इसे जातिवाद का खेल ही कहेंगे की एक आदिवासी लड़की जो लिखित परीक्षा पास होकर वायवा देती है और उसे 30 मे से 1 -5 नंबर दे कर उसके विश्वविधालय के दरवाजे हमेशा के लिए बंद कर दिए गए हैं।पिछले 70 साल से ये सवर्ण हर ऊपरी जगह में 90% से ज्यादा बैठे हुए है कितने अविष्कार किए कितने पेटेंट, कितने नोबल प्राइज लाए लेकिन सवर्ण ये हमेशा भूल जाते हैं और इसका परिणाम दलितों को भुगतना पड़ता हैं.
एक आदिवासी लड़की ज़माने से लड़ते हुए JNU में पढ़ने के मुहाने तक आती है. लिखित परीक्षा पास होकर वायवा देती है. उसे 30 नम्बर की मौखिक परीक्षा में 1 नम्बर मिलता है. अगर उसे 5 नम्बर भी मिल जाता, तो वह JNU में पीएचडी एडमिशन पा जाती. क्या सोच कर 1 नम्बर दिया गया. यही है #VivaScam pic.twitter.com/dMclbZPyru
— Dr. Laxman Yadav (@DrLaxman_Yadav) December 11, 2021
ये सोचने वाली बात हैं कि पीएच.डी. प्रवेश-परीक्षा इंटरव्यू के लिए कुल निर्धारित अंक : 30 में से प्रथम श्रेणी के किसी छात्र/छात्रा को इंटरव्यू में 1 नंबर मिला था आप खुद सोचे कि इंटरव्यू लेने वाले की सबसे बड़ी ‘योग्यता’ क्या हो सकती है? और 01 नंबर पाने वाले छात्र की बड़ी ‘अयोग्यता’ क्या होगी?एक आदिवासी लड़की ज़माने से लड़ते हुए JNU में पढ़ने आती हैं और जातिवाद के आगे हार जाती हैं क्योकि वो एक दलित आदिवासी लड़की हैं।
सोशल एक्टिविस्ट लक्षमण यादव ने कहा कि, जेएनयू लगातार ये बात क़बूल करता रहा कि इंटरव्यू व मैखिक परीक्षाओं में जाति हावी रही है. अमूमन प्रगतिशीलता के लिबास में लिपटे जातिवादी द्रोणाचार्य इस हक़ीक़त को झुठलाते रहे हैं. मगर उनकी बनाई कमेटियाँ ख़ुद कहती रहीं कि वंचितों शोषितों के साथ भेदभाव न करो. ये नहीं माने.
BAPSA submitted memorandum to JNU Vice Chancellor, Director (Admission) and Jawaharlal Nehru University Teachers' Association (JNUTA) regarding discriminations in viva-voce for JNU PhD admission.
Read the full text at: https://t.co/JhLXz7nzzD pic.twitter.com/NUtUdt7zh9
— BAPSA (@BAPSA_JNU) December 11, 2021
BAPSA ने जेएनयू के कुलपति, निदेशक (प्रवेश) और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (JNUTA) को जेएनयू पीएचडी प्रवेश के लिए वाइवा-वॉयस में भेदभाव के संबंध में ज्ञापन सौंपा।
जर्नलिस्ट समर राज ने ट्वीट कर कहा कि,एक लड़की को JNU में PHD के लिए एडमिशन नहीं मिला क्योंकि वो आदिवासी थी 30 नंबर के Viva में सिर्फ 1 नंबर मिला क्योंकि कथित नीची जाति की थी द्रोणाचार्यों ने उसका मौका छीन लिया क्योंकि वो एकलव्य के समाज की थी और जिन्हें भेदभाव की जगह सिर्फ संयोग दिख रहा है वो प्रिविलेज जाति के हैं
एक लड़की को JNU में PHD के लिए एडमिशन नहीं मिला क्योंकि वो आदिवासी थी
30 नंबर के Viva में सिर्फ 1 नंबर मिला क्योंकि कथित नीची जाति की थी
द्रोणाचार्यों ने उसका मौका छीन लिया क्योंकि वो एकलव्य के समाज की थी
और जिन्हें भेदभाव की जगह सिर्फ संयोग दिख रहा है वो प्रिविलेज जाति के हैं pic.twitter.com/RH2vqGlJal— Samar Raj (@SamarRaj_) December 11, 2021
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