बीते महीनें सिंतबर को मध्यप्रदेश के उज्जैन में एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया था। मामला 13 साल की नबालिग दलित बच्ची का है जिसका ऑटोरिक्शा चालक ने बेरहमी से बलात्कार कर दिया था। बच्ची खून से लथपथ अर्ध नग्न अवस्था में मदद के लिए उज्जैन की सड़को पर घूमती रही लेकिन किसी ने उसकी मदद नहीं की।
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क्या थी घटना :
दरअसल यह घटना तब हुई जब बीते महीनें 24 सिंतबर को बच्ची अपने घर से 2 किलोमीटर दूर अपने स्कूल ओलंपियाड में भाग लेने जा रही थी लेकिन बच्ची के दादा ने उसे घर पर रहने के लिए कहा। अगले दिन सुबह 10 बजे जब उसके दादा बकरियों को चराने के लिए गए थे तो बच्ची घर से चली गई थी और वह जटवारा रेलवे स्टेशन पर पहुंचकर सतना से उज्जैन के लिए ट्रेन में बैठ गई।
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बच्ची के साथ दुष्कर्म:
जब वह उज्जैन पहुंची तो एक ऑटोरिक्शा चालक मदद के बहाने उसे सुनसान जगह पर ले गया और उसके साथ बलात्कार किया। 25 सिंतबर को इस घटना के बारे में बच्ची के दादा ने बताया। पीड़िता के दादा का ऐसा भी कहना था जब उनकी पोती उन्हें घर पर नहीं मिली थी तब जटवारा थाने में वह शिकायत दर्ज करने गए थे तो पुलिस ने उसे खुद तलाश करने को कहा था और उनकी शिकायत के एक दिन बाद एफआईआर दर्ज की गई।
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पुलिस का झूठा आश्वासन :
लड़की के दादा का यह भी कहना था कि “अगर पुलिस ने उनकी शिकायत पर तुरंत कार्यवाही की होती तो उनकी पोती को ट्रेन में पाया जा सकता था और बलात्कार से बचाया जा सकता था” इस मामले में “ जटवारा थाना प्रभारी श्वेता मौर्य ने पुलिस की प्रतिक्रिया का बचाव किया.उन्होंने कहा “दादाजी रात में पुलिस स्टेशन आए थे और एक पुलिसकर्मी को उनके घर भेजा गया था लेकिन घर पर कोई नहीं मिला। बाद में हमने मामले में त्वरित कार्रवाई की.”
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पीड़ित के भाई ने क्या कहा :
बच्ची के भाई ने कहा था कि वह सालों से भेदभाव का सामना कर रहें हैं क्योंकि वह दोहर (मवेशी चराने वाले) समुदाय से हैं ऊंची जाति के लोगो में उनके लिए कोई सहानुभूति नही है। बच्ची के परिवार ने बताया कि उन्हें केवल सरकार से 6000 रु प्रति माह समाजिक न्याय पेंशन मिलती है।
इस घटना ने मध्यप्रदेश की सरकार और कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं जहां दलित समुदाय की 13 साल की नबालिग लड़की के साथ बलात्कार हो जाता है। बच्ची सड़को पर मदद के लिए भटकती रही चूंकि वह एक दलित जाति से थी इसलिए उसकी किसी ने मदद नहीं की। पुलिस प्रशासन ने भी इस मामले में तुरंत कार्यवाही नहीं की।
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गांव में दलितों के साथ होता है भेदभाव :
मध्यप्रदेश की इस घटना ने उज्जैन की राजनीतिक व्यवस्था की भी पोल खोल दी है। दरअसल इस घटना के मामले में गांव के लोगों को लगा था कि दलित बच्ची के साथ न्याय होगा लेकिन बच्ची के परिवार के लोगों को भेदभाव का सामना करना पड़ा और पीड़िता के साथ बर्बरता हुई। गांव के 1,900 मतदाताओं में से लगभग आधे दलित हैं, लेकिन गांव में उनके हिस्से और ऊंची जाति के राजपूतों के बीच अंतर स्पष्ट है।उंची जाति के लोगों के लिए पक्की सड़को की सुविधा है जबकि दलितों के पास यह सुविधा नहीँ है। दलित लोगों को न्याय देर से मिलता है भेदभाव यहां के जीवन का हिस्सा है ।
अनेक हैं दलित अत्याचार की घटनाएँ :
मध्यप्रदेश की दिल दहलाने वाली ऐसी और भी घटनाएं हैं जिसने मध्यप्रदेश की सरकार को शर्मसार कर दिया है उज्जैन के बाद मध्यप्रदेश के रीवा में भी 14 अक्टूबर को 5वीं कक्षा की 10 साल की नबालिग बच्ची के साथ स्कूल से लौटते हुए बलत्कार हो जाता है। रीवा जिले के जनेह थाना क्षेत्र के अंतर्गत गढ़ी चौकी क्षेत्र में एक युवक नबालिग बच्ची के साथ रेप कर देता है। इस घटना के बाद पीड़ित के परिजनों में रोष था। जिसके बाद उन्होंने आक्रोशित होकर चौकी का घेराव किया।
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मध्यप्रदेश में आए दिन दलित समुदाय के लोगों को भेदभाव का सामना करना पड़ता है। जुलाई 2023 में मध्यप्रदेश के भोपाल के सीधी जिले में प्रवेश शुक्ला नाम के एक भाजपा कार्यकर्ता द्वारा एक कोल आदिवासी पर पेशाब करने की आमानवीय घटना ने इंसानियत को शर्मसार कर दिया था तो वहीं मध्यप्रदेश की इस घटना ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया कि आज भी दलितों के साथ भेदभाव कायम है आखिर कब तक एक दलित को इसी तरह अपमानित किया जाता रहेगा?
मध्यप्रदेश में आए दिन दलितों के साथ मारपीट अभद्रता महिलाओं के साथ दरिंदगी जैसी घटनाएं बढ़ रहीं हैं।
मध्यप्रदेश के सागर में मामला खुरई देहात थाना क्षेत्र के बरोदिया नौनागिर का है जहां अगस्त 2023 में दलित युवक की पीट पीटकर हत्या कर दी गई। जब उसकी मां दलित युवक के बचाव करने लगी तो गुंडों ने उन्हें भी निर्वस्त्र कर पीटा।
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क्या कहतें हैं आंकड़े :
मीडिया रिपोर्ट्स और सरकारी आंकड़े बताते हैं कि मध्य प्रदेश में दलितों के खिलाफ अपराध राष्ट्रीय औसत से अधिक है। 2021 में, भारत में अनुसूचित जाति के खिलाफ अपराध की 50,900 घटनाओं में से 7,211 मध्यप्रदेश से दर्ज की गईं। मध्य प्रदेश में 2021 में अनुसूचित जाति के खिलाफ अपराध दर 63.6% थी, जबकि उस वर्ष का राष्ट्रीय औसत 25.3% था। राज्य की आबादी का 16% और 230 विधानसभाओं में से 35 दलित हैं।
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