छत्तीसगढ़, झारखंड और राजस्थान में 3 प्रतिशत आबादी वालों को 10 प्रतिशत आरक्षण किस आधार पर ?

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छत्तीसगढ़ सरकार ने दिसंबर महिने की शुरूआत में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है। कहा जा रहा है कि इस विशेष सत्र में छत्तीसगढ़ सरकार आरक्षण कोटे को बढ़ा कर 81 फीसदी कर सकती है। आरक्षण को बढ़ाने के लिए आरक्षण पर संशोधन विधेयकों का प्रारूप लगभग तैयार हो चुका है। जिसे 24 नवंबर को होने वाली राज्य कैबिनेट की बैठक में मंजूरी भी मिल जाएगी। बहरहाल, आरक्षण की सीमा बढ़ाने के बाद छत्तीसगढ़ में कुल आरक्षण सीमा 81 फीसदी हो जाएगी। जिसमें 32 फीसदी अनुसूचित जनजाति, 12 फीसदी अनुसूचित जाति, मंडल कमिशन के आधार पर ही अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। बता दें कि इस 81 फीसदी में EWS यानी आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग को मिला 10 फीसदी आरक्षण भी शामिल हैं।

जनसंख्या के आधार पर मिलेगा आरक्षण?
मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हमेशा से ही जनसंख्या के आधार पर आरक्षण के हितेशी रहे हैं। वह कई अवसरों पर जनसंख्या के अनुपात के अनुसार आरक्षण का लाभ दिया जाने की बात कह चुकें हैं। लेकिन आरक्षण पर छत्तीसगढ़ कांग्रेस सरकार के इस फैसले के बाद कहा ये जा रहा है कि सामान्य वर्ग के लोगों को सिर्फ 19 फीसदी सीटें मिलेंगी। हांलाकि देखा जाए तो EWS को मिला 10 फिसदी आरक्षण भी सामान्य वर्ग को मिला आरक्षण है। तो यह सीमा 19 से बढ़ कर हो जाती है 29 फीसदी। यहाँ बताते चलें कि छत्तीसगढ़ में सवर्ण 3 फीसदी से 9 फीसदी के बीच हैं।

यहाँ बड़ा सवाल ये है कि राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों में SC, ST, OBC की कुल आबादी 90% से ऊपर है। वहीं सवर्ण 3% से 9% के बीच हैं। तो यहाँ किस आधार पर EWS को 10% आरक्षण दिया जा रहा है?

81 फीसदी वाला छत्तीसगढ़ पहला राज्य होगा:
आऱक्षण कोटे को बढ़ाने के बाद छत्तीसगढ़ पहला ऐसा राज्य होगा जहाँ 81 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। वहीं इसमें SC, ST, OBC के साथ-साथ EWS का 10 फीसदी आरक्षण भी शामिल हैं। हालांकि इससे पहले नवंबर महिने की शुरूआत में झारखण्ड की हेमंत सोरेन सरकार ने भी आऱक्षण की सीमा को बढ़ा कर 77 फीसदी कर दिया था। इसमें अनुसूचित जाति को 12 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति को 28 प्रतिशत, अति पिछड़ा वर्ग को 15 प्रतिशत और ओबीसी को 12 प्रतिशत के साथ-साथ EWS को 10 फीसदी आऱक्षण शामिल हैं।

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