढ़, झारखंड और राजस्थान में 3 प्रतिशत आबादी वालों को 10 प्रतिशत आरक्षण किस आधार पर ?
छत्तीसगढ़ सरकार ने दिसंबर महिने की शुरूआत में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है। कहा जा रहा है कि इस विशेष सत्र में छत्तीसगढ़ सरकार […]
दलित युवती को 11 साल बाद मिला न्याय,विशेष न्यायाधीश ने बलात्कारी को सुनाई आजीवन कारावास की सजा
गुरूवार को उत्तर प्रदेश के देवरिया में विशेष न्यायधीश SC,ST ने दलित रेप पीड़िता को न्याय देते हुए आरोपी को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई। […]
जब अंग्रेज़ी हुकुमत ने राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले और माता सावित्री बाई फुले को किया था सम्मानित
ज्योतिबा फुले भारतीय समाज सुधारक लेखक दार्शनिक और क्रांतिकारी कार्यकर्ता थे। भारतीय समाज में फैली जाति प्रथा के आधार पर हुए विभाजन और भेदभाव के […]
जयंती विशेष- आखिर क्यों देश ने बिरसा मुंडा की शहादत को भुला दिया ?
बिरसा मुंडा को सिर्फ आदिवासी समाज का महानायक कहना बेमानी है क्योंकि बिरसा मुंडा और उनके विचारों ने न केवल आदिवासी समाज की दिशा और […]