क्या लव मैरिज में भी जाति का फैक्टर या जातीय जेनेटिक्स दुष्प्रभावी हो रहा है?

Share News:

सामाजिक सरोकारों के मुद्दों पर पूरी सक्रियता से एक लंबे समय तक तल्लीन रहने वाली सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार श्वेता यादव ने 16 वीं मंजिल से छलांग लगा दी या फेंक दी गईं। यह संदेहास्पद है पर अब वे इस दुनिया मे नहीं हैं, यह सत्य है।
श्वेता यादव पिछले कुछ समय से फेसबुक व अन्य सोशल मिडिया प्लेटफार्म पर भावनात्मक पोस्ट साझा कर रही थी लेकिन ये अंदेशा नहीं था की ऐसा कुछ भी हो सकता है।

आज सुबह से ही सोशल मीडिया पर समाज के तमाम इंटलेक्चुअल साथियों की बातें चल रही है और उन पर मंथन के बाद सारी परिस्थितियाँ अजीब कशमकश में डाले हुये हैं।
श्वेता यादव का फेसबुक प्रोफाइल जिसमें लिखा है कि “जिंदगी में सब कुछ माफ़ कर सकती हूं…लेकिन रिश्तों में झूठ नहीं”, बहुत कुछ सोचने को विवश कर रहा है क्योंकि उन्होंने न केवल सुभाष सिंह सुमन से अंतरजातीय विवाह किया बल्कि खुद को विवाहोपरांत पति के अनुरूप बदला भी लिया।

यह भी पढ़े- भारत में शीर्ष पदों पर ब्राह्मण फिर दलितों का आरक्षण के बाद भी प्रतिनिधित्व कहाँ है ?

वरन लव मैरिज के बाद अपने वजूद को ही खत्म कर लिया था फिर भी फेसबुक पर यह लिखना कि “रिश्तों में झूठ बर्दाश्त नहीं करूंगी”,अनेक प्रश्न व प्रश्नचिन्ह खड़े कर देता है। उन्होने यह कब और किन परिस्थितियों में लिखा,यह तो नहीं पता पर उनकी मौत और इस वाक्य में कुछ न कुछ सम्बंध तो है।

Image credit: facebook

 

श्वेता, जो अपनी बेटी से इतना प्यार करती हो, जो अपनी बातों को सीधे तौर पर रखती तो, जो एकदम समान्य जीवन जी रही हो और सबसे बड़ी बात जो जुझारू हो, उसे अपनी जान लेने की क्या आवश्यकता आ पड़ी? ये बड़ा ही विस्मयपूर्ण है और त्रासद वाली खबर है. जरूर कुछ और बात होगी.. लेकिन जो भी हो यह भयानक है और बेचैन करने वाला है।

हम अंतर्जातीय विवाह के समर्थक हैं,लव मैरिज के भी समर्थक हैं पर श्वेता यादव जैसी पढ़ी-लिखी युवतियां जो चट्टान की तरह मजबूत दिल-दिमाग की हों और टूट जा रही हैं या तोड़ दी जा रही हैं। यह अपने आप मे ऐसे अंतर्जातीय या लव मैरिज पर बहुत बड़ा सवाल भी है।

यह भी पढ़े- छत्तीसगढ़, झारखंड और राजस्थान में 3 प्रतिशत आबादी वालों को 10 प्रतिशत आरक्षण किस आधार पर ?

 

क्या लव मैरिज में भी अंततः जाति का फैक्टर या जातीय जेनेटिक्स दुष्प्रभावी होता जा रहा है? क्या अवर्ण का समर्पण और सवर्ण का शोषण यहां भी प्रभावी हो रहा है? जो श्वेता यादव जैसों के जीवन मे कालिमा ही नही बल्कि उनके अंत का ज्वलंत किस्सा बन जा रहा है? ऐसी घटनाएं सचेत कर रही हैं कि अंतर्जातीय विवाह या लव मैरिज में भी हमारे बच्चों को विशेषकर लड़कियों को सावधानी बरतनी पड़ेगी।

 

Image credit: facebook

बात प्रेम की भी कर लेते हैं। कहा जाता है कि हर चीज़ का सृजन प्रेम से है लेकिन इस तरह की घटनाएं बताती हैं कि ऐसी परिस्थिति में प्रेम को सँभाल कर रखना बेहद ज़रूरी हो जाता है। जब मतभेद, मनभेद में बदल जातें हैं तो प्रेम प्रेम नहीं रहता है। इस हालत में जीवन को खत्म कर देना ही सबसे सरल लगता है।
बहरहाल, श्वेता यादव के इस आत्महत्या या हत्या के प्रकरण की निष्पक्ष जांच हो। बेटियां यूं जान न दें या कोई उनकी यूं जान न ले सके, इसके लिए खासे इंतजाम हो।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

error: Content is protected !!