छत्तीसगढ़ में अल्पसंख्यकों पर लगातार बढ़ रहे हमले, राज्य बन चुका महाभ्रष्ट कॉरपोरेट घरानों का हिंदूराष्ट्र

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जन संघर्ष मोर्चा ने जनवादी संगठनों से अपील की है कि सब एकजुट होकर धर्मनिरपेक्षता, संविधान, आरक्षण और लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष करें और फासिस्ट संघ परिवार द्वारा अल्पसंख्यकों पर हो रही प्रताड़ना के खिलाफ आवाज़ उठाएं…

Raipur news : छत्तीसगढ़ में अल्पसंख्यकों पर लगातार बढ़ते हमलों के खिलाफ आवाजें उठने लगी हैं। आरोप लग रहे हैं संघी मनुवादी फासिस्ट एजेंडे को बेरोकटोक तरीके से प्रदेश सरकार लागू कर रही है और अल्पसंख्यकों के हालात लगातार बदतर होते जा रहे हैं।

जन संघर्ष मोर्चा छत्तीसगढ़ ने भाजपा के सत्तासीन होने के बाद से राज्य में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमलों की बाढ़ आने की घटनाओं की कड़ी निंदा की है। जन संघर्ष मोर्चा के पदाधिकारियों का आरोप है कि दुर्ग जिले के विनायकपुर चर्च, दुर्ग के रायपुर नाका के मसीही मंदिर चर्च समेत नारायणपुर, कांकेर, बस्तर, जशपुर, सरगुजा आदि जिलों में फासिस्ट संघ परिवार के गुंडा दलों द्वारा ईसाई समुदाय के प्रार्थनास्थलों में तोड़फोड़, पादरियों और रविवार को प्रार्थनारत विश्वासियों पर शारीरिक आक्रमण, पुलिस के माध्यम से पीड़ितों पर ही धर्मांतरण का झूठा मुकदमा दर्ज कराना रोजमर्रा की बात हो गई है।

जन संघर्ष मोर्चा का कहना है कि अब इस तरह की घटनाओं पर मानवाधिकार हनन का समाचार भी नहीं बनता। समाचार बनता है “धर्मांतरण के प्रयास का स्थानीय लोगों ने विरोध किया, पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया और धर्मांतरण के खिलाफ कारवाई की।” कहीं भी समाचारों में यह नहीं बताया जाता कि फासिस्ट बजरंग दल, धर्म रक्षा दल के गुंडों ने चर्च पर हमला किया और प्रार्थनारत लोगों और पास्टर पर जानलेवा हमला किया। अल्पसंख्यक समुदाय पर हमला करने वाले भगवा गुंडों के खिलाफ जिले से लेकर राज्य के सर्वोच्च पदाधिकारियों तक न्याय की गुहार लगाने के बावजूद आज तक एक भी प्रकरण में पीड़ितों को न्याय नहीं मिला है।

ईसाई समुदाय के साथ-साथ राज्य में मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर भी अत्याचार बढ़ते जा रहा है। हाल ही में रायपुर के करीब तिल्दा में थाने के सामने 23 जनवरी को मदरसे में पढ़ाने वाले मौलाना असगर अली के साथ सांप्रदायिक गुंडों ने मारपीट की। इन गुंडों के खिलाफ कारवाई न करके तिल्दा पुलिस द्वारा उल्टे मौलाना को ही जेल भेज दिया गया। ग्राम भोथीडीह जिला धमतरी में स्थित मदरसे में सुनियोजित ढंग से मदरसा एवं बगल के मकान में तोड़फोड़ की गई, पुलिस द्वारा साम्प्रदायिक ताकतों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई और उनको लगातार संरक्षण प्रदान किया जा रहा है। रायगढ़ में एक कॉलेज में बजरंग दल की शिकायत पर एक मुस्लिम शिक्षक को नौकरी से निकाल दिया गया। कवर्धा में मुस्लिम कब्रिस्तान की बाउंड्री वॉल जिसे नगरपालिका ने बनवाया था, उसे अतिक्रमण मानकर तोड़ दिया गया।

जन संघर्ष मोर्चा के प्रसाद राव, लाखन सुबोध, एडवोकेट शाकिर कुरैशी, सौरा, तुहिन, कलादास और नीरा ने मीडिया को बताया कि पिछले कांग्रेस शासन के दरम्यान जब बस्तर क्षेत्र के कई इलाकों में “रोको, टोको, ठोको” के नाम पर फासिस्ट संघ परिवार ने ईसाई मतावलंबी आदिवासियों पर बड़े पैमाने पर हमला किया। तब नरम हिंदुत्व की लाइन पर चलते हुए भूपेश बघेल सरकार ने भगवा गुंडों या संघी ब्राह्मणवादी हिंदुत्व की ताकतों पर नकेल नहीं कसी, इसीलिए सत्ता में आसीन होते ही ये वहुसंख्यकवादी फासिस्ट ताकतें पूरे देश की तरह यहां की फिज़ा में भी साम्प्रदायिकता, नफ़रत और विभाजन का ज़हर घोलने पर आमादा हो गये।

आज देश में व्याप्त भीषण गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई जोकि विश्वगुरु मोदी सरकार की पिछले दस सालों की देन है, के खिलाफ जन आक्रोश को धार्मिक उन्माद पैदा करने के बहाने निपटाने से अच्छा कोई कारगर उपाय इनके पास नहीं है। ऐसा लगता है जैसे भारत में या छत्तीसगढ़ में अडानी-अंबानी जैसे महाभ्रष्ट कॉरपोरेट घरानों का हिंदूराष्ट्र बन चुका है।

जन संघर्ष मोर्चा छत्तीसगढ़ ने छत्तीसगढ़ के जनजीवन में फैलाए जा रहे सांप्रदायिक तनाव के माहौल को ठीक करने की राज्य सरकार से मांग की है, साथ ही मोर्चा ने राज्य के अन्य जनवादी संगठनों से अपील की है कि सब एकजुट होकर धर्मनिरपेक्षता, संविधान, आरक्षण और लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष करें और फासिस्ट संघ परिवार द्वारा अल्पसंख्यकों पर हो रही प्रताड़ना के खिलाफ आवाज़ उठाएं।

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